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Lokesh Pal December 14, 2024 05:30 22 0
शिरोमणि अकाली दल के नेता सुखबीर सिंह बादल को अकाल तख्त द्वारा हाल ही में दी गई धार्मिक और राजनीतिक सज़ा ने राजनीतिक मामलों में धार्मिक प्राधिकरण के बढ़ते दखल के बारे में चिंता जताई है, जिससे आस्था और शासन के बीच की रेखा धुंधली हो रही है।
अकाल तख्त:अकाल तख्त सिखों की सर्वोच्च धार्मिक पीठ है, जो समुदाय के मामलों पर अंतिम निर्णय देती है। कोई भी व्यक्ति जो खुद को सिख मानता है, उसे अकाल तख्त पर बुलाया जा सकता है, उस पर मुकदमा चलाया जा सकता है और सजा सुनाई जा सकती है। |
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हालांकि अकाल तख्त को सिख समुदाय के धार्मिक मामलों की देखरेख करने का अधिकार है, लेकिन राजनीतिक निर्णयों में उसका हस्तक्षेप बहुत ही समस्याग्रस्त है। अतः भारत के धर्मनिरपेक्ष सिद्धांतों को कायम रखा जाना चाहिए और स्वस्थ लोकतांत्रिक व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए धार्मिक और राजनीतिक क्षेत्रों को अलग-अलग रखा जाना चाहिए।
मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्नप्रश्न: भारत में धार्मिक समूह किस हद तक राजनीतिक दलों पर प्रभाव डालते हैं? लोकतांत्रिक प्रणाली की अखंडता पर इस तरह के हस्तक्षेप के संभावित परिणामों का विश्लेषण करें। (10 अंक , 150 शब्द) |
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