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संरक्षणवाद और व्यापार संघर्ष : पड़ोसी को भिखारी बनाने की नीतियाँ

Lokesh Pal February 06, 2025 05:15 20 0

संदर्भ:

हाल ही में, संरक्षणवाद और व्यापार संघर्षों के बढ़ने के साथ ही, पड़ोसी को भिखारी बनाने की नीति का विचार, खासकर अमेरिका में ट्रम्प प्रशासन जैसी लोकलुभावन सरकारों के तहत फिर से उभर आया है। 

पड़ोसी को भिखारी बनाने की नीतियों की अवधारणा:

  • संदर्भ : अपने पड़ोसी को भिखारी बनाने की नीति से तात्पर्य एक देश द्वारा दूसरों की कीमत पर अपनी अर्थव्यवस्था को लाभ पहुंचाने के लिए अपनाए गए संरक्षणवादी आर्थिक उपायों से है।
  • उदाहरण के लिए :
    • व्यापार युद्ध:  विदेशी वस्तुओं को महंगा बनाने और स्थानीय उपभोग को बढ़ावा देने के लिए आयात पर उच्च कर लगाना। 
    • सख्त कोटा: घरेलू उद्योगों की सुरक्षा के लिए बाजार में प्रवेश करने वाली विदेशी वस्तुओं की मात्रा को सीमित करना।
      • उदाहरण के लिए: अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध (2018-2020) जहां दोनों देशों ने घरेलू उद्योगों की रक्षा के लिए, एक-दूसरे के उत्पादों पर टैरिफ लगाया।
    • मुद्रा युद्ध: केंद्रीय बैंक निर्यात को सस्ता बनाने और आयात को हतोत्साहित करने के लिए घरेलू मुद्रा का अवमूल्यन करते हैं, जिससे घरेलू निर्यात को बढ़ावा मिलने की उम्मीद होती है।
      • उदाहरण के लिए : 2008 के बाद के वैश्विक वित्तीय संकट में, जहां जापान और यूरोजोन जैसे देशों ने अपनी मुद्राओं को कमजोर करने और निर्यात लाभ हासिल करने के लिए मात्रात्मक सहजता का सहारा लिया।

उत्पत्ति :

  • एडम स्मिथ का दृष्टिकोण:  एडम स्मिथ ने ‘द वेल्थ ऑफ नेशंस’ (1776) में, व्यापारिक नीतियों की आलोचना की, जिनका उद्देश्य संरक्षणवाद के माध्यम से धन में वृद्धि करना था, तथा इसके स्थान पर उन्होंने मुक्त व्यापार की वकालत की। 
    • उनका मानना ​​था कि किसी दूसरे राष्ट्र या नियोक्ता की कीमत पर एक देश को समृद्ध बनाने के बजाय, सभी राष्ट्र दीर्घकाल में मुक्त व्यापार से लाभान्वित हो सकते हैं।
  • व्यापारवादी: व्यापार अधिशेष प्राप्त करने के लिए टैरिफ और व्यापार बाधाओं जैसी नीतियों की वकालत करते थे। उनका मानना है कि, ये नीतियाँ अन्य देशों की कीमत पर राष्ट्रीय धन का कारण बन सकती हैं।

नीतियों के पक्ष में तर्क:

  • घरेलू अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देना: समर्थकों का तर्क है कि कुछ उद्योगों, विशेषकर नए-नए उभरते हुए, उद्योगों या राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े उद्योगों को संरक्षण देने से घरेलू रोजगार और आर्थिक विकास को बढ़ावा देने में मदद मिल सकती है। 
    • उदाहरण के लिए: भारत कृषि उत्पादन की   लागत कम करने के लिए किसानों को सब्सिडी देता है
    • भारत ने चीनी मोबाइल फोन के लिए टैरिफ बढ़ा दिया है और मोबाइल फोन के घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना शुरू की है , जिससे आयात में कमी आई है। 
  • मुद्रा अवमूल्यन: केंद्रीय बैंक घरेलू निर्यात को वैश्विक स्तर पर अधिक प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए मुद्रा अवमूल्यन का समर्थन कर सकते हैं, जिससे घरेलू उत्पादित वस्तुओं की मांग बढ़ सकती है। इसी तरह, कमज़ोर मुद्रा आयात को अधिक महंगा बनाती है, जिससे विदेशी खरीद हतोत्साहित हो सकती है।
  • व्यापार अधिशेष तर्क: व्यापार अधिशेष को लाभकारी माना जाता है, क्योंकि यह उच्च निर्यात और कम आयात के कारण मजबूत राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था का संकेत देता है।

नीतियों के विपक्ष में तर्क:

