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राजनीतिक दल, गंभीर अपराध तथा विधिक स्पष्टता

Lokesh Pal August 12, 2024 05:30 57 0

संदर्भ:

राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल तथा पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की जमानत याचिकाओं पर भारत के सर्वोच्च न्यायालय की दो अलग-अलग पीठों की हालिया टिप्पणी के बाद, ये मुद्दे विश्लेषण के प्रमुख विषय हैं।

 

प्रारंभिक परीक्षा संबंधी विषय : धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए), 2002; प्रवर्तन निदेशालय; जन प्रतिनिधित्व अधिनियम (आरपीए), 1951 आदि।

मुख्य परीक्षा संबंधी विषय : धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए). 2002 आदि के तहत एक राजनीतिक दल को आरोपी के रूप में शामिल करने के निहितार्थ।

प्रमुख मुद्दे

  • हाल ही में, पहली बार किसी राजनीतिक दल (आम आदमी पार्टी – आप) को धन शोधन निवारण       अधिनियम, 2002 के तहत आरोपी बनाया गया है।
  • संसदीय लोकतांत्रिक व्यवस्था में जहाँ राजनीतिक दल विचारधाराओं तथा राजनीतिक कार्यक्रमों के आधार पर लोगों को संगठित करने एवं सरकार चलाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, उन्हें गंभीर आपराधिक मामलों में आरोपी बनाना एक प्रमुख मुद्दा है।

कानूनी दृष्टि से विश्लेषण

  • राजनीतिक पार्टी AAP को जाँच प्रक्रिया में शामिल करने के लिए PMLA की धारा-70 का प्रयोग किया गया है। धारा-70 कंपनियों द्वारा किए जाने वाले अपराधों से संबंधित है।
  • PMLA, 2002 के अनुसार, यदि अधिनियम के किसी भी प्रावधान का उल्लंघन करने वाला व्यक्ति एक कंपनी है, तो कंपनी का प्रभारी अधिनियम के तहत दोषी माना जाएगा और उसके खिलाफ कार्रवाई कर उसे दंडित किया जाएगा।
  • अधिनियम के इस खंड में एक स्पष्टीकरण है, जिसमें कहा गया है कि “कंपनी का अर्थ है कोई भी निगमित निकाय और इसमें कोई फर्म या व्यक्तियों का कोई अन्य संघ शामिल है।”
  • आप आदमी पार्टी को जाँच के दायरे में लाने के लिए जन प्रतिनिधित्व अधिनियम (RPA), 1951 से राजनीतिक दलों की परिभाषा को PMLA की धारा-70 के साथ एकीकृत किया गया।
  • RPA, 1951 की धारा-29A में राजनीतिक दल को “भारत के किसी भी नागरिक का कोई भी संघ या निकाय जो खुद को राजनीतिक दल कहता है…” के रूप में परिभाषित किया गया है। इस परिभाषा के अंतर्गत भारत का कोई भी संघ या व्यक्तिगत नागरिक तभी राजनीतिक दल बन जाता है, जब वह खुद को राजनीतिक दल कहता है।
  • अतः व्यक्तियों के सभी संघों को तब तक राजनीतिक दल नहीं माना जा सकता, जब तक कि वे खुद को राजनीतिक दल न कहें।

नीति और अपराध

  • न्यायमूर्ति बी.आर. गवई और न्यायमूर्ति के.वी. विश्वनाथन की पीठ ने मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका पर टिप्पणी की।
  • पीठ ने प्रवर्तन निदेशालय से पूछा कि आप नीति और अपराध के बीच की रेखा कहाँ खींचते हैं? जिसके उत्तर स्वरूप मंत्री और उसके विशेषाधिकारों से परे कानूनी कार्यवाई का विषय सामने आया |
  • संविधान ने संसदीय लोकतंत्र की ब्रिटिश प्रणाली को अपनाया है, जिसमें संघ और राज्यों के लिए मंत्रिमंडलीय शासन प्रणाली है। मंत्रिमंडल लोकसभा के प्रति जवाबदेह होता है और सार्वजनिक हित हेतु नीति निर्माण में सहायता करता है|   
  • किसी भी स्थिति में न्यायपालिका मंत्रिमंडल द्वारा बनाई गई नीति की शुद्धता या उद्देश्य की जाँच नहीं करती है। सर्वोच्च न्यायालय ने सामान्यतः यही दृष्टिकोण अपनाया है।
  • इसलिए मंत्रिमंडल द्वारा बनाई गई नीति के लिए उसे दोषी नहीं ठहराया जा सकता।
  • मंत्रिमंडल द्वारा लिए गए निर्णय के विपरीत किसी व्यक्तिगत मंत्री के खिलाफ आपराधिक आरोप कानूनी रूप से गलत हैं |
  • बजाय कि एक लोक सेवक के रूप में मंत्री कानून का उल्लंघन करने वाली व्यक्तिगत कार्रवाई के लिए दोषी होता है, लेकिन संवैधानिक इकाई के हिस्से के रूप में नहीं| 

पीएमएलए के तहत किसी राजनीतिक दल को आरोपी बनाने के निहितार्थ

  • राजनीतिक प्रतिशोध : राजनीतिक दलों को कड़ी जाँच और विभिन्न चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है, जिससे उनके कामकाज और सार्वजनिक धारणा पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
  • निर्णय लेने की लोकतांत्रिक प्रक्रिया में बाधा: कानूनी मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने से नीति-निर्माण और प्रशासन से ध्यान हट सकता है, जिससे समग्र राजनीतिक उत्पादकता प्रभावित हो सकती है।
  • शक्तियों का पृथक्करण : आपराधिक क़ानूनों के तहत राजनीतिक दलों को अभियुक्त बनाने से न्यायिक अतिसक्रियता तथा न्यायालयों को राजनीतिक मामलों में किस हद तक शामिल होना चाहिए, इस संबंध में चिंताएँ जन्म ले सकती हैं।
  • राजनीतिक दल की प्रकृति को प्रभावित करना : PMLA के तहत किसी राजनीतिक दल को अभियुक्त बनाने से राजनीतिक संस्थाओं की जाँच करने तथा वित्तीय अनियमितताओं के लिए उन्हें जवाबदेह ठहराने के तरीके में संभावित रूप से बदलाव आ सकता है, जो कि लाभ कमाने वाले निजी संगठनों के समान है।

निष्कर्ष 

राजनीतिक दलों और नीतिगत कार्रवाइयों की न्यायिक जाँच से अपराध हेतु दोषसिद्धि में व्याप्त जटिलताएँ सामने आती हैं, जिससे लोकतांत्रिक शासन के लिए महत्त्वपूर्ण कानूनी और संवैधानिक चिंताएँ जन्म लेती हैं।

मुख्य परीक्षा पर आधारित प्रश्न

धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए), 2002 के तहत किसी राजनीतिक दल को अभियुक्त के रूप में शामिल करने के निहितार्थों की जाँच कीजिए। इस घटनाक्रम से उत्पन्न होने वाली कानूनी और संवैधानिक चुनौतियों पर विस्तृत चर्चा कीजिए।

(15 अंक, 250 शब्द)

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