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भारत में बलात्कार, आखिर क्यों?

Lokesh Pal August 20, 2024 05:15 45 0

संदर्भ :

हाल ही में कोलकाता के आर.जी. कर अस्पताल में ड्यूटी पर तैनात एक महिला चिकित्सक के निर्मम बलात्कार और हत्या की दुखद घटना के बाद भारत में बलात्कार संबंधी मामलों पर चर्चा पुनः शुरू हो गई है |

बलात्कार के बहुआयामी कारण

  • पितृसत्ता और लैंगिक असमानता : बलात्कार की जड़ें पितृसत्तात्मक संरचना में गहराई से जमी हुई हैं, जहाँ पुरुषों को सामान्यतः महिलाओं से श्रेष्ठ माना जाता है। उदाहरण के लिए कई घरों में क्या खरीदना है?, रात के खाने में क्या खाना है?, आदि निर्णय पुरुषों द्वारा लिए जाते हैं।
    • यह असमानता इस विचार को बनाए रखती है कि महिलाएँ अधीनस्थ हैं और उन्हें नियंत्रित या अपमानित किया जा सकता है। साथ ही पुरुष जन्म से ही श्रेष्ठ हैं।
    • महिलाओं पर प्रभुत्व स्थापित करने के लिए पुरुषों की सामाजिक कंडीशनिंग, बलात्कार जैसे हिंसक कृत्यों को जन्म दे सकती है।
  • सांस्कृतिक मानदंड और स्त्रीद्वेष : स्त्रीद्वेष, जो महिलाओं के प्रति घृणा या पूर्वाग्रह को संदर्भित करता है, कई समाजों में प्रचलित है जहाँ महिलाओं को वस्तु के रूप में देखा जाता है और उनका अवमूल्यन किया जाता है।
    • उदाहरणस्वरूप वॉशिंग पाउडर जैसे उत्पादों के विज्ञापनों पर विचार करें, जहाँ केवल महिलाओं को दिखाया जाता है | लड़कों को गुड़ियों से खेलने से हतोत्साहित किया जाता है और उन्हें ‘पुरुष बनने’ के लिए कहा जाता है, यह इस विचार को पुष्ट करता है कि केवल लड़कियाँ ही गुड़ियों से खेलती हैं, जो एक प्रकार का पूर्वाग्रह है।
    • सांस्कृतिक मानदंड जो पुरुष श्रेष्ठता, पीड़ित को दोषी ठहराने और महिलाओं को यौन सुचिता से जोड़ते हैं तथा ऐसी मानसिकता को बढ़ावा देते हैं जो महिलाओं के खिलाफ यौन हिंसा को उचित ठहराती है या सामान्य बनाती है।
    • ऐसे उदाहरण भी हैं, जहाँ बलात्कार पीड़ितों को बोलने के लिए ट्रोल किया जाता है, “एक हाथ से ताली कभी नहीं बजती” या “उसने शायद छोटे कपड़े पहने होंगे”, “अकेले घूम रही होगी” जैसी टिप्पणियों के साथ, जो अपराध को संबोधित करने के बजाय पीड़िता को दोषी ठहराते हैं।
  • शिक्षा और जागरूकता का अभाव : अपर्याप्त यौन शिक्षा और सहमति जैसे विषयों के बारे में जागरूकता की कमी बलात्कार की व्यापकता में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
    •  जब व्यक्तियों को स्वस्थ यौन संबंधों, सीमाओं और आपसी सहमति के महत्त्व के बारे में नहीं सिखाया जाता है, तो वे यौन व्यवहार और संबंधों के बारे में विकृत दृष्टिकोण विकसित कर सकते हैं।
    • हालाँकि स्कूलों ने “गुड टच बैड टच” के बारे में पढ़ाना शुरू कर दिया है, लेकिन उन्हें अन्य महत्त्वपूर्ण विषयों पर भी ध्यान देना चाहिए, जैसे कि सहमति मांगना, यह समझना कि “नहीं का मतलब नहीं है” और दूसरों के निर्णयों का सम्मान करना।
  • कमज़ोर न्यायिक व्यवस्था और दंड से मुक्ति : बलात्कार के प्रचलन में एक महत्त्वपूर्ण कारक यौन अपराधों से निपटने में न्यायिक व्यवस्था की कमज़ोरी है। जब अपराधियों को लगता है कि उन्हें गंभीर परिणाम नहीं भुगतने पड़ेंगे, तो वे ऐसे कृत्य करने की अधिक संभावना रखते हैं।
  • सामाजिक-आर्थिक कारक : गरीबी, अवसरों की कमी और सामाजिक अस्थिरता भी बलात्कार की घटना में योगदान दे सकती है। ऐसे वातावरण में जहाँ संसाधन दुर्लभ है, कुछ व्यक्ति संसाधनों पर नियंत्रण स्थापित करने या उन तक पहुँच प्राप्त करने के लिए हिंसा का सहारा ले सकते हैं, जिसमें यौन हिंसा भी शामिल है।
  • मीडिया प्रतिनिधित्व : मीडिया में यौन हिंसा को जिस तरह से चित्रित किया जाता है, वह बलात्कार के प्रति सामाजिक दृष्टिकोण को प्रभावित कर सकता है।
    • उदाहरण के लिए यदि मीडिया बलात्कार को सामान्य या असंवेदनशील रूप से प्रदर्शित करता है, तो यह जनता को असंवेदनशील बना सकता है और अपराध की कथित गंभीरता को कम कर सकता है।
    • मीडिया पीड़ितों और अपराधियों के बारे में हानिकारक रूढ़िवादिता को बढ़ावा दे सकता है, जो समाज में बलात्कार को समझने और संबोधित करने के तरीके को प्रभावित कर सकता है।

निष्कर्ष

बलात्कार कभी भी किसी एक कारक का परिणाम नहीं होता, यह कई कारकों के परस्पर क्रिया का परिणाम होता है। इस मुद्दे को संबोधित करने के लिए एक व्यापक दृष्टिकोण की आवश्यकता है, जिसमें सांस्कृतिक मानदंडों को बदलना, शिक्षा में सुधार करना, न्यायिक प्रणालियों को मजबूत करना और यह सुनिश्चित करना शामिल है कि मीडिया प्रतिनिधित्व जवाबदेह और संवेदनशील हो।

मुख्य परीक्षा पर आधारित प्रश्न 

कठोर कानून और बढ़ती जागरूकता के बावजूद, भारत में बलात्कार के मामलों में लगातार वृद्धि हो रही है। इस समस्या में योगदान देने वाले कारकों की आलोचनात्मक जाँच कीजिए तथा इसे प्रभावी ढंग से कम करने हेतु व्यापक उपाय सुझाइए।

(15 अंक, 250 शब्द)

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