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सार्वजनिक वितरण प्रणाली : दीर्घकालिक परिचालन संबंधी अक्षमताएँ

Lokesh Pal November 12, 2024 05:15 8 0

संदर्भ: 

भारत में सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) सबसे कमज़ोर आबादी के मध्य खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक प्रमुख उपकरण के रूप में है। हालाँकि, लगातार इस प्रणाली की चुनौतियों ने इसकी दीर्घकालिक स्थिरता और प्रभावशीलता के विषय में चिंताएँ उत्पन्न की हैं।

खाद्य सब्सिडी आवंटन :

  • वित्त वर्ष 2023 में भारत ने खाद्य सब्सिडी के लिए 2.7 लाख करोड़ रुपये आवंटित किए हैं।
  • कुछ लोगों का तर्क है कि खाद्य सब्सिडी खाद्य सुरक्षा के लिए आवश्यक हैं, लेकिन इन्हें कृषि अनुसंधान एवं विकास, ग्रामीण बुनियादी ढाँचे और कौशल विकास में निवेश करने के लिए फिर से इस्तेमाल किया जा सकता है।
    • इन निवेशों से लंबी अवधि में अधिक लाभ मिलने की उम्मीद है, जिससे टिकाऊ कृषि विकास को बढ़ावा मिलेगा और ग्रामीण आजीविका में सुधार होगा।
  • हालाँकि कुछ लोग खाद्य सब्सिडी को केवल निवेश के रूप में देखते हैं।

सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) से संबंधित प्रमुख मुद्दे

  • निःशुल्क खाद्य आवंटन कवरेज तथा आँकड़े :
    • वर्तमान सार्वजनिक वितरण प्रणाली भारत की 57% आबादी को कवर करती है, जिससे यह सवाल उठता है कि क्या इस तरह का व्यापक वितरण आवश्यक है।
    • विश्व बैंक (2022) के आंकड़ों के अनुसार, 12.9% भारतीय अभी भी प्रतिदिन $2.15 (पीपीपी) से कम पर जीवन यापन कर रहे हैं, जो अत्यधिक गरीबी को दर्शाता है।
    • हालाँकि, नीति आयोग (2024) की रिपोर्ट में गरीबी में उल्लेखनीय कमी को दर्शाया गया है, जिसमें पिछले नौ वर्षों में 248 मिलियन लोग गरीबी से बाहर निकले हैं।
    • बहुआयामी गरीबी सूचकांक (एमडीपीआई) 2013-14 में 29.17% से घटकर 2022-23 में 11.28% हो गया। 
  • सार्वजनिक वितरण प्रणाली में समस्या :
    • एक रिपोर्ट के मुताबिक सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत आवंटित खाद्यान्न का लगभग 28% (लगभग 19.69 मिलियन मीट्रिक टन चावल और गेहूं) लक्षित लाभार्थियों तक नहीं पहुँच पाता है। 
      • इसके परिणामस्वरूप लगभग 69,108 करोड़ रुपये का वार्षिक नुकसान होता है।
    • PoS मशीनों और बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण जैसे तकनीकी हस्तक्षेपों के बावजूद, सार्वजनिक वितरण प्रणाली में समस्या एक चुनौती बनी हुई है।
    • हालाँकि यह समस्या 2011-12 (शांता कुमार समिति, 2015) में 46% से घटकर आज 28% हो गया है, फिर भी यह महत्वपूर्ण रूप से बना हुआ है।
  • पोषण सुरक्षा:
    • घरेलू उपभोग व्यय सर्वेक्षण (HCES) के आँकड़ों से पता चलता है कि 2011-12 की तुलना में 2022-23 में दालों और सब्जियों पर खर्च में कमी आई है, जिसके परिणामस्वरूप कुल आहार विविधता में कमी आई है।
    • राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (2019-21) के अनुसार, पाँच वर्ष से कम आयु के 35.5% बच्चे बौनेपन की समस्या से ग्रसित हैं, 19.3% कमजोर हैं और 32.1% कम वजन के हैं। 
      • यह गंभीर कुपोषण की समस्या की ओर इशारा करता है जिसे केवल मुफ़्त अनाज अर्थात सार्वजनिक वितरण प्रणाली से हल नहीं किया जा सकता है।

सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) में सुधार की आवश्यकता

  • निःशुल्क भोजन के कवरेज पर पुनर्विचार करना : अत्यधिक गरीबी रेखा (अंत्योदय) से ऊपर के लोगों को अपने द्वारा प्राप्त भोजन के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) का कम से कम आधा भुगतान करके योगदान देना चाहिए, जैसा कि 1997-98 में शुरू किए गए लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत किया गया था।
  • कृषि निवेशों के लिए बचत को पुनर्निर्देशित करना : गरीबी रेखा से ऊपर के लोगों के लिए सब्सिडी कम करने से होने वाली बचत को कृषि अनुसंधान एवं विकास, ग्रामीण बुनियादी ढाँचे और जलवायु-लचीले व्यवहारों में पुनर्निवेशित किया जा सकता है, जिससे दीर्घकालिक खाद्य सुरक्षा को बढ़ावा मिलेगा और सब्सिडी पर निर्भरता कम होगी।
  • सीधे नकद हस्तांतरण के माध्यम से लीकेज को रोकना : लगातार लीकेज या रिसाव की समस्या को रोकने के लिए, सरकार भौतिक खाद्यान्न वितरण के बजाय लाभार्थियों के खातों में सीधे नकद हस्तांतरण कर सकती है।
  • पोषण सुरक्षा में सुधार करना : यह प्रस्ताव है कि कुछ उचित मूल्य की दुकानों (FPS) को “पोषण केंद्रों” में परिवर्तित किया जाए, जो सामान्य अनाज के साथ-साथ विभिन्न पौष्टिक उत्पादों, जैसे- अंडे, दालें, बाजरा और फलों का आवंटन करके कुपोषण की बढ़ती चिंताओं को दूर करने में सहायक हो सकती है।
    • यह कार्य डिजिटल खाद्य कूपन प्रणाली का उपयोग करके किया जा सकता है, जिसका उपयोग लाभार्थी विभिन्न प्रकार के पौष्टिक खाद्य पदार्थों को प्राप्त करने के लिए कर सकते हैं।

निष्कर्ष :

स्वस्थ भारत व विकसित भारत के दृष्टिकोण हेतु सार्वजनिक वितरण प्रणाली में सुधार करना आवश्यक है। लक्षित सुधारों के माध्यम से, हम भारत के विकास और वृद्धि लक्ष्यों के अनुरूप एक अधिक कुशल, टिकाऊ और लचीली खाद्य सुरक्षा प्रणाली का निर्माण कर सकते हैं।

मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यास प्रश्न 

प्रश्न: परिचालन संबंधी अक्षमताएँ सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पी.डी.एस.) में रिसाव की समस्या में किस प्रकार योगदान करती हैं, तथा इन मुद्दों के समाधान के लिए सबसे प्रभावी समाधान क्या हो सकते हैं? 

(10 अंक, 150 शब्द)

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