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भारत में एआई का विनियमन

Lokesh Pal April 16, 2025 05:15 14 0

संदर्भ:

हाल के वर्षों में, एआई संचालन के बारे में चर्चा सामाजिक सुरक्षासमावेशिता और मानव अधिकारों पर ध्यान केंद्रित करने से हटकर  नवाचार  और  आर्थिक समृद्धि को प्राथमिकता देने पर केंद्रित हो गई है।

वैश्विक स्तर पर एआई को विनियमित करने के लिए अपनाई गई शासन-प्रणाली:

  • वैश्विक स्तर पर एआई का विनियमन: चीन, यूरोपीय संघ, कनाडा, कोरिया, पेरू और अमेरिका सहित कुछ देशों द्वारा एआई को विनियमित करने के लिए कानून बनाए हैं (हालांकि अमेरिका ने एआई पर पूर्व राष्ट्रपति जो बिडेन के कार्यकारी आदेश को रद्द कर दिया है)।
  • वैश्विक स्तर पर एआई के विनियमन लिए अपनाई गई रणनीति: विश्व के लगभग 85 देशों और अफ्रीकी संघ ने समावेशीनैतिक और सतत एआई के विकास पर केंद्रित एआई रणनीति दस्तावेज विकसित किए हैं।
  • मसौदा विधेयक: यूकेजापानब्राजीलकोस्टा रिकाकोलंबिया और पाकिस्तान जैसे देशों में मसौदा एआई विधेयक विचाराधीन हैं।

एआई विनियमन के प्रति भारत का दृष्टिकोण:

  • औपचारिक रणनीति का अभाव: भारत ने अभी तक आधिकारिक तौर पर स्वीकृत राष्ट्रीय कृत्रिम बुद्धिमत्ता रणनीति या एआई को विनियमित करने वाला कोई कानून नहीं अपनाया है। इसके बजाय सरकार ने इंडिया एआई मिशन पर ध्यान केंद्रित किया है, जिसका उद्देश्य कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) के विकास और अपनाने का समर्थन करना है।
    • नीति आयोग की 2018 की कृत्रिम बुद्धिमत्ता के लिए राष्ट्रीय रणनीति गैर-बाध्यकारी है और इसमें औपचारिक कार्यान्वयन योजना या बजट का अभाव है।
  • इंडिया एआई मिशन: इंडिया एआई मिशन का उद्देश्य एक  सुरक्षित,  कुशल,  नवीन और भरोसेमंद एआई पारिस्थितिकी तंत्र  का निर्माण करना है। एक आधारभूत एआई मॉडल के निर्माण जैसी कई पहल प्रगति पर हैं।
    • विशेषज्ञों का एक सलाहकार समूह शासन संबंधी सिफारिशें विकसित करने पर कार्य कर रहा है, हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि इन्हें आधिकारिक नीतियों में शामिल किया जाएगा या नहीं।

भारत में एआई को लागु करने में विद्यमान चुनौतियाँ:

  • भारत के दृष्टिकोण में कमियाँ:  प्रौद्योगिकी, भू-राजनीति और बाजार की गतिशीलता के विकास के साथ नीतियों को अनुकूलित करने का लचीलापन एक उल्लेखनीय लाभ है। हालाँकि, यह दृष्टिकोण महत्त्वपूर्ण कमियाँ का निर्माण करता है।
    • भारत में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) के विकास के लिए कोई स्पष्ट दृष्टिकोण, प्राथमिकताएं या जवाबदेही तंत्र उपलब्ध नहीं है। हालाँकि पहल प्रतिक्रियात्मक बनी हुई है और हो सकता है कि ये दीर्घकालिक, सुसंगत रणनीति के साथ संरेखित न हों।
    • व्यक्तिगत नेतृत्व पर निर्भरता से एआई नीतियों के कार्यान्वयन में असंगति उत्पन्न हो सकती है।
  • एआई को अपनाने में तेजी:  एआई का विकास मुख्य रूप से अमेरिका, यूरोपीय संघ, ब्रिटेन और चीन जैसे देशों में केंद्रित है, लेकिन भारत में एआई को अपनाने में तेजी देखी जा रही है।
  • व्यावहारिक चिंताएं: जैसे-जैसे कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) का उपयोग बढ़ रहा है, इसके कार्यान्वयन को लेकर चिंताएं भी बढ़ रही हैं।
    • जिसमें भेदभावबहिष्कारअनुचित परिणाम और साइबर सुरक्षा खतरे तथा गोपनीयता का उल्लंघन और असमान अवसर शामिल है।
  • विनियामक सुरक्षा उपायों का अभाव: वर्तमान में, कृत्रिम बुद्धिमत्ता कार्यान्वयन के लिए सुरक्षा उपाय स्वैच्छिक हैं और उनमें स्पष्टता का अभाव है। एल्गोरिदम के उपयोग, प्रभावकारिता और मूल्यांकन मेट्रिक्स के बारे में सार्वजनिक जागरूकता बहुत सीमित है। 
    • यह विशेष रूप से बैंकिंगबीमाशिक्षास्वास्थ्य सेवा और लोक प्रशासन जैसे क्षेत्रों में चिंताजनक है, जो नागरिकों के जीवन को सीधे प्रभावित करते हैं।
  • नागरिक संवाद का अभाव: महत्त्वपूर्ण कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) मुद्दों जैसे सामाजिक मूल्यों के साथ एल्गोरिथम संरेखणमॉडल मूल्यांकन परिणाम,  श्रम बाजार व्यवधान और साइबर सुरक्षा जोखिम पर बहुत कम नागरिक संवाद होता है
  • सामाजिक क्षति: सोशल मीडिया पर एआई-जनित सामग्री पहले से ही भारत में हिंसा और सामाजिक क्षति का कारण बन रही है, इन जोखिमों से निपटने की तत्काल आवश्यकता है।

