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निवासियों को आश्रय से परे चार दीवारों की जरुरत

Lokesh Pal February 22, 2024 05:00 136 0

संदर्भ:

अंतरिम बजट 2024 में भारत के वित्त मंत्री द्वारा प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण (PMAY-G) के तहत अगले पांच वर्षों में दो करोड़ अतिरिक्त घरों के निर्माण और मध्यम वर्ग के लोगों के लिए एक नई आवास योजना शुरू करने की घोषणा की गई है।

प्रारंभिक परीक्षा के लिए प्रासंगिकता: प्रधानमंत्री आवस योजना (PMAY)

मुख्य परीक्षा के लिए प्रासंगिकता : बजट 2024-25 में किफायती आवास के लिए की गई प्रमुख घोषणाएँ, इससे संबंधित चुनौतियाँ तथा आगे की राह 

संबंधित तथ्य :

  • सभी के लिए आवास: यह सरकार द्वारा  ‘सभी के लिए आवास’ पहल के लक्ष्यों को साकार करने की दिशा में उठाया गया कदम है ।
  • PMAY की सफलता पर आधारित : यह पीएमएवाई योजना की उस सफलता पर आधारित है, जिसके तहत वर्ष  2015 से भारत के लगभग तीन करोड़ ग्रामीण और 80 लाख शहरी क्षेत्रों में किफायती घरों के निर्माण की सुविधा प्रदान की जा चुकी है।

किफायती आवास में आधुनिक प्रौद्योगिकियाँ:

  • लाइट हाउस प्रोजेक्ट्स (LHP): PMAY मिशन के ढाँचे के अंतर्गत , छह राज्यों के छह साइटों पर हाउसिंग टेक्नोलॉजी चैलेंज (GHTC) के हिस्से के रूप में LHP का संचालन किया जा रहा है।
    •  इन LHP के तहत आधुनिक प्रौद्योगिकी और नवीन प्रक्रियाओं का लाभ उठाया जाता  है, ताकि भवन निर्माण में लगने वाले समय में कमी लायी जा सके और वंचितों के लिए अधिक लचीले और किफायती आवास बनाए जा सकें।
  • मिवान प्रौद्योगिकी (Mivan Technology): इस तकनीक के तहत विभिन्न भवन संबंधी तत्वों को ढालने और बनाने के लिए उन्नत एल्यूमीनियम ढाँचे का उपयोग किया जाता है,  जिनका  पुन: चक्रण और पुन: उपयोग संभव हो पाता है।
    •  मिवान तकनीक, भवन निर्माण के संबंध में उच्च दक्षता प्रदान करता है और यह परियोजना की कुल अवधि और लागत में भी कमी लाता है।

संबंधित चिंताएँ: :

  • भवन ऊष्मन में वृद्धि: भवन निर्माण के दौरान उचित इन्सुलेशन के बिना सीमेंट और स्टील के व्यापक उपयोग के परिणामस्वरूप इमारत के आवरण के द्वारा भवन के ऊष्मन में  वृद्धि हो जाती है।
    • नतीजतन, इन भवनों में रहने वाले लोगों द्वारा इस उष्मन से बचाव हेतु उपयोग किये जा रहे एयर कंडीशनर जैसे शीतलन उपकरणों इत्यादि में लगातार वृद्धि हो रही है।
    • शीतलन उपकरणों पर निर्भरता से बिजली की खपत में वृद्धि होती है, जिससे ग्रीनहाउस गैस (GHG) उत्सर्जन में वृद्धि होती है।
  • GHG उत्सर्जन में वृद्धि : ऊष्मन से बचाव हेतु इन भवनों में रहने वाले लोगों द्वारा कम खरीद लागत के कारण निम्न दक्षता वाले उपकरणों (उच्च दक्षता वाले उपकरणों की उपलब्धता के बावजूद) के ज्यादातर उपयोग से बिजली की खपत में वृद्धि होती है जिससे अंततः ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में वृद्धि होती है।
    • उपरोक्त स्थिति एक गंभीर विरोधाभास को रेखांकित करती है, जिसमें भवन निर्माण के दौरान कम कार्बन उत्सर्जन विकल्प की पेशकश करने वाली तकनीक, अपने क्रियान्वयन चरण के दौरान ऊँचे कार्बन उत्सर्जन में योगदान करती है।

