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Lokesh Pal August 31, 2024 05:15 101 0
भगथला खुर्द (फरीदकोट), कपूरथला और अमृतसर के किसान कीटनाशक और उर्वरक के छिड़काव के लिए ड्रोन का इस्तेमाल कर रहे हैं। ‘नमो ड्रोन दीदी’ योजना के तहत, भारतीय किसान उर्वरक सहकारी (इफको) नीतियों के द्वारा उपलब्ध कराए गए 100 में से 93 ड्रोन चालू हैं, जिनमें से प्रत्येक की कीमत 16 लाख रुपये है और 12 लीटर का टैंक है।
केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय द्वारा शुरू की गई ‘नमो ड्रोन दीदी’ योजना का उद्देश्य ग्रामीण महिलाओं को कृषि कार्यों के लिए ड्रोन पायलट बनने का प्रशिक्षण देकर उन्हें सशक्त बनाना है।
इन महिलाओं की सहायता के लिए, भारत सरकार नमो ड्रोन दीदी योजना के तहत पर्याप्त लाभ प्रदान करती है। ड्रोन की लागत पर 80% सब्सिडी, अधिकतम 8 लाख रुपये तक, स्वयं सहायता समूहों (SHG) को प्रदान की जाती है। इसके अतिरिक्त, शेष लागत को कृषि अवसंरचना कोष (AIF) के तहत उपलब्ध ऋणों के माध्यम से वित्तपोषित किया जा सकता है, जिस पर 3% की मामूली ब्याज दर का प्रावधान है।
इस योजना में महिलाओं को ड्रोन को प्रभावी ढंग से संचालित करने के लिए व्यापक प्रशिक्षण भी शामिल है। किसानों को ये ड्रोन किराए पर दिये जा सकते हैं , जिससे स्वयं सहायता समूहों को प्रति वर्ष 1 लाख रुपये की अतिरिक्त आय अर्जित करने का अवसर मिल सकता है।
कीटनाशकों का मैन्युअल छिड़काव श्रम-साध्य है और इससे श्रमिक हानिकारक रसायनों के संपर्क में आते हैं। कीटनाशकों और रासायनिक उर्वरकों के साथ लंबे समय तक संपर्क किसानों के स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाता है। ड्रोन प्रति एकड़ कीटनाशकों का छिड़काव 5-7 मिनट में पूरा कर लेते हैं, जबकि मैन्युअल रूप से इसे करने में अत्यधिक समय की आवश्यकता होती है।
कृषि में ड्रोन का उपयोग उनकी परिवर्तनकारी क्षमता को उजागर करता है, जो सटीक निगरानी, कीटनाशक का उपयोग और डेटा संग्रह प्रदान करता है। ड्रोन दक्षता बढ़ाते हैं और लागत कम करते हैं, जिससे छोटे और सीमांत किसानों को लाभ होता है। हालाँकि, इस तकनीकी को व्यापक रूप से अपनाने के लिए विनियमन, उच्च लागत और प्रशिक्षण जैसी चुनौतियों का समाधान करने की आवश्यकता है।
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