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यूजीसी में सुधार और उच्च शिक्षा का मुद्दा

Lokesh Pal December 11, 2024 05:15 35 0

संदर्भ:

हाल ही में यूजीसी (स्नातक डिग्री और स्नातकोत्तर डिग्री प्रदान करने के लिए निर्देश के न्यूनतम मानक) विनियम, 2024 का मसौदा जारी किया गया| इस मसौदे का प्रमुख उद्देश्य भारत की उच्च शिक्षा प्रणाली में सुधार करना है।

यूजीसी विनियमों के मसौदे के प्रमुख प्रावधान

  • द्विवार्षिक प्रवेश: स्नातक (UG) और स्नातकोत्तर (PG) पाठ्यक्रमों में द्विवार्षिक प्रवेश होंगे, जिससे शिक्षा तक आम लोगों की पहुँच में बढ़ोतरी होगा।
  • अंतर-विषयक लचीलापन: यदि छात्र किसी प्रासंगिक राष्ट्रीय योग्यता परीक्षा में उत्तीर्ण होते हैं, तो वे UG और PG में किसी भी विषय का अध्ययन कर सकते हैं, चाहे उनकी पिछली स्ट्रीम कुछ भी रही हो।
  • पाठ्यक्रमों का विस्तार: छात्रों के पास अपने पाठ्यक्रमों की अवधि को बढ़ाने या उसमें तेजी लाने का विकल्प होगा।
    • उदाहरण: कोई छात्र किसी पाठ्यक्रम को चार वर्षों तक के लिए बढ़ाने या हाइब्रिड मोड ऑफ़ लर्निंग के माध्यम से इसे दो वर्ष के अन्दर ही पूरा करने का विकल्प चुन सकता है।
  • कई डिग्रियाँ: छात्रों को एक साथ एक से अधिक डिग्रियाँ अर्जित करने की अनुमति होगी। हालाँकि, दोनों डिग्रियाँ एक साथ भौतिक मोड में नहीं की जा सकतीं।
  • संस्थानों के लिए स्वायत्तता: उच्च शिक्षण संस्थानों को छात्रों के लिए उपस्थिति आवश्यकताओं को निर्धारित करने की स्वतंत्रता होगी।
    • इन परिवर्तनों का उद्देश्य कठोरता को दूर करना और वैश्विक मानकों के अनुरूप शैक्षणिक लचीलापन बढ़ाना है, जैसा कि UGC के अध्यक्ष एम. जगदीश कुमार ने कहा है।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के साथ समानता 

  • हाइब्रिड लर्निंग मॉडल: मसौदा नियम ऑनलाइन और ऑफलाइन शिक्षा को मिलाकर हाइब्रिड लर्निंग की ओर बदलाव का समर्थन करते हैं।
  • कौशल आधारित शिक्षा: अकादमिक शिक्षा के साथ-साथ कौशल विकास पर जोर दिया जाता है।
  • राष्ट्रीय क्रेडिट फ्रेमवर्क: विनियमन राष्ट्रीय क्रेडिट फ्रेमवर्क के कार्यान्वयन का समर्थन करते हैं, जो अकादमिक गतिविधियों में अधिक लचीलापन प्रदान करते हैं।

राष्ट्रीय क्रेडिट फ्रेमवर्क (एनसीआरएफ)

