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कल्याणकारी ढाँचे को पुनः तैयार करें, सार्वभौमिक बुनियादी आय को केंद्र में रखें

Lokesh Pal November 07, 2025 05:30 25 0

संदर्भ:

बढ़ती असमानता, रोजगार की असुरक्षा और सामाजिक संकट के कारण आर्थिक स्थिरता नष्ट हो रही है, ऐसे में सार्वभौमिक बुनियादी आय (UBI) एक आदर्श से हटकर सम्मान, समानता और आर्थिक लचीलापन सुनिश्चित करने के लिए एक व्यावहारिक नीति उपकरण बन गई है

सार्वभौमिक बुनियादी आय (UBI) के बारे में

  • परिभाषा:सार्वभौमिक बुनियादी आय (UBI) प्रत्येक नागरिक को, चाहे उसकी आय या रोजगार की स्थिति कुछ भी हो, एक आवधिक, बिना शर्त नकद हस्तांतरण है।
    • भारत की मौजूदा कल्याणकारी प्रणाली, जो रोजगार-आधारित या गरीबी-लक्षित है, के विपरीत, UBI नागरिकता से जुड़ा एक अधिकार-आधारित दृष्टिकोण है।
  • उद्देश्य: UBI उपभोक्ता मांग को बहाल करता है, अवैतनिक देखभाल कार्य को पुरस्कृत करता है, तथा महामारी और बाजार-संचालित असमानता से कमजोर हुए सामाजिक अनुबंध का पुनर्निर्माण करता है।

UBI पर विचार करने का औचित्य

  • विद्यमान धन वितरण असमानता: विश्व असमानता डेटाबेस के अनुसार, भारत की धन असमानता गिनी 2023 में 75 थी।
    • शीर्ष 1% आबादी के पास राष्ट्रीय संपत्ति का 40% हिस्सा है, जबकि शीर्ष 10% के पास लगभग 77% हिस्सा है
    • ये आंकड़े औपनिवेशिक काल के बाद से न देखे गए संकेन्द्रण के स्तर का संकेत देते हैं।
  • रोजगार की असुरक्षा: स्वचालन, कृत्रिम बुद्धिमत्ता और गिग अर्थव्यवस्था अनिश्चित रोजगार पैदा कर रहे हैं।
    • मैकिन्से का अनुमान है कि 2030 तक वैश्विक स्तर पर 800 मिलियन रोजगार खत्म हो जाएंगी, जिसमें अर्ध-कुशल भारतीय कामगारों की स्थिति अत्यधिक खराब होगी।
    • गिग अर्थव्यवस्था के रोजगारों में अक्सर सुरक्षा या पेंशन का अभाव होता है।
    • भारत की GDP वृद्धि दर – 2023-24 में 8.4% व्यापक समृद्धि में तब्दील होने में विफल रही है।
  • सामाजिक तनाव: जलवायु परिवर्तन, जबरन पलायन और बढ़ती मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं सामाजिक तनाव को बढ़ावा दे रही हैं।
    • विश्व खुशहाली रिपोर्ट में भारत 137 देशों में 126वें स्थान पर है – नेपाल, बांग्लादेश और पाकिस्तान से भी पीछे।

UBI कार्यान्वयन के समर्थन में तर्क

  • प्रशासनिक स्तर पर सरलता: आधुनिक प्रौद्योगिकी (जन धन खाते, आधार, प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण) सार्वभौमिक बुनियादी आय (UBI) को न्यूनतम रिसाव के साथ लागू करने में सहयोग करता है।
  • आर्थिक उत्थान: मध्य प्रदेश में किए गए पायलट परियोजनाओं से यह पता चला कि लाभार्थियों ने कार्य में कटौती किए बिना शिक्षा और पोषण में पैसा निवेश किया
    • फिनलैंड और केन्या के उदाहरण बेहतर खाद्य सुरक्षा, मानसिक स्वास्थ्य और सामाजिक परिणामों की पुष्टि करते हैं।
  • कौशल विकास के लिए बफर: UBI वित्तीय सुरक्षा प्रदान करता है, जिससे स्वचालन के कारण विस्थापित श्रमिकों को नए कौशल हासिल करने का अवसर मिलता है।
  • राजनीतिक परिवर्तन: UBI नागरिक-राज्य संबंध को लेन-देन संबंधी “मुफ्त सुविधाओं” से अधिकार-आधारित नागरिकता की ओर स्थानांतरित करता है, तथा लोगों को बेहतर स्कूल, अस्पताल और प्रशासन जैसे प्रणालीगत सुधारों के लिए वोट देने के लिए प्रोत्साहित करता है।

UBI के कार्यान्वयन में विद्यमान चुनौतियाँ

  • मुद्रास्फीति की संबंधी चिंता: मुद्रास्फीति UBI कार्यान्वयन संबंधी चिंता का विषय है। हालाँकि, मुद्रा आपूर्ति बढ़ने पर मुद्रास्फीति स्वतः नहीं होती; जैसा कि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद के जर्मनी में देखा गया था, जब वस्तुओं और सेवाओं के पर्याप्त उत्पादन ने आय में वृद्धि के बावजूद कीमतों को स्थिर रखा था।
  • वित्तपोषण: वर्तमान गरीबी रेखा पर सार्वभौमिक बुनियादी आय (UBI) को लागू करने पर भारत के सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 5% खर्च आएगा, जो वित्तपोषण संबंधी चुनौती प्रस्तुत करता है।
  • कार्यान्वयन और पहुँच: दूरदराज और जनजातीय क्षेत्रों में मोबाइल और बैंकिंग तक पहुँच संबंधी चुनौतियाँ विद्यमान हैं, जिससे प्रभावी वितरण कठिन हो गया है।
  • सार्वभौमिक कवरेज पर बहस: अत्यंत धनी व्यक्तियों को सार्वभौमिक बुनियादी आय (UBI) प्रदान करना प्रारंभ में अनावश्यक हो सकता है, जिससे प्राथमिकता संबंधी प्रश्न उठ सकते हैं।

आगे की राह

  • वित्तपोषण रणनीति पर ध्यान केंद्रित करना: वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए करों में मध्यम वृद्धि और मौजूदा सब्सिडी को युक्तिसंगत बनाकर योजना का वित्तपोषण करना।
  • पायलट-आधारित कार्यान्वयन: UBI को सार्वभौमिक कवरेज तक विस्तारित करने से पहले कमजोर समूहों – महिलाओं, आदिवासियों और बुजुर्गों – के लिए लक्षित पायलट कार्यक्रम शुरू करना।

निष्कर्ष

एक सुनियोजित UBI सभी नागरिकों के लिए आर्थिक सुरक्षा, सम्मान और समावेशिता सुनिश्चित करके भारत के सामाजिक अनुबंध को पुनर्परिभाषित कर सकती है। हालाँकि, इसकी सफलता राजकोषीय विवेकशीलता, लक्षित पायलट परियोजनाओं और सार्वभौमिक कार्यान्वयन से पहले मज़बूत संस्थागत रणनीति पर निर्भर करती है।

मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यास प्रश्न:

प्रश्न:क्या आपको लगता है कि सार्वभौमिक बुनियादी आय (UBI) नागरिकों को वित्तीय स्वायत्तता सुनिश्चित करके सशक्त बनाएगी, या इससे वित्तीय तनाव और निर्भरता बढ़ेगी? अपने विचार को पुष्ट कीजिए।

(15 अंक, 250 शब्द)

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