प्रारंभिक परीक्षा के लिए प्रासंगिकता: आधार आधारित भुगतान प्रणाली, UIDAI, मनरेगा
मुख्य परीक्षा के लिए प्रासंगिकता: ABPS और मनरेगा में चुनौतियाँ
संदर्भ:
हाल ही में, आधार-आधारित भुगतान प्रणाली (ABPS) और मनरेगा पर इसके प्रभावों से संबंधित चिंताओं और मुद्दों पर महत्वपूर्ण रूप से ध्यान दिया गया है।
ABPS कार्यान्वयन में चुनौतियाँ:
डेटाबेस प्रबंधन संबंधी मुद्दे: मनरेगा के लिए पर्याप्त वित्तीय आवंटन के बावजूद मजदूरों के कार्य दिवस को रिकॉर्ड न किया जाना, मजदूरों के नामों के दोहराव, लिंकेज गलतियाँ और उनके नामों के विलोपन आदि कई मुद्दें अभी भी देखने को मिलते हैं।
2022-23 में डेटाबेस से 5.2 करोड़ श्रमिकों के निष्कासन के साथ ही ABPS के संबंध में 34.8% रोजगार कार्ड धारकों की अयोग्यता, इस समस्या की गंभीरता को दर्शाता है।
तकनीक पर निर्भरता: ABPS के तहत ग्रामीण लोगों की मजदूरी तकनीक के ऊपर निर्भर करती है, जो इनके नौकरियों की सुरक्षा के संबंध में तकनीकी समाधान पर जोर देता है।
यह रणनीति, मनरेगा के प्राथमिक लक्ष्य को कमजोर करती है, जो ग्रामीण परिवारों को रोजगार के माध्यम से मजदूरी प्रदान कर सामाजिक आर्थिक सुरक्षा प्रदान करता है।
संलग्नता की चुनौती: ग्रामीण रोजगार गारंटी को डिजिटलीकृत व्यक्तिगत पहचान प्रणालियों से जोड़ने संबंधी परियोजना में कई चुनौतियाँ मौजूद हैं।
निष्कर्ष:
सामाजिक-आर्थिक असमानता में वृद्धि , कार्य संबंधी अनिश्चितता में वृद्धि, सामाजिक सुरक्षा में गिरावट और ग्रामीण संकट के इस युग में प्रौद्योगिकी एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है, लेकिन यह राज्य की प्राथमिकता नहीं हो सकती है, क्योंकि प्राथमिकता हमेशा श्रमिक और उनकी आजीविका संबंधी सुरक्षा ही रहेगी।
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