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Lokesh Pal November 27, 2024 05:45 4 0
भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने हाल ही में प्रस्तावना में ‘पंथनिरपेक्षता’ और ‘समाजवादी’ शब्दों को शामिल करने के अपने पूर्ववर्ती निर्णय को बनाए रखा है तथा उसको हटाने के संबंध में भेजी गई रिट याचिकाओं को खारिज कर दिया है, जिनमें इन शब्दों को 42वें संविधान संशोधन, 1976 में जोड़े जाने के 44 वर्ष बाद चुनौती दी गई थी।
स्पष्ट है, जबकि संविधान अपने अस्तित्व के 75 वर्ष पूरे कर रहा है, सर्वोच्च न्यायालय का यह निर्णय इन मौलिक विशेषताओं की समयोचित याद दिलाता है तथा समानता, न्याय और पंथनिरपेक्षता के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है।
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