100% तक छात्रवृत्ति जीतें

रजिस्टर करें

रैंकिंग एजेंसियाँ : विश्वविद्यालयों के लिए प्रोत्साहन या हतोत्साहन

Lokesh Pal October 04, 2024 05:45 10 0

संदर्भ: 

आज के डिजिटल युग में, शिक्षा को परिमाणित करने का चलन बढ़ रहा है, वैश्विक रैंकिंग एजेंसियां ​​हर साल विश्वविद्यालयों का मूल्यांकन कर उन्हें रैंकिंग प्रदान करती हैं। कई लोगों का मानना ​​है कि किसी विशेष मानदंड के अभाव में इस प्रकार से रैंकिंग प्रदान करना उच्च शिक्षा की गुणवत्ता और अखंडता को कमज़ोर कर सकता है।

नोट: भारत में विभिन्न मापदंडों के आधार पर विश्वविद्यालयों का मूल्यांकन कर उन्हें रैंकिंग प्रदान करने के लिए राष्ट्रीय संस्थागत रैंकिंग फ्रेमवर्क (एनआईआरएफ) का उपयोग किया जाता है।

विश्वविद्यालयों का विकास में योगदान :

  • शिक्षा और मार्गदर्शन :विश्वविद्यालय भावी नागरिकों को पढ़ाने और मार्गदर्शन देने के लिए जिम्मेदार हैं।
  • अनुसंधान और कौशल शिक्षण :अनुसंधान और कौशल शिक्षण शिक्षा रूपी सिक्के के दो पहलू हैं जिसमें ज्ञान सृजन और प्रसार भी शामिल है।
    • ज्ञान का प्रसार : अनुसंधान के माध्यम से एकत्रित ज्ञान को समाज तक विस्तृत करने में विश्वविद्यालय महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
  • सामाजिक और आर्थिक प्रभाव :विश्वविद्यालय शिक्षा प्रदान करके, नवाचार और उद्यमशीलता को बढ़ावा देकर तथा सांस्कृतिक केंद्रों के रूप में कार्य करके सामाजिक गतिशीलता और आर्थिक विकास को बढ़ाते हैं, जिससे सामाजिक संरचनाओं के समग्र विकास पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है। 

वर्तमान रैंकिंग प्रणाली की चुनौतियाँ :

  • बहु-आयामी दृष्टिकोण का अभाव :वैश्विक विश्वविद्यालय रैंकिंग प्रणाली मुख्य रूप से अनुसंधान गतिविधियों को प्राथमिकता देती है, जिससे एक-आयामी मूल्यांकन ढांचा तैयार होता है जो शिक्षा के अन्य आवश्यक पहलुओं को नजरअंदाज कर देता है।
  • शोध के मात्रात्मक मीट्रिक जोर : ये रैंकिंग प्रकाशित शोध पत्रों की संख्या और शोध निधि जैसे मात्रात्मक मीट्रिक पर बहुत अधिक ध्यान केंद्रित करती हैं। यह जोर एक ऐसी संस्कृति को बढ़ावा देता है जहाँ शोध आउटपुट विश्वविद्यालय के मूल्य का प्राथमिक संकेतक बन जाता है, जो अक्सर शिक्षण के महत्व को कम कर देता है।
  • अध्यापन का हाशिए पर जाना : रेंकिंग प्रणाली के परिणामस्वरूप, नौकरी के उम्मीदवारों का मूल्यांकन मुख्य रूप से उनके शोध मापदंडों के आधार पर किया जाता है, जिससे शिक्षकों की महत्वपूर्ण भूमिका कम हो जाती है, जिनका प्राथमिक कार्य छात्रों का पोषण और मार्गदर्शन करना होना चाहिए।
  • अमेरिकी शिक्षा मॉडल का प्रभाव : भारत द्वारा बाजार सिद्धांतों से प्रभावित होकर अमेरिकी शिक्षा मॉडल को अपनाने से ये चुनौतियाँ और बढ़ गई हैं।
    • उच्च शिक्षा वित्तपोषण एजेंसी (HEFA) जैसी पहलों का उद्देश्य वैश्विक रैंकिंग को बढ़ावा देना है, जिससे अक्सर शैक्षिक गुणवत्ता से समझौता हो जाता है और विश्वविद्यालयों का ध्यान विद्यार्थी शिक्षा के बजाय रेंकिंग दृष्टिकोण की ओर उन्मुख हो जाता है।
  • संकाय और छात्रों हेतु प्रकाशन को प्राथमिकता :  अनुसंधान पर ध्यान केंद्रित करने से ऐसा वातावरण तैयार होने लगा है, जहां संकाय सदस्यों पर मार्गदर्शन की अपेक्षा प्रकाशन को प्राथमिकता देने का दबाव महसूस होता है।
    • यह “प्रकाशित करो या नष्ट हो जाओ” की मानसिकता शिक्षा में जवाबदेही और गुणवत्ता की उपेक्षा करती है, जो अंततः छात्रों के सीखने के अनुभव को कम करती है।
  • शोध में कदाचार : प्रकाशन और उच्च रैंकिंग प्राप्त करने के तीव्र दबाव के कारण हेरफेर और साहित्यिक चोरी सहित अनैतिक शोध प्रथाओं को बढ़ावा मिल सकता है।

