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भारतीय संघवाद की पुनर्कल्पना

Lokesh Pal June 15, 2024 05:15 168 0

संदर्भ:

4 जून, 2024 को घोषित 18 वीं लोकसभा के चुनाव परिणामों में, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) में क्षेत्रीय सहयोगियों पर बहुत अधिक निर्भर होने के कारण लोकसभा में बहुमत से चूक गई।

  • यह बदलाव भारत के संघीय ढाँचे को पुनर्जीवित कर सकता है, जिसने पिछले दशक में चुनौतियों का सामना किया है।

प्रारंभिक परीक्षा के लिए प्रासंगिकता: सहकारी संघवाद, सातवीं अनुसूची, संघवाद संबंधी विभिन्न आयोग आदि। 

मुख्य परीक्षा के लिए प्रासंगिकता: अंतर-राज्य परिषद, सहकारी संघवाद के महत्त्व एवं चुनौतियाँ आदि। 

सहकारी संघवाद की चुनौतियाँ

  • राज्य की स्वायत्तता का क्षरण: संघवाद के दमनकारी और आक्रामक स्वरूप के उदय में निम्नलिखित शामिल हैं:
    • दक्षिणी राज्यों पर हिंदी भाषा को थोपना।
    • राजनीतिक विरोधियों को निशाना बनाने के लिए विनियामक और जाँच एजेंसियों (जैसे प्रवर्तन निदेशालय, केंद्रीय जाँच ब्यूरो और आयकर एजेंसियाँ) का उपयोग करना।
    • राज्य के शीर्ष नेतृत्वकर्ताओं  से परामर्श किए बिना देशव्यापी लॉकडाउन लगाने के लिए आपदा प्रबंधन अधिनियम के एक अस्पष्ट प्रावधान का उपयोग करना।
    • पीएम केयर्स फंड के माध्यम से राज्य राहत प्रयासों के लिए धन सीमित करना।
    • जम्मू-कश्मीर विशेष राज्य का दर्जा रद्द करना और अनुच्छेद 370 को हटाना।
  • राजकोषीय संघवाद और राजस्व आवंटन
    • असंतुलित वितरण: उपकर लगाने जैसे उपायों से राजकोषीय संघवाद को कमजोर किया गया है, क्योंकि उपकर लगाने के लिए राज्यों के साथ साझा करने की आवश्यकता नहीं होती है।
      • 2026 में 84वें संशोधन अधिनियम के प्रावधानों के समाप्त होने से नई जनगणना के आधार पर संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों के पुनर्वितरण से इस असंतुलन के और अधिक बढ़ने का खतरा है।
  • दक्षिणी राज्यों की चिंताएँ
    • परिसीमन और प्रतिनिधित्व: दक्षिणी राज्यों को राजनीतिक रूप से वंचित होने का डर है क्योंकि हिंदी भाषी राज्यों को बहुमत मिल सकता है, जिससे संभवतः वर्तमान सरकार (एनडीए/भाजपा) को संसद पर स्थायी कब्ज़ा मिल सकता है। इन चिंताओं को दूर करने के लिए समान पुनर्वितरण और प्रतिनिधित्व की माँग की जा रही है। 

संघवाद को पुनर्जीवित करना

  • अंतर-राज्यीय परिषद को पुनर्जीवित करना:
    • मूल रूप से संविधान के अनुच्छेद 263 के तहत स्थापित और सरकारिया आयोग द्वारा अनुशंसित, परिषद को पुनरोद्धार करने की आवश्यकता है। 
    • इसे परामर्श, निर्णय लेने, विवाद समाधान और राज्यों और सरकारी स्तरों के मध्य समन्वय के लिए स्वतंत्र रूप से कार्य करना चाहिए।

निष्कर्ष

भारत के विविध परिदृश्य में, एकता बनाए रखने के लिए सहकारी संघवाद आवश्यक है। समान संसाधन वितरण और प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने से एकीकृत राष्ट्र के सभी आदर्श मजबूत होंगे।

मुख्य परीक्षा पर आधरित प्रश्न 

जीएस 2: संघीय ढाँचे से संबंधित मुद्दे एवं चुनौतियाँ,

प्रश्न सहकारी संघवाद को बढ़ावा देने में अंतर-राज्यीय परिषद की भूमिका का आलोचनात्मक विश्लेषण कीजिए। (10 अंक, 150 शब्द)

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