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बच्चों के लिए सोशल मीडिया का विनियमन

Lokesh Pal March 30, 2024 05:15 152 0

संदर्भ: 

हाल ही में, संयुक्त राज्य अमेरिका में फ्लोरिडा द्वारा एक कानून पारित किया आगे है इस कानों के अंतर्गत माता-पिता की सहमति के बिना, 14 वर्ष से कम आयु के किशोरों को सोशल-मीडिया अकाउंट रखने पर रोक लगाता है।

सुझाव

  • कर्नाटक हाई कोर्ट का सुझाव: हाल ही में कर्नाटक हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार को सुझाव दिया कि उसे सोशल मीडिया के इस्तेमाल के लिए एक उम्र की सीमा तय करने की आवश्यकता है।
  • विनियमन लागू करने वाला पहला राज्य: मार्च 2023 में यूटा, सोशल मीडिया तक बच्चों की पहुँच को विनियमित करने वाले कानूनों को अपनाने वाला पहला अमेरिकी राज्य बन गया है।

सोशल मीडिया का उपयोग

  • सोशल मीडिया के बारे में: यह डिजिटल तकनीकी प्लेटफार्मों को संदर्भित करता है जो लोगों को एक-दूसरे से बात करने, जानकारी साझा करने और एक साथ काम करने के लिए प्रेरित करता है।
  • सांख्यिकी: संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, युवा लोग विश्व स्तर पर कनेक्टिविटी की प्रेरक शक्ति हैं, विश्व की शेष जनसंख्या जो की 65% है की तुलना में वर्ष 2023 में 15 से 24 वर्ष की आयु वर्ग के तकरीबन 79% बच्चे ऑनलाइन थे। ध्यातव्य है कि दुनिया भर में प्रत्येक आधे सेकेंड में एक बच्चा पहली बार ऑनलाइन होता है।
  • भारत की विशिष्टता: लोकल सर्कल्स के एक हालिया सर्वेक्षण से इस बात की पुष्टि होती है कि शहरी भारतीय युवा इंटरनेट पर अधिक समय बिताते हैं।
  • बच्चों में बढ़ती लत: इस प्रवृत्ति ने 9 से 18 वर्ष की आयु वर्ग के बच्चों में इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स की बढ़ती लत को जन्म दिया है।
  • एएसईआर रिपोर्ट: वार्षिक शिक्षा स्थिति रिपोर्ट (ASER) के अनुसार 90% से अधिक किशोर सोशल मीडिया का उपयोग करते हैं।

बच्चों के सोशल मीडिया के संपर्क में आने के कारण

  • माता-पिता का एक्सपोज़र: कुछ बच्चे अपने माता-पिता की वजह से सोशल मीडिया के संपर्क में आते हैं, जो जाने-अनजाने उन्हें इसकी लत लगा देते हैं।
  • मनोरंजन: सोशल मीडिया मनोरंजन का केंद्र बन गया है। यह युवा दिमागों के लिए एक मध्यम आकर्षण के रूप में कार्य करता है।
  • बोरियत: आधुनिक तकनीकी ने इस दौरा में लोगों के मध्य मेल-जोल को कम कर दिया है जिसकी वजह से बच्चों पर इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है और बच्चे अपनी बोरियत को दूर करने के लिए सोशल मीडिया का उपयोग करने के लिए मजबूर हो जाते हैं।
  • डिजिटल उपकरणों तक आसान पहुँच: डिजिटल उपकरणों तक आसान पहुँच ने बच्चों के लिए सोशल मीडिया अकाउंट खोलना और इसका बार-बार उपयोग करना आसान बना दिया है।
  • कोविड-19 की महामारी: कोविड-19 महामारी की अवधि के बाद से मीडिया उपकरणों इंटरनेट तक पहुँच और परामर्श से सोशल मीडिया में तेजी से वृद्धि हुई है। “लॉकडाउन” के दौरान, इंटरनेट के उपयोग ने साथियों के साथ संचार और स्कूल शिक्षण जैसी निरंतरता गतिविधियों को बढ़ाया है।

