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Lokesh Pal
July 31, 2024 05:15
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जिस तरह से कुछ राज्यपाल राज्य विधानसभाओं द्वारा पारित कानूनों पर प्रतिक्रिया कर रहे हैं और राष्ट्रपति उन विधेयकों पर संघ सरकार की सलाह के आधार पर स्वीकृति देने से इनकार कर देते हैं, तो आवश्यक व तात्कालिक प्रतिक्रिया के लिए राज्य विधानसभाओं के पास कोई प्रभावी विकल्प नहीं बचता, संभव है कि ऐसी स्थिति संघीय संविधान का उपहास बने।
प्रारंभिक परीक्षा के लिए प्रासंगिकता: राज्यपाल, राज्यपाल द्वारा राष्ट्रपति को विधेयक भेजना, रिट याचिका, आदि।
मुख्य परीक्षा के लिए प्रासंगिकता: राज्यपाल का कार्यालय, राज्यपालों की भूमिका से जुड़े विवाद, आदि। |
राज्यपालों द्वारा विधानसभाओं द्वारा पारित विधेयकों पर राष्ट्रपति को रेफरल करने के अधिकार का दुरुपयोग संवैधानिक व्यवस्था और संघवाद को कमजोर करता है। राज्य और केंद्रीय शक्तियों के बीच संविधान के संतुलन को बनाए रखने के लिए सुप्रीम कोर्ट को इस मुद्दे को गंभीरता से हल करना चाहिए।
मुख्य परीक्षा पर आधारित प्रश्न:प्रश्न: भारत के संघीय ढांचे में राज्यपाल का पद और शक्तियां विवादित विषय रहे हैं। राज्यपाल की संवैधानिक शक्तियों की आलोचनात्मक जांच करें और हाल के दिनों में उनकी भूमिका के इर्द-गिर्द उठे विवादों पर चर्चा करें। राज्यपाल संवैधानिक सिद्धांतों और सहकारी संघवाद के अनुरूप कार्य करें, यह सुनिश्चित करने के उपयुक्त उपाय सुझाएँ (15 अंक, 250 शब्द) |
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