  • वैश्विक प्रतिशोध: इस दिशा में, एक मुख्य आलोचना यह है कि ये नीतियाँ अक्सर प्रतिशोधात्मक कार्रवाइयों की ओर ले जाती हैं। जब कोई देश टैरिफ लगाता है या अपनी मुद्रा का अवमूल्यन करता है, तो दूसरे देश भी उसी तरह प्रतिक्रिया कर सकते हैं।
    • इससे एक ऐसा परिदृश्य विकसित हो सकता है, जहां देश एक-दूसरे पर प्रतिस्पर्धी टैरिफ और मुद्रा अवमूल्यन लगाएंगे, जिससे वैश्विक व्यापार में काफी कमी आएगी।
  • ऐतिहासिक साक्ष्य: युद्धों के बीच की अवधि (प्रथम विश्व युद्ध और द्वितीय विश्व युद्ध के बीच) के दौरान, ऐसी संरक्षणवादी नीतियों ने वैश्विक व्यापार क्षेत्र में, तीव्र गिरावट में योगदान दिया, जिससे महामंदी और भी गंभीर हो गई। 
    • प्रतिस्पर्धी अवमूल्यन और प्रतिशोधात्मक टैरिफ की नीतियों ने आर्थिक अलगाव पैदा किया, जिससे वैश्विक आर्थिक संकट और गहरा गया।
  • वैश्विक व्यापार पर प्रभाव: अधिकांश, आर्थिक इतिहासकार अक्सर इस अवधि के दौरान वैश्विक सहयोग की विफलता को मंदी के पीछे एक महत्वपूर्ण कारक के रूप में इंगित करते हैं। 
    • आधुनिक समय के उदाहरणों में, चीन और जापान जैसे देशों पर संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे देशों पर निर्यात लाभ प्राप्त करने के लिए मुद्रा अवमूल्यन में संलग्न होने के आरोप शामिल हैं।

घरेलू उपभोक्ताओं पर प्रभाव:

  • उपभोक्ताओं के लिए उच्च कीमतें: हालांकि पड़ोसी को भिखारी बनाने की नीतियों से घरेलू उत्पादकों और कुछ राजनीतिक निर्वाचन क्षेत्रों को लाभ हो सकता है, लेकिन वे अक्सर उपभोक्ताओं को नुकसान पहुंचाती हैं। 
    • उदाहरण के लिए, विदेशी आयातों पर लगाए गए शुल्क से वस्तुओं की कीमतें बढ़ जाती हैं, क्रय शक्ति कम हो जाती है और घरेलू बाजार में मुद्रास्फीति बढ़ जाती है।
  • मुद्रा अवमूल्यन के परिणाम: जब कोई देश निर्यात को बढ़ावा देने के लिए अपनी मुद्रा का अवमूल्यन करता है, तो घरेलू उपभोक्ताओं को अपनी मुद्रा की क्रय शक्ति में कमी का सामना करना पड़ता है।
    • आयातित वस्तुएं अधिक महंगी हो जाती हैं, जिससे विदेशी उत्पादों पर निर्भर रहने वाले उपभोक्ताओं को नुकसान होता है।
  • व्यापार संघर्षों में वृद्धि: विदेशी टैरिफ के मुद्दे की प्रतिक्रिया में, टैरिफ लगाने जैसी प्रतिशोधात्मक कार्रवाई से व्यापार संघर्षों में वृद्धि हो सकती है, जिससे एक दुष्चक्र निर्मित हो सकता है, जो सभी संबंधित पक्षों को नुकसान पहुंचाता है।
  • चीन और अमेरिका का मामला: हाल के दिनों में, अमेरिका और चीन के बीच व्यापार युद्ध एक समकालीन उदाहरण है। जबकि चीनी वस्तुओं पर अमेरिकी टैरिफ अमेरिकी उत्पादकों की रक्षा के लिए डिज़ाइन किए गए हैं, वे अमेरिकी उपभोक्ताओं के लिए कीमतें बढ़ा सकते हैं, जबकि अमेरिकी निर्यात पर जवाबी टैरिफ चीनी उपभोक्ताओं को भी नुकसान पहुंचाते हैं।
  • दोहरा प्रभाव: इस संदर्भ में, विश्लेषकों का तर्क है कि टैरिफ लगाने से मूल भड़काने वाले देश की तुलना में, जवाबी कार्रवाई करने वाले देश को अधिक नुकसान हो सकता है। 
    • उदाहरण के लिए, यदि चीन अमेरिकी टैरिफ के खिलाफ जवाबी कार्रवाई करता है, तो इससे चीनी उपभोक्ताओं के लिए लागत बढ़ जाएगी, जबकि अमेरिकी उत्पादकों को चीनी वस्तुओं से कम प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ सकता है।

निष्कर्ष:

अतः संरक्षणवादी नीतियों पर निर्भर रहने के बजाय, देशों को वैश्विक प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देने, सतत आर्थिक विकास को बढ़ावा देने और व्यापारिक साझेदारों को नुकसान पहुँचने से बचाने के लिए नवाचार, कौशल विकास और बुनियादी ढांचे में निवेश पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।

मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यास प्रश्न:

प्रश्न: पड़ोसी को भिखारी बनाने की नीतियाँ, अल्पकालिक घरेलू लाभ का वादा करते हुए, अक्सर वैश्विक आर्थिक अस्थिरता की ओर ले जाती हैं। ऐतिहासिक साक्ष्य और वर्तमान व्यापार तनावों के आलोक में, इस कथन का विश्लेषण करें, विकासशील अर्थव्यवस्थाओं और वैश्विक व्यापार वास्तुकला के लिए, इसके निहितार्थों की चर्चा करें

(15 अंक, 250 शब्द)

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