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अमेरिकी राष्ट्रपति के कार्यकाल के प्रावधान : ट्रम्प सरकार की तीसरे कार्यकाल की चुनौतियाँ

Lokesh Pal April 08, 2025 05:00 28 0

संदर्भ:

हाल ही में, अपने दूसरे कार्यकाल हेतु निर्वाचित 78 वर्षीय अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति के रूप में तीसरे कार्यकाल हेतु भी इच्छा दोहराई है। 

अमेरिकी संविधान का 22वां संशोधन:

  • प्रावधान: अमेरिकी संविधान का 22वां संशोधन, जिसे 27 फरवरी, 1951 को अनुमोदित किया गया, अमेरिकी राष्ट्रपतियों को दो निर्वाचित कार्यकाल तक सीमित करता है 
  • पृष्ठभूमि: इस संवैधानिक संशोधन को फ्रेंकलिन डी. रूजवेल्ट के चार-टर्म राष्ट्रपतित्व (1933-1945) के जवाब में अधिनियमित किया गया था, जिसने जॉर्ज वाशिंगटन द्वारा स्थापित दो-टर्म की अलिखित मिसाल का उलंघन कर दिया था
  • प्रतिषेध: अतः यह संशोधन किसी भी व्यक्ति को  दो बार से अधिक राष्ट्रपति पद के लिए निर्वाचित होने से रोकता है
    • यदि किसी व्यक्ति ने किसी अन्य राष्ट्रपति के कार्यकाल में एक कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में, दो वर्ष से अधिक समय तक कार्य किया है (उदाहरण के लिए, कोई उप-राष्ट्रपति जो मृत्यु या त्यागपत्र के कारण राष्ट्रपति बन जाता है), तो वह केवल एक बार निर्वाचित होने के योग्य होता है।
  • अधिकतम कार्यकाल: इस प्रकार अमेरिकी राष्ट्रपति का अधिकतम  कार्यकाल 10 वर्ष (उत्तराधिकारी के रूप में दो वर्ष तथा दो पूर्ण कार्यकाल) होता है।
  • ट्रम्प की योग्यता: वर्तमान अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प 2017 से 2021 तक अपने प्रथम कार्यकाल के लिए राष्ट्रपति रहे और 2024 में उन्होंने पुनः चुनाव लड़ा। 22वें संशोधन के अनुसार, ट्रम्प तीसरे कार्यकाल के लिए अयोग्य हैं, क्योंकि वे पहले ही एक कार्यकाल पूरा कर चुके हैं और दूसरे कार्यकाल के लिए निर्वाचित हो चुके हैं। 

22 वें संशोधन को दरकिनार करने की रणनीतियाँ:

  • कूटनीतिक दृष्टिकोण : ट्रंप ने एक ऐसी रणनीति सुझाई है जिसके अनुसार, जेडी वेंस 2028 में राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव लड़ सकते हैं, जबकि ट्रंप उनकी सरकार में उपराष्ट्रपति होंगे। अगर वेंस राष्ट्रपति चुने जाते हैं, तो वह कुछ समय बाद अपने पद से इस्तीफा दे देंगे, जिससे ट्रंप उत्तराधिकार के माध्यम से राष्ट्रपति बन सकेंगे
  • कानूनी बाधा: हालांकि 12 वें संशोधन में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि जो व्यक्ति संवैधानिक रूप से राष्ट्रपति बनने के लिए अयोग्य है, वह उपराष्ट्रपति के रूप में भी कार्य नहीं कर सकता। 
    • चूंकि 22वें संशोधन के प्रावधानओं के तहत ट्रम्प को तीसरे कार्यकाल के लिए प्रतिबंधित किया गया है , इसलिए वे कानूनी रूप से उपराष्ट्रपति के रूप में भी कार्य नहीं कर सकते।
  • विश्लेषकों का मत : प्रोफेसर ब्रूस जी. पीबॉडी का सुझाव है कि हालांकि 22वां संशोधन ट्रम्प को तीसरे कार्यकाल के लिए निर्वाचित होने से रोकता है, लेकिन यह उन्हें दो कार्यकाल से अधिक राष्ट्रपति के रूप में सेवा करने से नहीं रोकता है।
  • व्यवहार्यता: यदि राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति दोनों अनुपलब्ध हो जाते हैं, तो सदन के अध्यक्ष राष्ट्रपति पद ग्रहण कर सकते हैं। हालाँकि, यह एक प्रावधान सैद्धांतिक है और राजनीतिक और व्यावहारिक चुनौतियों के कारण बहुत जटिल और असंभव है।

वैश्विक शीर्ष नेतृत्वकर्ताओं के कार्यकाल सीमा में बढ़त के उदाहरण :

