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Lokesh Pal
August 27, 2024 05:30
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कोलकाता में एक महिला डॉक्टर के साथ हुए क्रूर बलात्कार और हत्या ने देश को एक बार फिर महिलाओं की सुरक्षा पर गहन चर्चा में शामिल कर दिया है। राज्य और समाज द्वारा पर्याप्त संरचनात्मक सुरक्षा के अभाव में, अपनी सुरक्षा का दायित्व (बोझ) अक्सर महिलाओं पर ही पड़ता है।जिससे अनेक शारीरिक व मानसिक समस्याएँ जन्म लेती हैं।
उदाहरण के लिए, एक दलित महिला को दोहरा भेदभाव झेलना पड़ता है, पहला, वह एक महिला है और दूसरा, वह दलित है।
आत्म रक्षा हेतु निरंतर सतर्कता से महिलाओं के जीने के तरीके और उनकी इच्छा के बीच भी विसंगति पैदा हो सकती है। सशक्तिकरण प्रयासों के साथ ही साथ अपनी सुरक्षा से जुड़े जोखिमों को कम करने एवं इससे निपटने के लिए महिलाओं को अक्सर अपने व्यवहार को बदलने के लिए मजबूर किया जाता है।
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