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नेपाल में राजा ज्ञानेंद्र की रैली तथा संबंधित भारत-नेपाल विवाद

Lokesh Pal March 12, 2025 05:30 10 0

संदर्भ:

के.पी. शर्मा ओली सरकार के प्रति असंतोष के बीच नेपाल के पूर्व नरेश ज्ञानेंद्र शाह की काठमांडू में हुई रैली को लोगों का भारी समर्थन मिला। इस कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पोस्टर ने विवाद खड़ा कर दिया।

नेपाल राजतंत्र और गोरखनाथ मठ के बीच ऐतिहासिक संबंध

  • इष्टदेवशाह राजवंश गोरखनाथ को अपना इष्टदेव मानता है। ज्ञानेंद्र का गोरखनाथ मठ से गहरा संबंध है, नेपाल के पूर्व राजा पारंपरिक रूप से इस संप्रदाय से आशीर्वाद लेते रहे हैं।
  • वैचारिक संबंध: गोरखनाथ मठ के प्रमुख के रूप में योगी आदित्यनाथ नेपाल के शाही वंश के साथ वैचारिक संबंध साझा करते हैं।

भारत-नेपाल संबंध

  • राजनीतिक परिवर्तन: यूपीए सरकार (2004-2014) ने नेपाल के राजतंत्र से गणतंत्र में परिवर्तन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। योगी आदित्यनाथ ने राजतंत्र को हटाने का विरोध किया, जिस दृष्टिकोण पर वे अब भी कायम हैं।
  • भारत विरोधी भावनाएँ: कई नेपाली भारत की भागीदारी को अपनी राजनीति में हस्तक्षेप के रूप में देखते हैं। ज्ञानेंद्र की रैली के नारे राजशाही की वापसी की माँग करते थे, जिसमें “राजा आना चाहिए, देश को बचाना चाहिए” जैसे नारे शामिल थे।
  • हालिया वार्ता: राष्ट्रीय सुलह के लिए अपने आह्वान से पहले ज्ञानेंद्र ने लखनऊ और गोरखपुर में योगी आदित्यनाथ से वार्ता की। उनके सहयोगियों का कहना है कि यह वार्ता धार्मिक थी, राजनीतिक नहीं।

नेपाल राजशाही की पृष्ठभूमि:

राजा बीरेंद्र का शासनकाल (1972-2001)

  • राजा बीरेन्द्र 1972 में अपने पिता राजा महेन्द्र की मृत्यु के बाद नेपाल के सम्राट बने।
  • शाही नरसंहार (2001): 1 जून, 2001 को राजा बीरेंद्र, रानी ऐश्वर्या और अधिकांश शाही परिवार की नारायणहिती पैलेस के अंदर रहस्यमय परिस्थितियों में हत्या कर दी गई थी।

राजा दीपेन्द्र का संक्षिप्त शासनकाल (1-4 जून, 2001)

  • नरसंहार का आरोपी: क्राउन प्रिंस दीपेन्द्र को शाही नरसंहार का अपराधी घोषित किया गया, कथित तौर पर उनके विवाह के निर्णय को लेकर मतभेद के कारण।
  • सम्राट: कथित तौर पर स्वयं को गोली मारने के बाद कोमा में होने के बावजूद, दीपेंद्र को शाही परंपराओं के अनुसार राजा घोषित किया गया।
  • मृत्यु और उत्तराधिकार: 4 जून, 2001 को उनकी मृत्यु हो गई, जिसके बाद उनके चाचा ज्ञानेन्द्र को राज्याभिषेक का दायित्व सौंपा गया।

राजा ज्ञानेंद्र का शासनकाल (2001-2008)

  • सत्ता में वृद्धि: दीपेन्द्र की मृत्यु के बाद, राजा बीरेन्द्र के छोटे भाई ज्ञानेन्द्र को नेपाल का राजा बनाया गया।
  • सत्तावादी शासन: 2005 में, राजनीतिक अस्थिरता और माओवादी विद्रोह का हवाला देते हुए, उन्होंने सरकार को बर्खास्त कर दिया और पूर्ण सत्ता अपने हाथ में ले ली।
  • जन आंदोलन (2006): व्यापक विरोध प्रदर्शन ने ज्ञानेंद्र को भंग संसद को बहाल करने के लिए मजबूर किया।
  • राजशाही का अंत: 2007 में नेपाल को संघीय लोकतांत्रिक गणराज्य घोषित किया गया। 28 मई,  2008 को संविधान सभा द्वारा आधिकारिक तौर पर राजशाही को समाप्त कर दिया गया, जिससे 240 वर्ष पुराना शाह वंश का शासन समाप्त हो गया।

निष्कर्ष:

गोरखनाथ मठ से गहराई से जुड़ी नेपाल की राजशाही 2008 में राजा ज्ञानेंद्र के तानाशाही शासन के खिलाफ बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शनों के बाद समाप्त हो गई थी। राजशाही के प्रति बढ़ती उदासीनता नेपाल के राजनीतिक नेतृत्व के प्रति जनता के असंतोष को दर्शाती है।

मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यास प्रश्न

नेपाल में हाल ही में हुए घरेलू राजनीतिक घटनाक्रम, जिसमें राजशाही भावनाओं का पुनः उभरना भी शामिल है, इस क्षेत्र में भारत के रणनीतिक हितों को किस प्रकार प्रभावित करते हैं? नेपाल के उभरते राजनीतिक परिदृश्य में भारत के लिए चुनौतियों और अवसरों का आकलन कीजिए।

(15 अंक, 250 शब्द)

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