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Lokesh Pal September 02, 2024 05:30 97 0
28 अगस्त, 2014 को शुरू की गई प्रधानमंत्री जन धन योजना (पीएमजेडीवाई) ने बैंकिंग सुविधा से वंचित हर परिवार को बैंकिंग सुविधाएँ प्रदान करने के उद्देश्य से समावेशी विकास की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम उठाया। इस योजना के 10 वर्ष पूर्ण होने पर भारत में वित्तीय समावेशन पर इसका प्रभाव महत्त्वपूर्ण है।
प्रधानमंत्री जन-धन योजना (पीएमजेडीवाई) वित्तीय समावेशन के लिए एक राष्ट्रीय मिशन है, जिसका उद्देश्य बुनियादी बचत और जमा खाते, धन प्रेषण, ऋण, बीमा और पेंशन जैसी वित्तीय सेवाओं तक किफायती तरीके से पहुँच सुनिश्चित करना है। इस योजना के तहत, बुनियादी बचत बैंक जमा (BSBD) खाता किसी भी बैंक शाखा या व्यवसाय संवाददाता (बैंक मित्र) आउटलेट में उन व्यक्तियों द्वारा खोला जा सकता है, जिनके पास कोई अन्य खाता नहीं है।
अपनी सफलताओं के बावजूद वित्तीय समावेशन में कई बाधाएँ बनी हुई हैं। इनसे निपटने के लिए बहुआयामी दृष्टिकोण की आवश्यकता है :
प्रधानमंत्री जन धन योजना ने भारत में वित्तीय समावेशन को विस्तृत रूप से गति दी है, असमानताओं को कम किया है एवं आर्थिक सशक्तीकरण को बढ़ाया है। सरकार ने जन धन खातों के माध्यम से बैंकिंग प्रणाली में नए उपयोकर्त्ताओं को लाने हेतु महत्त्वपूर्ण प्रयास किए हैं। अब इन प्रयासों को बनाए रखने और आगे बढ़ाने के लिए सरकार की ओर से समान प्रतिबद्धता की आवश्यकता है, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि ये नए खाताधारक वित्तीय सेवाओं तक पहुँचकर उनका लाभ उठा सकें। योजना को और अधिक कुशल बनाने के लिए साइबर सुरक्षा, ग्रामीण क्षेत्रों में कनेक्टिविटी तथा एटीएम की कमी जैसी चुनौतियों का समाधान किया जाना चाहिए। इस योजना को अन्य सरकारी योजनाओं के साथ एकीकृत करा भी एक महत्त्वपूर्ण प्रयास हो सकता है |
मुख्य परीक्षा पर आधारित प्रश्नभारत में ‘वितीय समावेशन’ की उपयोगिता बताइए | यह समाज के पिछड़े वर्गों को मुख्य धारा में लाने हेतु किस प्रकार सहायक हो सकता है? (10 अंक, 150 शब्द) |
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