आगे की राह :

  • भवन की ऊष्मन संबंधी पहलुओं को प्राथमिकता देना: बिल्डिंग कोड के अंतर्गत, इको निवास संहिता जैसी पहलों द्वारा प्रदर्शित अंतर्निहित दिशानिर्देशों को लागू किया जाना आवश्यक है ।
    • यह ढाँचा, विशिष्ट जलवायु क्षेत्रों से संबंधित भवन आवरण विशेषताओं को परिष्कृत करने की ओर ध्यान आकर्षित करता है, जिससे निर्मित स्थानों के भीतर एक ऊष्मन विशेषता वाले आरामदायक वातावरण की सुविधा प्राप्त होती है।
    •  स्मार्ट घर III परियोजना: उदहारण के तौर पर राजकोट के स्मार्ट घर III परियोजना को देखा जा सकता है I यह PMAY अनटेनेबल स्लम पुनर्विकास परियोजना (Untenable Slum Redevelopment Project)  के तहत एक किफायती आवास प्रदान करने की पहल और पैसिव डिजाइन कार्यान्वयन के माध्यम से इनडोर थर्मल विशेषता वाली सुविधा को प्राप्त करने की दिशा में एक प्रमुख उदाहरण है।
  • प्रौद्योगिकी को शामिल करना : भवन संहिताओं को अपनाने और उनके उचित कार्यान्वयन को प्रोत्साहित करने के लिए, संपूर्ण मूल्य श्रृंखला में एक प्रणालीगत परिवर्तन की आवश्यकता है।
    • इसके लिए हितधारकों के मध्य जागरूकता संवर्धन करने और सहयोग को बढ़ावा देने तथा पैसिव डिजाइनों (Passive Designs) को प्राथमिकता देने के लिए डेवलपर्स को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है।

पैसिव डिज़ाइन:  वह डिज़ाइन है जो घर में आरामदायक तापमान बनाए रखने के लिए स्थानीय जलवायु के साथ कार्य करता है। एक बेहतर पैसिव डिज़ाइन के तहत उस स्थान की जलवायु के आधार पर अतिरिक्त हीटिंग या कूलिंग की आवश्यकता को कम या समाप्त किया जा सकता है ।

  • पर्यावरणीय प्रभावों का समाधान आवश्यक : भवन निर्माण क्षेत्र के बढ़ते महत्व और GHG उत्सर्जन में इसके योगदान को ध्यान में रखते हुए, निर्माण गतिविधियों के पर्यावरणीय प्रभावों को संबोधित करने की अनिवार्य रूप से आवश्यकता है।
    • आवास परियोजनाओं में पर्यावरण जागरूकता को शामिल करने से ऐसे घरों का निर्माण सक्षम हो सकेगा, जो न केवल लोगों को आश्रय प्रदान करेंगे बल्कि बदलते  जलवायु को ध्यान में रखते हुए लोगों को सुरक्षा भी प्रदान कर सकेंगे।

मुख्य परीक्षा पर आधारित प्रश्न :  भारत जैसे विशाल भौगोलिक क्षेत्रफल वाले देश जहाँ क्षेत्रीय वातावरण में काफी विविधता है,निम्न आय-स्तर वाली विशाल जनसंख्या के साथ देश में संसाधनों की कमी,सभी के लिए आवास प्रदान करने के वृहत लक्ष्य के समक्ष चुनौतियाँ उत्पन्न करती हैं। ग्लोबल वार्मिंग के दौर में पर्यावरण-हितैषी, ऊर्जादक्ष एवं किफायती भवन-निर्माण की विभिन्न पद्धतियों की चर्चा करें।

News Source: The Hindu

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