बच्चों के मध्य सोशल मीडिया के बढ़ते उपयोग के कारण

  • साथियों का प्रभाव: बच्चे समान्य स्थिति में अपने साथियों से जुड़ने के लिए सोशल मीडिया का उपयोग करते हैं। सामाजिक दायरे में फिट होने और उसका हिस्सा बनने की इच्छा उन्हें उन लोकप्रिय प्लेटफार्मों से जुड़ने के लिए प्रेरित करती है जहाँ उनके दोस्त पहले से ही सक्रिय हैं।
  • मनोरंजन और सामग्री की खपत: सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म वीडियो, गेम और इंटरैक्टिव सुविधाओं सहित सामग्री की एक विस्तृत श्रृंखला पेश करते हैं। बच्चे इन प्लेटफार्मों पर उपलब्ध मनोरंजक और आकर्षक सामग्री की ओर आकर्षित होते हैं।
  • शैक्षिक अवसर: कुछ सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म शैक्षिक सामग्री और सीखने के अवसर भी प्रदान करवाते हैं। बच्चे शैक्षिक संसाधनों तक पहुँचने, विशेषज्ञों से जुड़ने और ऑनलाइन शिक्षण समुदायों में शामिल होने के लिए इन प्लेटफार्मों का उपयोग कर सकते हैं।
  • माता-पिता का प्रभाव और अनुमति: कई मामलों में, बच्चे अपने माता-पिता की अनुमति या प्रोत्साहन से सोशल मीडिया का उपयोग करते हैं।

बच्चों पर सोशल मीडिया का सकारात्मक प्रभाव

  • सोशल मीडिया बच्चों को गंभीर रूप से सोचने और भविष्य के लिए महत्त्वपूर्ण कौशल सृजन में मदद कर सकता है।
  • संचार: सोशल मीडिया बच्चों को समान रुचियों वाले लोगों के साथ संवाद करने में मदद करता है तथा उनके ज्ञान को बढ़ाने में मददगार साबित हो सकता है।
  • संबंध: सोशल मीडिया बच्चों को दूर रहने वाले दोस्तों और रिश्तेदारों के साथ संबंध बनाए रखने में मददगार है।
  • सीखने की कला: सोशल मीडिया बच्चों/व्यक्तियों को जीवन में नई चीजें सीखने उन्हें समझने तथा समाज से जुड़ने का अवसर प्रदान कराता है। 
  • पारदर्शिता: संदर्भ और साक्ष्य प्रदान करने के लिए सोशल मीडिया का उपयोग पारदर्शिता को बढ़ावा देता है, संभावित रूप से झूठी कहानियों और अफवाहों से बच्चों को दूर रखता है।
  • समर्थन और एकजुटता: सोशल मिडिया पर बच्चों द्वारा कुछ भी पोस्ट करने से ऑनलाइन उपस्थित समुदायों से समर्थन और एकजुटता मिल सकती है, जो भावनात्मक रूप से उनके मनोबल को बढ़ा सकती है।

सोशल मीडिया के नकारात्मक प्रभाव

  • हिंसा: सोशल मीडिया, अपनी अनफ़िल्टर्ड सामग्री की वजह से बच्चों में हिंसक प्रवृत्ति पैदा कर सकता है। सोशल मीडिया पर चलने वाले विवादों में बच्चों के शामिल होने से इसके अनपेक्षित मनोवैज्ञानिक परिणाम पैदा हो सकते हैं, जिससे संभावित रूप से अतिरिक्त तनाव और नुकसान हो सकता है।
  • साइबर बुलिंग: छोटे बच्चे, विशेषकर लड़कियाँ, आसानी से साइबर बुलिंग का शिकार हो सकती हैं। 
  • पोर्नोग्राफ़ी: सोशल मीडिया और पोर्नोग्राफ़ी में गहरा संबंध है। बच्चों का युवा दिमाग आसानी से अश्लील सामग्री के प्रति आदि हो सकता है. जिससे उनका शैक्षणिक जीवन प्रभावित हो सकता है।
  • अवैध सट्टेबाजी: सोशल मीडिया साइटें कई अवैध सट्टेबाजी संबंधी पेजों की मेजबानी करती हैं। बच्चे संभावित रूप से ऐसी आर्थिक रूप से खतरनाक गतिविधियों के आदी हो सकते हैं।
  • मानसिक अस्थिरता: सोशल मीडिया सामग्री को देखकर बच्चे आभासी दुनिया में रहने लगते हैं। इससे उनकी मानसिक शांति और स्थिरता प्रभावित होती है।
  • समाजीकरण: सोशल मीडिया का अत्यधिक उपयोग बच्चे के सामाजिक जीवन को प्रभावित कर सकता है।
  • झूठी सूचना: सोशल मीडिया झूठी सूचनाओं के केंद्र बिंदु के रूप में है। सोशल मिडिया का उपयोग करके गलत सूचनाओं के प्रचार के माध्यम से आसानी से बच्चों का ब्रेनवॉश किया जा सकता है।

