100% तक छात्रवृत्ति जीतें

रजिस्टर करें

सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट : बॉम्बे प्लेग (1896) पर एक अंतर्दृष्टि

Lokesh Pal December 07, 2024 05:45 32 0

संदर्भ: 

आधुनिक चुनौतियों से निपटने के लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट, निगरानी और  शासन के बीच के अंतर्सम्बन्ध को समझना बहुत ज़रूरी है। 1896 के बॉम्बे प्लेग के आँकड़ों से ज्ञात होता है कि मानचित्रण, पुलिसिंग और नियंत्रण जैसे साधनों ने किस तरह सार्वजनिक स्वास्थ्य रणनीतियों को सूचित किया, जो आज के लिए मूल्यवान सबक प्रदान करते हैं। 

औपनिवेशिक भारत पर बम्बई प्लेग का प्रभाव:

1896-97 का बम्बई प्लेग औपनिवेशिक भारत में एक विनाशकारी घटना थी, जो सुदूर      पूर्व के साथ व्यापार मार्गों के माध्यम से बम्बई में उत्पन्न हुई थी। 

  • यह महामारी तेजी से बम्बई प्रेसीडेंसी और पड़ोसी क्षेत्रों में फैल गयी और अंततः 1899 तक 370,000 से अधिक लोगों की इससे जान चली गयी। 
  • इस संकट ने औपनिवेशिक भारत के सार्वजनिक स्वास्थ्य ढांचे की गंभीर कमजोरियों को उजागर किया। 

औपनिवेशिक सरकार की प्रतिक्रिया और दृष्टिकोण:

औपनिवेशिक सरकार ने महामारी की जांच के लिए 1898 में टीआर फ्रेजर की अध्यक्षता  में भारतीय प्लेग आयोग की स्थापना की । इस आयोग ने व्यापक शोध के माध्यम से एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार की। 

1. सार्वजनिक स्वास्थ्य के बजाय नियंत्रण पर जोर: भारतीय प्लेग आयोग की प्रतिक्रिया में सार्वजनिक स्वास्थ्य के नियंत्रण पर जोर दिया गया। 

  • जॉन स्नो के 1854 के हैजा मानचित्र के विपरीत, जिसमें रोग प्रसार पर ध्यान केंद्रित किया गया था, उनके मानचित्रों में रेलवे लाइनों, संगरोध क्षेत्रों और पुलिस घेराबंदी पर प्रकाश डाला गया था, ताकि गतिशीलता पर नजर रखी जा सके और नियंत्रण लागू किया जा सके। 
  • उदाहरण के लिए, रेलवे प्लेग निरीक्षण स्टेशन मानचित्र और चौसा अवलोकन शिविर योजना में निगरानी और पुलिस व्यवस्था को प्राथमिकता दी गई। 
  • यह औपनिवेशिक प्राथमिकताओं को दर्शाता है, जिन्होंने प्लेग को सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट के बजाय एक सुरक्षा मुद्दा माना, जिसके लिए समुदाय-आधारित समाधान की आवश्यकता थी।

2. पुलिस व्यवस्था और प्लेग का प्रबंधन: पुलिस व्यवस्था प्लेग के प्रबंधन में केन्द्रीय भूमिका निभा रही थी, जिसमें अधिकारी पृथकवास लागू करते थे, आवागमन पर निगरानी रखते थे और आंकड़े एकत्र करते थे। 

  • रेलवे स्टेशनों पर निगरानी शिविरों की जिम्मेदारी पुलिस की थी, जबकि अस्पतालों और नगर पालिकाओं को सैन्य वार्ड के अर्दली सहायता प्रदान कर रहे थे। 
  • धीरे-धीरे पुलिस स्टेशन डेटा केन्द्र बन गए, जहां स्थानीय चौकीदारों ने अधिकारियों को मौतों की सूचना देना प्रारंभ कर दिया, जिससे महामारी नियंत्रण में कानून प्रवर्तन की भूमिका मजबूत हुई।

 

नोट: भारत के 22वें विधि आयोग ने महामारी रोग अधिनियम, 1897 की अपनी व्यापक समीक्षा में पाया कि औपनिवेशिक शासन के तहत “राज्य की बेलगाम और असंगत शक्तियों” के कारण प्रभावी रोग नियंत्रण के बजाय सत्ता का दुरुपयोग हुआ। आधुनिक समय में चिकित्सा पेशेवरों द्वारा निगरानी की भूमिका निभाने की दिशा में बदलाव देखा गया है, जो पुलिस बनाम चिकित्सा कर्मियों के उचित कार्यों के बारे में विकसित सार्वजनिक स्वास्थ्य रणनीतियों और नैतिक विचारों को दर्शाता है। 

