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बाल देखभाल कार्यकर्ता की महत्वपूर्ण भूमिका को पहचानें

Lokesh Pal November 20, 2025 05:00 13 0

संदर्भ:

भारत का बाल-देखभाल पारिस्थितिकी तंत्र एक लंबे इतिहास में निहित है, हालाँकि इसका मूल्यांकन कम किया गया है, और आज यह चुनौतियों के साथ-साथ अवसरों संबंधी चुनौतियों का भी सामना कर रहा है।

भारत में देखभाल कार्य और बाल देखभाल की मान्यता, विकास और चुनौतियाँ

  • देखभाल कार्य की वैश्विक मान्यता: संयुक्त राष्ट्र ने 29 अक्टूबर को अंतर्राष्ट्रीय देखभाल और सहायता दिवस (2023) के रूप में घोषित किया है, जिसमें मुख्य रूप से महिलाओं और लड़कियों द्वारा किए जाने वाले अवैतनिक देखभाल कार्य को कम करने, पुनर्वितरित करने और महत्व देने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला गया।
  • भारत में बाल देखभाल का विकास: ताराबाई मोदक और गिजुबाई बधेका जैसे शुरुआती अग्रदूतों ने विकासात्मक रूप से उपयुक्त बाल देखभाल की शुरुआत की; स्वतंत्रता के बाद की व्यवस्थाएं कम आय वाले परिवारों को छोड़कर निजी/स्वैच्छिक क्षेत्रों में स्थानांतरित हो गईं।
    • 1972 के अध्ययन समूह (मीना स्वामीनाथन) ने हाशिए पर पड़े बच्चों के स्वास्थ्य, पोषण और सामाजिक न्याय पर बल दिया।
  • एकीकृत बाल विकास सेवा योजना (ICDS) ढाँचा: वर्ष 1975 में शुरू किया गया, ICDS विश्व के सबसे बड़े प्रारंभिक बाल्यावस्था कार्यक्रमों में से एक है, जिसके तहत 1.4 मिलियन आंगनवाड़ी केन्द्रों के माध्यम से 23 मिलियन बच्चों तक पहुँच सुनिश्चित गई है; हालाँकि 2030 तक अनुमानित आवश्यकता: 60 मिलियन बच्चों के लिए 2.6 मिलियन केंद्र की थी
  • देखभाल कर्मचारियों के समक्ष विद्यमान चुनौतियाँ: उन्हें शिक्षक नहीं, बल्कि सेवा प्रदाता के रूप में देखा जाता है, उन्हें कम वेतन (₹8,000-₹15,000), खराब कार्य स्थितियों, कमजोर प्रशिक्षण जैसे विभिन्न चुनौतियों का सामना करना पड़ता है
    • महिलाएं प्रत्येक दिन 426 मिनट बिना पैसे के देखभाल करती हैं, जबकि पुरुष 163 मिनट।।
  • चाइल्डकेयर चैंपियन पुरस्कार (2025): समान चाइल्डकेयर को बढ़ावा देने, जातिगत बाधाओं को तोड़ने और प्रवासी परिवारों की सेवा करने वाले अग्रिम पंक्ति के कार्यकर्ताओं, गैर सरकारी संगठनों और स्थानीय नेताओं को मान्यता प्रदान करना।
    • पुरस्कार का उद्देश्य: मोबाइल क्रेचेस और फोर्सेस ने सात श्रेणियों में बाल देखभाल में उत्कृष्टता को सम्मानित करने के लिए इंडिया चाइल्डकेयर चैंपियन पुरस्कार 2025 की शुरुआत की।

आगे की राह

  • व्यावसायिकीकरण: उचित वेतन, सामाजिक सुरक्षा, सवेतन अवकाश, रोजगार संबंधी मार्गदर्शन
  • कौशल निर्माण एवं बुनियादी ढाँचा: मजबूत प्रशिक्षण और सुविधाएं, विशेष रूप से तीन वर्ष से कम उम्र के बच्चों के लिए
  • सार्वजनिक निवेश: बाल देखभाल व्यय को सकल घरेलू उत्पाद के 0.4% से बढ़ाकर 1-1.5% करना।
  • अधिकार-आधारित दृष्टिकोण: देखभाल को महिलाओं और बच्चों का अधिकार माना।
  • विकेंद्रीकरण एवं अभिसरण: स्थानीय शासन एवं अंतर-विभागीय समन्वय।
  • देखभाल-कर्मियों को सशक्त बनाना: नीति-निर्माण में आवाज, संसाधन और अधिकार सुनिश्चित करना।

निष्कर्ष

भारत देखभाल कर्मियों और बाल देखभाल प्रणालियों में निवेश करके, देखभाल को एक महत्वपूर्ण सार्वजनिक वस्तु मानकर, एक अधिक मजबूत, समावेशी भविष्य का निर्माण कर सकता है, जो सामाजिक समानता और समावेशन को मजबूत करता है

मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यास प्रश्न:

प्रश्न: भारत में बाल देखभाल कर्मियों के अवमूल्यन से ‘देखभाल अर्थव्यवस्था’ को पहचानने में नीतिगत विफलता उजागर होती है। जलवायु परिवर्तन और शहरीकरण के प्रभाव सहित उन प्रणालीगत चुनौतियों पर चर्चा कीजिए जो आंगनवाड़ी कर्मियों को कम भुगतान और हाशिए पर धकेलने में योगदान करती हैं। इसके अलावा, गुणवत्तापूर्ण बाल देखभाल के सार्वभौमिकरण में वैश्विक मानकों के अनुरूप आवश्यक नीतिगत उपायों और निवेशों का मूल्यांकन कीजिए।

(10 अंक, 150 शब्द)

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