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महत्त्वपूर्ण खनिजों का पुनर्चक्रण तथा निकट भविष्य में संसाधन सुरक्षा का मुद्दा

Lokesh Pal September 12, 2025 05:15 53 0

संदर्भ:

महत्त्वपूर्ण खनिजों के लिए पुनर्चक्रण क्षमता निर्माण हेतु ₹1,500 करोड़ की प्रोत्साहन योजना को केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा मंजूरी देना, भारत की संसाधन सुरक्षा रणनीति में एक दूरदर्शी प्रयास है।

महत्त्वपूर्ण खनिजों के बारे में:

  • महत्त्वपूर्ण खनिजों का महत्त्व: महत्त्वपूर्ण खनिज आधुनिक उद्योगों के लिए आवश्यक “विटामिन” हैं, जो आर्थिक विकास और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए महत्त्वपूर्ण हैं
  • प्रमुख उद्योगों में अनुप्रयोग: वे इलेक्ट्रिक वाहन बैटरी (लिथियम, कोबाल्ट, निकल), स्मार्टफोन (दुर्लभ पृथ्वी तत्त्व), लड़ाकू जेट, अर्द्धचालक और स्वच्छ ऊर्जा प्रौद्योगिकियों में अपरिहार्य हैं
  • महत्त्वपूर्ण खनिजों पर भारत का ध्यान: भारत ने 30 महत्त्वपूर्ण खनिजों की पहचान की है, जिन्हें अक्सर 21वीं सदी का “नया तेल” (न्यू ऑयल) कहा जाता है।
  • भू-राजनीतिक महत्त्व: पीटर ज़ेहान का उद्धरण – “संसाधनों का भूगोल इस सदी में शक्ति के भूगोल को परिभाषित करेगा,” इस बात पर बल देता है, कि इन संसाधनों पर नियंत्रण वैश्विक शक्ति में परिवर्तित हो जाता है।

आयात निर्भरता और चीन का नियंत्रण:

  • भारत की आयात पर निर्भरता: भारत महत्त्वपूर्ण खनिजों के लिए आयात पर बहुत अधिक निर्भर है।
  • दुर्लभ मृदा तत्त्वों में चीन का प्रभुत्व: चीन वैश्विक स्तर पर दुर्लभ मृदा तत्त्वों के प्रसंस्करण के 80-90% पर नियंत्रण रखता है, जिससे एक महत्त्वपूर्ण भू-राजनीतिक जोखिम उत्पन्न होता है
  • निर्भरता के निहितार्थ: इस निर्भरता के कारण आयात लागत और आपूर्ति में व्यवधान की आशंका बढ़ जाती है, जिससे उद्योग और रक्षा विनिर्माण प्रभावित हो सकते हैं और राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा हो सकता है।

पुनर्चक्रण का महत्त्व:

  • खनन के लिए लंबी अवधि: भारत में घरेलू स्तर पर नए खनिजों की खोज में लंबी अवधि लगती है, महत्त्वपूर्ण खनिजों को परिष्कृत करने और उत्पादित करने में कई वर्ष लग जाते हैं।
  • पुनर्चक्रण के लाभ: पुनर्चक्रण इन खनिजों को प्राप्त करने का एक त्वरित तरीका प्रदान करता है, जो अधिक टिकाऊ और तत्काल विकल्प प्रदान करता है।
    • खनन बनाम पुनर्चक्रण में चुनौतियाँ: खदानों की स्थापना में उपयोगी उत्पादन प्राप्त करने में वर्षों लग जाते हैं, जबकि पुनर्चक्रण आपूर्ति शृंखला कार्यान्वयन के लिए अधिक कुशल मार्ग प्रदान करता है तथा इलेक्ट्रॉनिक और बैटरी अपशिष्ट के बढ़ते मुद्दों का समाधान करता है।

आत्मनिर्भरता के लिए सरकार की बहुआयामी रणनीति:

  • पुनर्चक्रण योजना (राष्ट्रीय महत्त्वपूर्ण खनिज मिशन का भाग):
    • महत्त्वपूर्ण खनिज पुनर्चक्रण के लिए 2025-26 से 2030-31 तक ₹1500 करोड़ की प्रोत्साहन योजना शुरू की गई।
    • शहरी खनन, ई-अपशिष्ट (पुराने फोन, लैपटॉप), बैटरी स्क्रैप (ईवी, लिथियम-आयन बैटरी) और उत्प्रेरक कन्वर्टर्स से महत्त्वपूर्ण खनिजों को निकालने पर ध्यान केंद्रित किया जाता है।
    • यह योजना पुन: उपयोग और पुनर्चक्रण को प्रोत्साहित करके एक चक्रीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देती है, साथ ही खनिज की कमी और ई-अपशिष्ट के निपटान का भी समाधान करती है।
    • प्रोत्साहन के प्रकार:
      • पूँजीगत व्यय (CAPEX) सब्सिडी: सरकार नए पुनर्चक्रण संयंत्रों की स्थापना और मशीनरी खरीदने के लिए 20% सब्सिडी प्रदान करती है।
      • परिचालन व्यय (ओपेक्स) प्रोत्साहन: उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना के समान, संयंत्र चलाने के लिए प्रोत्साहन प्रदान किए जाते हैं और महत्त्वपूर्ण खनिजों के उत्पादन से जुड़े होते हैं।
      • छोटे अभिकर्ताओं के लिए समर्थन:1500 करोड़ की योजना का एक तिहाई हिस्सा छोटे अभिकर्ताओ और स्टार्टअप्स के लिए आरक्षित है, जिससे नवाचार को बढ़ावा मिलेगा और बाजार में एकाधिकार को रोका जा सकेगा |
      • अपेक्षित लाभ: इसका लक्ष्य प्रतिवर्ष 270 किलोटन पुनर्चक्रण क्षमता सृजन, 40 किलोटन महत्त्वपूर्ण खनिज प्राप्त करना, ₹8000 करोड़ का निजी निवेश आकर्षित करना तथा लगभग 70,000 प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रोजगार सृजित करना है।
  • घरेलू अन्वेषण: भारत अपने क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण खनिजों की सक्रिय रूप से खोज कर रहा है तथा आंध्र प्रदेश, राजस्थान और झारखंड जैसे राज्यों में खनिज ब्लॉकों की नीलामी की जा रही है।
    • जम्मू और कश्मीर में भी महत्त्वपूर्ण लिथियम भंडार पाए गए हैं।
  • विदेश में संपत्ति अर्जित करना:
    • एक विशेष कंपनी, KABIL (खनिज बिदेश इंडिया लिमिटेड) का उद्देश्य अर्जेंटीना और अफ्रीकी जैसे अन्य देशों में खनिज परिसंपत्तियों (जैसे- लिथियम ब्लॉक) का अधिग्रहण करना, आपूर्ति शृंखलाओं में विविधता लाना और किसी एक देश पर निर्भरता कम करना है।

आत्मनिर्भरता प्राप्त करने में चुनौतियाँ:

  • पुनर्चक्रण के पर्यावरणीय जोखिम: यदि पुनर्चक्रण उचित तरीके से नहीं किया जाता है, तो इससे प्रदूषण बढ़ सकता है, जिसके लिए पर्यावरण अनुकूल प्रथाओं को अपनाना आवश्यक हो जाता है।
  • अनुसंधान एवं विकास निवेश: अनुसंधान एवं विकास (R&D) में निरंतर निवेश कुशल और वैश्विक रूप से प्रतिस्पर्धी पुनर्चक्रण प्रक्रियाओं को सुनिश्चित करने के लिए महत्त्वपूर्ण है, विशेष रूप से बैटरी रसायन विज्ञान के विकास के साथ।
  • समन्वय: सफलता के लिए केन्द्र सरकार, राज्य सरकारों, उद्योगों और अनुसंधान संस्थानों के बीच मजबूत समन्वय की आवश्यकता होती है।

मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यास प्रश्न

सरकार ने हाल ही में महत्त्वपूर्ण खनिजों की पुनर्चक्रण क्षमता निर्माण हेतु राष्ट्रीय महत्त्वपूर्ण खनिज मिशन (NCMM) के अंतर्गत ₹1,500 करोड़ की प्रोत्साहन योजना आरंभ की है। इस संदर्भ में, भारत की संसाधन सुरक्षा रणनीति में महत्त्वपूर्ण खनिजों के पुनर्चक्रण के महत्त्व की व्याख्या कीजिए। साथ ही, देश की महत्त्वपूर्ण खनिज माँग को पूरा करने के लिए केवल पुनर्चक्रण पर निर्भर रहने की सीमाओं पर भी चर्चा कीजिए।

(10 अंक, 150 शब्द)

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