आगे की राह:

  • वैश्विक डेटा संरक्षण मॉडल: विभिन्न देशों ने एआई शासन और डेटा विनियमन के लिए अलग-अलग मॉडल अपनाए हैं। इन वैश्विक नीतियों से प्राप्त अंतर्दृष्टि भारत के दृष्टिकोण को आकार देने में मदद कर सकती है।
    • यूरोप और चीन: यूरोपीय संघ का सामान्य डेटा संरक्षण विनियमन (GDPR) और चीन का व्यक्तिगत सूचना संरक्षण कानून अंतर-क्षेत्रीय, केंद्रीकृत और व्यापक हैं ।
      • चीन ने विशिष्ट एआई प्रकारों (जैसे, जनरेटिव एआई ) और उपयोग मामलों (जैसे, डीप सिंथेसिस ) के अनुरूप कानून का निर्माण किया हैं।
    • संयुक्त राज्य अमेरिका: अमेरिका डेटा संरक्षण और गोपनीयता के लिए विकेन्द्रीकृतक्षेत्र-विशिष्ट दृष्टिकोण अपनाता है।
  • ढाँचा तैयार करना : भारत इनमें से किसी एक स्थापित मॉडल का अनुसरण कर सकता है अथवा एक संकर दृष्टिकोण तैयार कर सकता है, जिसमें केंद्रीकृत और क्षेत्र-विशिष्ट दोनों प्रकार के विनियमनों  से सीख शामिल हो।
    • डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण (डीपीडीपी)  अधिनियम, 2023  एक केंद्रीकृत मॉडल है, और भारत एआई विनियमन को संबोधित करने के लिए इससे सहयोग ले सकता है।
  • प्रायोगिकप्रवर्तन उपकरण: भारत औपचारिक एआई विनियमन की दिशा में एक प्रारंभिक कदम के रूप में एआई नीति अपना सकता है। यह नीति सरकार को व्यापक कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) कानून पेश करने से पहले प्रवर्तन उपकरणों का प्रायोगिक स्तर पर लागु करने में सहयोग कर सकता है
  • एआई के सन्दर्भ में भारत का दृष्टिकोण: एआई के विकास और इसे लागु करने के लिए दीर्घकालिक उद्देश्यों को परिभाषित करना।
  • क्षमता और बुनियादी ढांचे का निर्माण: एआई नवाचार, अनुसंधान और विकास का समर्थन करने के लिए नीति तथा रणनीतियों का निर्माण ।
  • सरकारी प्राधिकरण: एआई विनियमन के लिए जिम्मेदार सरकारी एजेंसी या निकाय का स्पष्ट पदनाम।
  • नैतिक दिशानिर्देश : नुकसान को रोकने और निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए एक जिम्मेदार एआई उपयोग के लिए ढांचे की स्थापना करना।
  • प्राथमिकता वाले क्षेत्र : उन क्षेत्रों की पहचान करना जहां एआई सामाजिक-आर्थिक विकास में योगदान दे सकता है, जैसे स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा और कृषि।

निष्कर्ष:

सरकार को एआई से संबंधित चिंताओं को दूर करने और जागरूकता को बढ़ावा देने के लिए इसके उपयोग पर सार्वजनिक चर्चा शुरू करनी चाहिए। जनता को चर्चा में शामिल करने से एआई परिनियोजन और शासन में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी।

मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यास प्रश्न:

प्रश्न: भारत में एक जिम्मेदार एआई पारिस्थितिकी तंत्र को आकार देने में एआई सुरक्षा संस्थान और इंडिया एआई मिशन जैसी पहलों के महत्व का मूल्यांकन करें। इन्हें और अधिक समावेशी, पारदर्शी और प्रभावी कैसे बनाया जा सकता है?”

(15 अंक, 250 शब्द)

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