प्रारंभिक परीक्षा के लिए प्रासंगिकता: पीएम कुसुम योजना, सोलर रूफटॉप योजना, सोलर फोटोवोल्टिक सेल I
मुख्य परीक्षा के लिए प्रासंगिकता: सौर ऊर्जा और उससे संबंधित चुनौतियाँ I
संदर्भ:
हाल ही में, केंद्र सरकार द्वारा मॉडल और निर्माताओं की स्वीकृत सूची (Approved list of Models and Manufacturers-ALMM) संबंधी नीति लागू की जा रही है, जिससे सौर ऊर्जा परियोजना डेवलपर्स की आयातित पैनलों पर निर्भरता में कमी आएगी।
घरेलू सौर विनिर्माण को बढ़ावा देने के संबंध में सरकार की पहल:
आयात पर प्रतिबंध: स्वीकृत मॉडल और निर्माताओं की सूची का निर्माण चीन से आयात को प्रतिबंधित करने के लिए किया गया था , जो वैश्विक सौर आपूर्ति बाजार के एक बड़े हिस्से को नियंत्रित करता है।
नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्य: भारत को 2030 तक गैर-जीवाश्म ईंधन स्रोतों से लगभग 500 गीगावॉट तक की विद्युत के उत्पादन की उम्मीद है, जिसमें सौर ऊर्जा का कम-से-कम 280 गीगावॉट योगदान रहेगा ।
इसका अर्थ यह है कि वर्ष 2030 तक प्रत्येक वर्ष कम-से-कम 40 गीगावॉट सौर ऊर्जा का उत्पादन आवश्यक होगा, जिसे देखते हुए स्वदेशी सौर परियोजनाओं पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है।
अधिकृत कंपनियों के लिए प्रोत्साहन: अधिकृत कंपनियाँ अपने मुख्य सौर ऊर्जा कार्यक्रमों के संबंध में सरकारी निविदाओं के लिए बोली लगाने की हकदार होंगी, जिसमें हाल ही में घोषित पीएम सोलर रूफटॉप पहल भी शामिल है।
नीति कार्यान्वयन की आवश्यकता:
आयात निर्भरता में कमी लाना: भारत, विशेष रूप से चीन से आयातित सौर पैनलों पर अपनी निर्भरता कम करना चाहता है, जो वर्तमान में वैश्विक आपूर्ति का 80% से अधिक कवर करता है।
घरेलू उद्योग को बढ़ावा देना: इसकार्यक्रम का उद्देश्य उद्यमों को मान्यता प्राप्त उत्पादन सुविधाओं के साथ लैस करके घरेलू सौर पैनल विनिर्माण उद्योग को विकसित करना है, जिससे उन्हें सरकारी अनुबंधों के लिए प्रतिस्पर्धा करने की अनुमति प्राप्त हो सके।
चुनौतियाँ और विचार:
सीमित घरेलू क्षमता: भारत का घरेलू सौर क्षेत्र वर्तमान में सौर पैनलों की माँग को पूरा करने में असमर्थ रहा है, जिसके कारण सौर पैनलों की स्थापना संबंधी जरूरतों को पूरा करने के लिए आयात की आवश्यकता पड़ती है।
प्रतिस्पर्धी मूल्य निर्धारण: सरकारी प्रमाणीकरण हेतु भुगतान करने के बावजूद, घरेलू उत्पादकों को सस्ते चीनी आयात के साथ प्रतिस्पर्धा करने के लिए संघर्ष करना पड़ता है।
गुणवत्ता आश्वासन: घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने के साथ-साथ, ग्राहकों के लिए सौर ऊर्जा को किफायती और विश्वसनीय बनाए रखने के लिए गहन और गुणवत्तापूर्ण जाँच की आवश्यकता है।
अवास्तविक लक्ष्य: लक्ष्यों के बावजूद, हाल के वर्षों में भारत की सौर क्षमता में वृद्धि काफी कम देखी गयी है, जिसका एक कारण कोविड-19 को भी बताया जा रहा है।
देश की योजना प्रत्येक वर्ष 25 से 40 गीगावॉट के मध्य इंस्टॉलेशन में वृद्धि करने की है।
निष्कर्ष:
निष्कर्षतः भारत के ALMM कार्यक्रम का उद्देश्य तीव्र नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्यों के अनुरूप घरेलू सौर विनिर्माण में वृद्धि करने का है। इसके लिये रणनीतिक योजना और सहायता के माध्यम से लक्ष्य तक पहुँचने और आयात पर निर्भरता कम करने जैसे मुद्दों का समाधान करना जरुरी है।
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