  • रूसी राष्ट्रपति पुतिन: व्लादिमीर पुतिन लगातार दो कार्यकाल (2000-2008) के लिए रूस के राष्ट्रपति बने, जो 1993 के संविधान के अनुच्छेद 81(3) के तहत दो कार्यकाल की सीमा को पार कर गया
    • इस सीमा को पार करने के लिए, वह प्रधानमंत्री (2008-2012) बने, जबकि उनके सहयोगी दिमित्री मेदवेदेव ने राष्ट्रपति पद संभाला।
    • 2012 और 2018 में, पुतिन राष्ट्रपति के रूप में पुनः सत्ता पर लौटे और 2020 के संवैधानिक संशोधन के साथ , उनके कार्यकाल की गणना को फिर से निर्धारित किया गया, जिससे उन्हें संभवतः 2036 तक सत्ता में बने रहने की अनुमति मिल गई
  • तुर्की राष्ट्रपति : रेसेप तय्यप एर्दोगान ने राष्ट्रपति पद संभालने से पहले 2003 से 2014 तक तुर्की के प्रधानमंत्री के रूप में कार्य किया। 
    • 2017 के जनमत संग्रह में, एर्दोगन ने राष्ट्रपति पद की सीमा को समाप्त कर दिया, तुर्की को राष्ट्रपति प्रणाली में परिवर्तित कर दिया , जिससे उन्हें पारंपरिक बाधाओं से परे अपने शासन का विस्तार करने की अनुमति मिली।
  • चीनी राष्ट्रपति जिनपिंग : राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने भी 2018 में चीन की दो-कार्यकाल की राष्ट्रपति सीमा को सफलतापूर्वक समाप्त कर दिया, जिससे उन्हें अनिश्चित काल तक शासन करने की अनुमति मिल गई
  • जर्मनी के चांसलर : जर्मनी में चांसलर के लिए कोई निश्चित कार्यकाल सीमा नहीं होती , बल्कि उन्हें पद पर बने रहने के लिए  संसदीय समर्थन की आवश्यकता होती है।
    • जैसा कि एंजेला मार्केल ने 16 वर्षों तक चांसलर के रूप में कार्य किया, जिससे राजनीतिक स्थिरता और पार्टी विश्वास के माध्यम से दीर्घकालिक शासन की संभावना प्रदर्शित हुई।
  • कनाडा और ब्रिटेन: कनाडा और ब्रिटेन में प्रधानमंत्री निश्चित कार्यकाल सीमा से बंधे नहीं होते। उनका शासन पार्टी के विश्वास पर निर्भर करता है, जिससे उन्हें अनिश्चित काल तक नेतृत्व करने की अनुमति मिलती है जब तक कि उन्हें अपने संबंधित राजनीतिक दलों का समर्थन प्राप्त रहता है

भारत की संसदीय प्रणाली:

  • कोई कार्यकाल सीमा नहीं: अमेरिकी राष्ट्रपति प्रणाली या विश्व की अन्य प्रणालियों के विपरीत, भारत की संसदीय प्रणाली अपने प्रधानमंत्री पर कार्यकाल सीमा नहीं लगाती है। प्रधानमंत्री का कार्यकाल लोकसभा के विश्वास को बनाए रखने पर निर्भर करता है (अनुच्छेद 75 (3))।
  • विशेषताएं: उच्च संवैधानिक पदों पर कार्यकाल सीमा की अनुपस्थिति मतदाता संप्रभुतालोकतांत्रिक लचीलापन और संसदीय जवाबदेही सुनिश्चित करती है 
  • विस्तारित कार्यकाल: वर्तमान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी यदि 2029 तक पद पर बने रहते हैं तो उनका कार्यकाल 15 वर्ष अर्थात तीन कार्यकाल तक हो सकता है
  • अविश्वास प्रस्ताव: संसदीय जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए “अविश्वास प्रस्ताव” एक महत्वपूर्ण तंत्र है, क्योंकि यह प्रधानमंत्री के कार्यकाल को समाप्त कर सकता है। इससे संबंधित उल्लेखनीय उदाहरणों में शामिल हैं: 
    • वी.पी. सिंह 1990 में।
    • एच.डी. देवेगौड़ा 1997 में।
    • अटल बिहारी वाजपेई 1999 में।

निष्कर्ष:

अमेरिका के विपरीत, कई वैश्विक नेताओं ने संवैधानिक खामियों या सुधारों का उपयोग करके कार्यकाल की सीमा को दरकिनार कर दिया है या हटा दिया है। भारत की संसदीय प्रणाली प्रधानमंत्रियों के लिए अनिश्चित कार्यकाल की अनुमति देती है, बशर्ते कि वे लोक सभा का विश्वास बनाए रखें, जिससे लोकतांत्रिक जवाबदेही के भीतर लचीलापन सुनिश्चित हो सके।

मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यास प्रश्न:

प्रश्न: अमेरिकी संविधान का 22वां संशोधन राष्ट्रपति को दो निर्वाचित कार्यकालों तक सीमित करता है। इसके विपरीत, भारतीय संविधान प्रधानमंत्री पर ऐसी कोई कार्यकाल सीमा नहीं लगाता। भारत के संसदीय ढांचे के भीतर इस अनुपस्थिति के लोकतांत्रिक निहितार्थों की आलोचनात्मक जांच करें।

(15 अंक, 250 शब्द)

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