वर्तमान रैंकिंग प्रणाली के निहितार्थ :

  • मान्यता व प्रसिद्धि बढ़ाना : एक मजबूत विश्व रैंकिंग वैश्विक स्तर पर विश्वविद्यालय की मान्यता व प्रसिद्धि बढ़ाती है।
  • प्रतिभा को आकर्षित करना : उच्च रैंकिंग से अंतर्राष्ट्रीय छात्रों, शीर्ष स्तरीय संकाय, शैक्षणिक साझेदारों, परोपकारियों और अनुदान दाताओं को आकर्षित करने में मदद मिलती है।

निष्कर्ष:

यद्यपि विश्वविद्यालयों को यह समझना चाहिए कि वैज्ञानिक प्रगति और आर्थिक विकास के लिए शोध पत्र आवश्यक हैं, लेकिन प्रभाव स्कोर और जर्नल रैंकिंग जैसे कारकों को मूल मिशन पर हावी नहीं होना चाहिए। शिक्षण और मार्गदर्शन को समान रूप से महत्व दिया जाना चाहिए, क्योंकि विश्वविद्यालय ज्ञान के निर्माण और प्रसार दोनों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, जिससे एक समृद्ध समाज का निर्माण होता है।

मुख्य परीक्षा पर आधारित प्रश्न:

प्रश्न: विश्वविद्यालय रैंकिंग पर वैश्विक जोर ने भारत की उच्च शिक्षा नीति और संस्थागत प्रथाओं को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित किया है। भारत में उच्च शिक्षा की गुणवत्ता और पहुंच पर इस प्रवृत्ति के प्रभाव की आलोचनात्मक जांच करें। 

(15 अंक, 250 शब्द)

Final Result – CIVIL SERVICES EXAMINATION, 2023. PWOnlyIAS is NOW at three new locations Mukherjee Nagar ,Lucknow and Patna , Explore all centers Download UPSC Mains 2023 Question Papers PDF Free Initiative links -1) Download Prahaar 3.0 for Mains Current Affairs PDF both in English and Hindi 2) Daily Main Answer Writing , 3) Daily Current Affairs , Editorial Analysis and quiz , 4) PDF Downloads UPSC Prelims 2023 Trend Analysis cut-off and answer key

THE MOST
LEARNING PLATFORM

Learn From India's Best Faculty

      

Final Result – CIVIL SERVICES EXAMINATION, 2023. PWOnlyIAS is NOW at three new locations Mukherjee Nagar ,Lucknow and Patna , Explore all centers Download UPSC Mains 2023 Question Papers PDF Free Initiative links -1) Download Prahaar 3.0 for Mains Current Affairs PDF both in English and Hindi 2) Daily Main Answer Writing , 3) Daily Current Affairs , Editorial Analysis and quiz , 4) PDF Downloads UPSC Prelims 2023 Trend Analysis cut-off and answer key

<div class="new-fform">







    </div>

    Subscribe our Newsletter
    Sign up now for our exclusive newsletter and be the first to know about our latest Initiatives, Quality Content, and much more.
    *Promise! We won't spam you.
    Yes! I want to Subscribe.