बच्चों पर सोशल मीडिया के नकारात्मक प्रभावों को कम करने के उपाय 

  • माता-पिता का नियंत्रण: माता-पिता को अपने बच्चों की सोशल मीडिया संबंधी गतिविधियों पर नज़र रखनी चाहिए, अपने बच्चों का विश्वास जीतना चाहिए और सोशल मीडिया के सन्दर्भ में उनका मार्गदर्शन करना चाहिए।
  • डिजिटल शिक्षा: यह माता-पिता, शिक्षकों के साथ-साथ अधिकारियों की भी जिम्मेदारी है कि वे बच्चों में डिजिटल शिक्षा विकसित करें, ताकि वे सोशल मीडिया का लाभकारी तरीके से उपयोग कर सकें।
  • सोशल मीडिया का विनियमन: सोशल मीडिया कंपनियों को अपनी गतिविधियों को स्व-विनियमित करना होगा या सरकार को इन कंपनियों के लिए कुछ दिशा-निर्देश तय करने होंगे ताकि वे अपनी गतिविधियों को नियंत्रित रख सकें ।
  • परामर्श: पेशेवर परामर्शदाता बच्चों को सोशल मीडिया से जुड़ी आदत और लत से उबरने में मदद कर सकते हैं।
    • उदाहरण: विश्व स्वास्थ्य संगठन 2 वर्ष से कम आयु वर्ग के बच्चों के लिए स्क्रीन पर समय न बिताने और 2 से 4 वर्ष की आयु के बच्चों के लिए दिन में एक घंटे से अधिक स्क्रीन पर समय न बिताने की सलाह देता है।
  • प्रौद्योगिकी समाधान: केवल सेंसरशिप पर निर्भर रहने के बजाय, सरकार और मध्यस्थों को सोशल मीडिया पर प्रसारित की जाने वाली गलत सूचना और फर्जी खबरों इत्यादि के समाधान के लिए प्रौद्योगिकी में निवेश करने की आवश्यकता है।
  • स्व-नियमन: फर्जी खबरों और गलत सूचनाओं के प्रचार-प्रसार को रोकने के लिए मध्यस्थ स्व-नियामक उपाय अपना सकते हैं।
    • उदाहरण: सोशल मीडिया पर प्रसारित की जाने वाली सामग्री की निगरानी करने और किसी भी गलत सूचना को चिह्नित करने के लिए आंतरिक समितियों की स्थापना किए जाने की आवश्यकता है । 
    • सोशल मीडिया पर प्रसारित की जाने वाली सामग्रियों की सटीकता सुनिश्चित करने के लिए तथ्य जाँच करने वाली वेबसाइटों के साथ काम करने की आवश्यकता है ।
  • सहयोगात्मक दृष्टिकोण: सरकार, मध्यस्थ और नागरिक समाज संगठन, बच्चों और एनी सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं के लिए डिजिटल और सोशल मीडिया पर सुरक्षित वातावरण सुनिश्चित करने के लिए मिलकर कार्य कर सकते हैं।
  • कानूनी दिशानिर्देश: बाल अधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र समिति (CRC) ने सिफारिश की है कि राज्यों द्वारा बच्चों को सोशल मीडिया पर हानिकारक और भ्रामक सामग्री से बचाने के लिए कठोर कानून बनाने सहित ठोस उपाय किए जाने की आवश्यकता है।
  • बच्चों की सुरक्षा: बच्चों को सभी प्रकार की हिंसा से भी बचाया जाना चाहिए, जिसमें बाल तस्करी, लिंग आधारित हिंसा, साइबर-आक्रामकता, साइबर हमले और सूचना युद्ध शामिल हैं।
  • बच्चों के परिप्रेक्ष्य पर विचार करना: सोशल मीडिया के विषय में नीतियों और प्रौद्योगिकी का मसौदा तैयार करते समय बच्चों के दृष्टिकोण और अनुभवों पर विचार किया जाना चाहिए।
  • चीन द्वारा जारी दिशानिर्देश: चीन ने नाबालिगों के लिए दिशानिर्देश जारी किए हैं जिन्हें रात 10 बजे से सुबह 6 बजे तक मोबाइल उपकरणों पर अधिकांश इंटरनेट सेवाओं का उपयोग करने की अनुमति नहीं होगी। 
    • 16 से 18 वर्ष की आयु वर्ग के बच्चे प्रति दिन केवल दो घंटे ही इंटरनेट का उपयोग कर सकेंगे।

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