आधुनिक स्वास्थ्य निगरानी और नीति के लिए व्यापक निहितार्थ:

बम्बई प्लेग के दौरान निगरानी और पुलिसिंग का ऐतिहासिक उपयोग आधुनिक  सार्वजनिक स्वास्थ्य नीति और निगरानी प्रणालियों के विकास के बारे में बहुमूल्य अंतर्दृष्टि प्रदान करता है।

  • निगरानी और विकास : महामारी की निगरानी में पुलिस से स्वास्थ्य पेशेवरों की ओर बदलाव बेहतर नैतिक मानकों और रोगी देखभाल को दर्शाता है। ऐसी नीतियाँ वर्तमान संदर्भ में भी निगरानी प्रवर्तन पर स्वास्थ्य विशेषज्ञता को प्राथमिकता देती है।
  • स्वास्थ्य समस्याओं को परिभाषित करना: नियंत्रण पर ऐतिहासिक ध्यान व्यक्तिगत और सामुदायिक कल्याण को केंद्र में रखने के लिए आधुनिक नीतियों की आवश्यकता पर प्रकाश डालता है। स्वास्थ्य हस्तक्षेपों में देखभाल और अधिकारों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।
  • नैतिक विचार: औपनिवेशिक नियंत्रण पद्धतियाँ अनेक नैतिक प्रश्न उठाती हैं। समकालीन नीतियों को व्यक्तिगत स्वतंत्रता की रक्षा और असमानताओं को कम करने के साथ प्रभावी निगरानी को संतुलित करना चाहिए।
  • स्वास्थ्य डेटा में शक्ति गतिशीलता: बॉम्बे प्लेग के दौरान नियंत्रण के लिए डेटा का दुरुपयोग, असमानताओं को बनाए रखने से बचने के लिए न्यायसंगत, पारदर्शी स्वास्थ्य डेटा उपयोग के महत्व को रेखांकित करता है।
  • निरंतरता और परिवर्तन: हालांकि, आधुनिक स्वास्थ्य प्रशासन में निगरानी और नियंत्रण पर ऐतिहासिक निर्भरता बनी हुई है, परंतु उन्नत प्रौद्योगिकियां अब स्वास्थ्य निगरानी और जनसंख्या डेटा संग्रहण में पारदर्शिता और समावेशिता पर ध्यान केंद्रित करने की ओर विचार कर रही हैं।

निष्कर्ष:

आज, ऐसी सार्वजनिक स्वास्थ्य नीतियाँ विकसित करना आवश्यक हो चुका है जो व्यक्तिगत अधिकारों का सम्मान करें, पारदर्शिता को बढ़ावा दें और सरकारों एवं समुदायों के बीच विश्वास को बढ़ावा देने में सक्षम हो सके। अतीत से सीखते हुए, हम ऐसी प्रणालियाँ विकसित कर सकते हैं जो न केवल प्रभावी हों बल्कि न्यायसंगत भी हों। इससे  यह सुनिश्चित किया जा सकेगा कि सभी लोगों की स्वास्थ्य ज़रूरतें हानिकारक शक्ति गतिशीलता को मजबूत किए बिना पूर्ण हो सकें।

Final Result – CIVIL SERVICES EXAMINATION, 2023. PWOnlyIAS is NOW at three new locations Mukherjee Nagar ,Lucknow and Patna , Explore all centers Download UPSC Mains 2023 Question Papers PDF Free Initiative links -1) Download Prahaar 3.0 for Mains Current Affairs PDF both in English and Hindi 2) Daily Main Answer Writing , 3) Daily Current Affairs , Editorial Analysis and quiz , 4) PDF Downloads UPSC Prelims 2023 Trend Analysis cut-off and answer key

THE MOST
LEARNING PLATFORM

Learn From India's Best Faculty

      

Final Result – CIVIL SERVICES EXAMINATION, 2023. PWOnlyIAS is NOW at three new locations Mukherjee Nagar ,Lucknow and Patna , Explore all centers Download UPSC Mains 2023 Question Papers PDF Free Initiative links -1) Download Prahaar 3.0 for Mains Current Affairs PDF both in English and Hindi 2) Daily Main Answer Writing , 3) Daily Current Affairs , Editorial Analysis and quiz , 4) PDF Downloads UPSC Prelims 2023 Trend Analysis cut-off and answer key

<div class="new-fform">







    </div>

    Subscribe our Newsletter
    Sign up now for our exclusive newsletter and be the first to know about our latest Initiatives, Quality Content, and much more.
    *Promise! We won't spam you.
    Yes! I want to Subscribe.