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Lokesh Pal November 12, 2024 05:30 27 0
भारत ने वर्ष 2019 में अपने आर्थिक हितों, खास तौर पर चीन के साथ, आपसी संबंधों की चिंताओं का हवाला देते हुए क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (आरसीईपी) समझौते से बाहर निकलने का विकल्प चुना था। हालाँकि, इस बात पर बहस बढ़ रही है कि क्या भारत को अपने फ़ैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए।
भारत के लिए, क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी में फिर से शामिल होना एक रणनीतिक निर्णय है। हालाँकि इसके लिए सर्वप्रथम घरेलू हितों और वैश्विक व्यापार गतिशीलता पर सावधानीपूर्वक विचार करने की आवश्यकता है। भारत को अपनी स्थिति का पुनर्मूल्यांकन करना चाहिए, हितधारकों को शामिल करना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि भविष्य का कोई भी समझौता उसके दीर्घकालिक आर्थिक और भू-राजनीतिक लक्ष्यों के अनुरूप हो।
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