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राष्ट्रपति इमोमाली रहमान : ताजिकिस्तान में हिजाब प्रतिबंध विधेयक

Lokesh Pal June 24, 2024 05:45 123 0

संदर्भ:

हाल ही में, ताजिकिस्तान के राष्ट्रपति इमोमाली रहमान ने पहले हिजाब को “विदेशी परिधान” बताया था और सार्वजनिक धार्मिकता की दृश्यता को कम करने के लिए कदम उठाए थे। यह मुद्दा उनकी राजनीति और सत्ता पर पकड़ से गहराई से जुड़ा हुआ है।

प्रारंभिक परीक्षा के लिए प्रासंगिकता: हिजाब प्रतिबंध, ताजिकिस्तान मानचित्र, ईदी, ईद, नवरोज़, कपड़ों में ज़ेनोफोबिया आदि। 

मुख्य परीक्षा के लिए प्रासंगिकता: ताजिकी संस्कृति, धर्मनिरपेक्षता की अवधारणा आदि।

पृष्ठभूमि :

  • ताजिकिस्तान सरकार ने हिजाब पहनने पर औपचारिक रूप से प्रतिबंध लगाने वाला विधेयक पारित कर दिया है।
  • इस विधेयक को निचले सदन (मजलिसी नमोयंदागोन) द्वारा अनुमोदित किया गया तथा ईद के बाद इसे उच्च सदन (मजलिसी मिल्ली) से भी स्वीकृति प्राप्त हो गई है।
  • इस कदम से धार्मिक परिधानों पर वर्षों से लगे अनौपचारिक प्रतिबंधों को औपचारिक रूप देने का प्रयास किया गया है।
  •   यह राष्ट्रपति इमोमाली रहमान के हिजाब संबंधी विचारों से मेल खाता है, जिसे उन्होंने “विदेशी परिधान” करार दिया है।
  • ताजिकिस्तान की आबादी लगभग 90% मुस्लिम है।
  • हिजाब पर प्रतिबंध से इस मुस्लिम बहुल देश में इस कदम के पीछे के औचित्य पर सवाल उठते हैं।

ताजिकिस्तान के नवीन कानून संबंधी कुछ महत्त्वपूर्ण बिन्दु: 

  • संशोधन विवरण: 

           नया विधेयक मौजूदा कानून ‘छुट्टियों और समारोहों के विनियमन’ में संशोधन करता है।

    • यह “राष्ट्रीय संस्कृति के लिए विदेशी समझे जाने वाले कपड़ों के आयात, बिक्री, प्रचार और पहनने” पर रोक लगाता है।
    • इन परिवर्तनों का मुख्य कारण हिजाब और इस्लाम से जुड़े अन्य परिधानों पर प्रतिबंध है।
  • उल्लंघन के लिए दंड: व्यक्तिगत अपराधियों को 7,920 सोमोनीस ($747) का जुर्माना भरना पड़ सकता है।
    • रेडियो लिबर्टी की ताजिक सेवा के अनुसार, 39,500 सोमोनी ($3,724) तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।
  • अतिरिक्त प्रतिबंध: विधेयक में ईद और नवरोज़ के दौरान बच्चों को पैसे उपहार में देने की प्रथा, ईदी पर भी प्रतिबंध लगाया गया है।
    • ईद-उल-फितर और ईद-उल-अजहा के आसपास के उत्सव भी प्रतिबंधित हैं।

हिजाब को “विदेशी” क्यों माना जाता है?