  • एनईपी 2020 के तहत राष्ट्रीय क्रेडिट फ्रेमवर्क (एनसीआरएफ) अकादमिक और व्यावसायिक शिक्षा को जोड़ता है, जिससे छात्रों को दोनों के लिए क्रेडिट अर्जित करने की अनुमति मिलती है।
    • उदाहरण : एक छात्र ग्राफिक डिजाइन में व्यावसायिक पाठ्यक्रम से क्रेडिट अर्जित करते हुए आईटी की डिग्री हासिल कर सकता है।
  • यह फ्रेमवर्क छात्रों को संस्थानों और कार्यक्रमों के बीच क्रेडिट जमा करने और स्थानांतरित करने की अनुमति देता है, जिससे सीखने में निरंतरता को बढ़ावा मिलेगा ।
    • उदाहरण : डिप्लोमा कोर्स से डिग्री प्रोग्राम में स्थानांतरित होने वाला छात्र अपने संचित क्रेडिट को आगे बढ़ा सकता है।
  • एनसीआरएफ अनौपचारिक शिक्षा और अनुभव को मान्यता देता है, जिससे व्यक्तियों को औपचारिक शिक्षा के बाहर प्राप्त कौशल के लिए क्रेडिट अर्जित करने की अनुमति मिल जाती है।
    • उदाहरण: निर्माण उद्योग में काम करने वाले श्रमिकों को प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (पीएमकेवीवाई) के तहत औपचारिक क्रेडिट प्रदान किया जाता है।

चुनौतियाँ

  • सीमाएँ: भारत की उच्च शिक्षा प्रणाली अपर्याप्त (और अप्रेरणादायक) संकाय, कम वित्तपोषित संस्थान और अच्छी तरह से प्रशिक्षित, प्रेरित शिक्षकों की कमी जैसी चुनौतियों का सामना करती है।
  • निवेश की कमी: इस वर्ष के बजट में पिछले वर्ष के संशोधित अनुमानों की तुलना में उच्च शिक्षा के लिए तकरीबन 15% कम धन का आवंटन किया गया। 
    • पर्याप्त वित्तीय सहायता के बिना, विनियमनों को गति प्राप्त करने में संघर्ष का सामना करना पड़ सकता है।
  • विनियामक असंगतताएँ: कई संबद्ध कॉलेज, जो अधिकांश छात्रों को सेवा प्रदान करते हैं, नए विनियमों को पूरा करने के लिए संघर्ष कर सकते हैं।
  • पारंपरिक शैक्षणिक संरचनाओं से प्रतिरोध: ‘अकादमिक बैंक ऑफ क्रेडिट’, जो छात्रों को एक संस्थान में पंजीकरण करने और अन्य से पाठ्यक्रम लेने की अनुमति देता है, को स्थापित शैक्षणिक निकायों से प्रतिरोध का सामना करना पड़ता है।
    • इसके अतिरिक्त, नौकरशाही जड़ता और सुधारों को अपनाने में धीमी गति इसके सफल कार्यान्वयन में बाधा बन सकती है।
  • राज्य सरकार का अनुपालन: ध्यातव्य है कि शिक्षा समवर्ती सूची का विषय है, जिसका अर्थ है कि राज्य सरकारें कार्यान्वयन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
    • हालांकि राज्य शुरू में नए नियमों का अनुपालन कर सकते हैं, लेकिन ऐतिहासिक रूप से पीछे हटने और कार्यान्वयन में देरी से उनकी प्रभावशीलता कम हो सकती है।
  • केंद्रीकृत परीक्षा: इसके साथ ही केंद्रीकृत परीक्षा (CUET) का महत्व बढ़ जाता है, जो मसौदे में अपेक्षित लचीलेपन को खत्म कर सकता है।

निष्कर्ष

यूजीसी के मसौदा नियम एक साहसिक दृष्टिकोण का प्रतिनिधित्व करते हैं, हालांकि, इन सुधारों को सफल बनाने के लिए, प्रणालीगत चुनौतियों और विनियामक परिवर्तनों की आवश्यकता को संबोधित किया जाना चाहिए।

मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न 

प्रश्न. यूजीसी दिशानिर्देश 2024 के मसौदे में प्रस्तावित प्रमुख सुधारों के विषय में चर्चा कीजिए। भारत में उच्च शिक्षा संस्थानों की गुणवत्ता में सुधार करने की उनकी क्षमता का आलोचनात्मक परिक्षण कीजिए ।

(10अंक, 150 शब्द)

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