  • संदर्भ और प्रेरणा: हिजाब पर प्रतिबंध राष्ट्रपति रहमोन के “ताजिकी” संस्कृति को बढ़ावा देने और सार्वजनिक धार्मिकता को कम करने के प्रयासों का हिस्सा है।
    • राष्ट्रपति रहमोन एक धर्मनिरपेक्ष सरकार के प्रमुख हैं और 1994 से सत्ता में हैं, जो इस क्षेत्र में सबसे लंबे समय तक शासन करने वालों में से एक है।
  • राजनीतिक पृष्ठभूमि: रहमोन के शुरुआती राजनीतिक जीवन में वे अधिक धार्मिक राजनीतिक दलों के खिलाफ खड़े दिखे।
    • उन्होंने सोवियत समाजवादी गणराज्य ताजिकिस्तान में जन प्रतिनिधि के रूप में कार्य किया।
    • वर्ष 1991 में सोवियत संघ के विघटन के बाद, ताजिकिस्तान को सोवियत समर्थकों (राष्ट्रपति रहमोन सहित) और संयुक्त ताजिक विपक्ष के जातीय-धार्मिक कबीलों के मध्य गृहयुद्ध का सामना करना पड़ा।
  • सत्ता में वृद्धि: गरीबी और आर्थिक अवसरों की कमी के खिलाफ व्यापक विरोध के बाद रहमोन वर्ष 1994 के राष्ट्रपति चुनावों में विजयी घोषित हुए।
    • वह ताजिकिस्तान की पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी का नेतृत्व करते हैं, जो वर्ष 1994 से सत्ता में है।
    • विगत वर्षों में राष्ट्रपति रहमोन ने अपने शासन को सुदृढ़ बनाने के लिए संविधान में संशोधन किया है, जिसमें वर्ष 2016 में राष्ट्रपति पद की अवधि की सीमा को हटाना भी शामिल है।
    • उन्होंने उन धर्म-आधारित राजनीतिक दलों पर भी प्रतिबंध लगा दिया है जो उनकी सत्ता को चुनौती दे सकते हैं।
  • धार्मिक प्रतिबंध: मासूमेह तोरफे ने अल जजीरा (2015) में ताजिकिस्तान में बढ़ते धार्मिक प्रतिबंधों पर प्रकाश डाला।
    • धार्मिक पहनावे को लेकर राष्ट्रपति  रहमान की चिंता सोवियत संघ के विघटन के बाद बढ़ती धार्मिकता से उपजी है, जिसमें अधिक लोग इस्लामी प्रथाओं और पोशाकों को अपनाने लगे हैं।
    • इसके बावजूद, कुछ विश्लेषकों का मानना ​​है कि मध्य एशिया में कट्टरपंथी इस्लामवाद का  खतरा बढ़ रहा है।
    • हालाँकि, सोवियत नियंत्रण के दौरान भी इस्लामी प्रथाएँ स्थानीय संस्कृतियों का हिस्सा थी, जो इस विचार के विपरीत है कि इस्लाम केवल सोवियत शासन समाप्त होने के बाद ही “पुनर्जीवित” हुआ।

ताजिकिस्तान में अतीत में, लागू किये गए समान नियम:

  • प्रारंभिक कानून: 2007 में, छुट्टियों और समारोहों को विनियमित करने वाला एक कानून पारित किया गया था। इस कानून ने इस्लामी कपड़ों और पश्चिमी शैली की मिनीस्कर्ट पर प्रतिबंध लगा दिया।
    • इसके परिणामस्वरूप छात्राओं और अंततः सभी सार्वजनिक संस्थानों में हिजाब पर प्रतिबंध लगा दिया गया।
  • राष्ट्रपति रहमोन का अभियान: रहमोन ने 2015 में हिजाब के खिलाफ अपने अभियान को तेज कर दिया और इसे “खराब शिक्षा का संकेत” बताया।
    • 2024 में, उन्होंने अपना रुख दोहराया, “कपड़ों में ज़ेनोफोबिया” और हिजाब सहित विदेशी कपड़ों की आलोचना की।
  • सरकारी पहल: 2017 में सरकार ने स्वचालित फ़ोन कॉल के ज़रिए महिलाओं से ताजिक पोशाक पहनने का आग्रह करते हुए एक अभियान शुरू किया। 2018 में, ‘ताजिकिस्तान में अनुशंसित पोशाकों की मार्गदर्शिका’ शीर्षक से 376 पन्नों की एक पुस्तिका जारी की गई।
    • उनकी मार्गदर्शिका गाइडबुक में, स्वीकार्य परिधान सामग्री, लंबाई, रंग और आकार का विवरण दिया गया है।
    • यह चेहरे और गर्दन को ढके बिना सिर के पीछे बंधे रंगीन सिर-दुपट्टे की अनुमति देता है।
    • यह अंतिम संस्कार में काले कपड़ों पर प्रतिबंध लगाता है, इसके बजाय सफेद हेडस्कार्फ़ के साथ नीले रंग के कपड़े पहनने की सलाह देता है।

निष्कर्ष:

ताजिकिस्तान की लगभग 90% आबादी मुस्लिम है ऐसी स्थिति में, हिजाब पर प्रतिबंध राष्ट्रपति रहमोन के “ताजिकी” संस्कृति को बढ़ावा देने के अभियान का उदाहरण हो सकता है, जो मुख्य रूप से मुस्लिम आबादी के बावजूद ताजिकिस्तान में चल रहे धार्मिक और सांस्कृतिक तनाव को उजागर करता है।

मुख्य परीक्षा पर आधारित प्रश्न :

प्रश्न : धर्मनिरपेक्षता की भारतीय अवधारणा पश्चिमी धर्मनिरपेक्षता मॉडल से किस प्रकार भिन्न है? चर्चा कीजिए। 

(150 शब्द, 10 अंक)

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