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डिजिटल प्लेटफॉर्म्स और उपयोगकर्त्ता-जनित सामग्री का उत्तरदायित्व

Lokesh Pal September 07, 2024 06:00 38 0

संदर्भ 

  • टेलीग्राम के संस्थापक पावेल दुरोव की 24 अगस्त, 2024 को फ्रांस में गिरफ्तारी ने उपयोगकर्त्ता-जनित सामग्री के लिए डिजिटल प्लेटफॉर्म मालिकों की जवाबदेही पर बहस को फिर से चर्चा में ला दिया है। 
  • बाल यौन शोषण सामग्री के वितरण और मादक पदार्थों की तस्करी को सक्षम करने सहित गंभीर आरोपों का सामना करते हुए, डुरोव का मामला इस बारे में महत्त्वपूर्ण प्रश्न उठाता है, कि क्या प्लेफॉर्म मालिकों को अपने उपयोगकर्त्ताओं के कार्यों के लिए उत्तरदायी ठहराया जाना चाहिए।

पृष्ठभूमि

  • 24 अगस्त, 2024 को रूस में जन्मे टेक टाइकून और टेलीग्राम के संस्थापक पावेल दुरोव को पेरिस में गिरफ्तार कर लिया गया।
  • फ्रांसीसी अधिकारियों ने बताया की, कि दुरोव पर कई गंभीर अपराधों के लिए जाँच चल रही है, जिसमें ऐप पर बाल यौन शोषण सामग्री का वितरण, मादक पदार्थों की तस्करी में मदद करना एवं कानून प्रवर्तन के साथ सहयोग करने से इनकार करना शामिल है।
  • डुरोव ने दावा किया कि वह अपने प्लेटफॉर्म पर उपयोगकर्त्ताओं के कार्यों के लिए उत्तरदायी नहीं हैं। उन्होंने तर्क दिया कि टेलीग्राम नहीं, बल्कि उपयोगकर्त्ता ही अवैध गतिविधियों में शामिल हैं।
  • यह स्थिति इस बारे में महत्त्वपूर्ण प्रश्न उठाती है, कि प्लेटफॉर्म संस्थापकों को अपनी सेवाओं के दुरुपयोग के लिए किस हद तक जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए।

नीति और जवाबदेही

  • सुरक्षित बंदरगाह का सिद्धांत और उसका क्षरण : 
    • सुरक्षित बंदरगाह के सिद्धांत का पारंपरिक रूप से अर्थ यह है, कि ईमेल प्रदाताओं या सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स जैसे मध्यस्थों को उनके उपयोगकर्त्ताओं द्वारा साझा की गई सामग्री के लिए उत्तरदायी नहीं ठहराया जाता है।
    • उदाहरण के लिए, अगर आतंकवादी संवाद करने के लिए जीमेल का इस्तेमाल करते हैं, तो जीमेल खुद दोषी नहीं है। हालाँकि, फर्जी खबरों और गलत सूचनाओं के तेजी से फैलने के कारण यह सिद्धांत समय के साथ कमजोर होता जा रहा है।

वर्तमान चुनौतियाँ

  • सरकारी दबाव : सरकारें डिजिटल प्लेटफॉर्म पर कंटेंट की निगरानी और नियंत्रण में सहयोग करने के लिए लगातार दबाव बना रही हैं। अगर प्लेटफॉर्म इसका पालन नहीं करते हैं, तो उन्हें कानूनी कार्रवाई या अन्य दंडात्मक उपायों का सामना करना पड़ता है।
  • प्लेटफॉर्म की सीमाएँ : व्हाट्सएप जैसे प्लेटफॉर्म का तर्क है कि एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन उन्हें उपयोगकर्त्ता संचार तक पहुँचने या निगरानी करने से रोकता है। उनका तर्क है कि सामग्री पारदर्शिता के लिए सरकार की मांग का पालन करने से उपयोगकर्त्ता की गोपनीयता का उल्लंघन हो सकता है, क्योंकि वे स्वयं सामग्री को डिक्रिप्ट करने और देखने में असमर्थ हैं।
  • सुरक्षा बनाम गोपनीयता : सरकारें राष्ट्रीय सुरक्षा और हानिकारक सामग्री के प्रसार के बारे में चिंतित हैं, जबकि प्लेटफॉर्म उपयोगकर्त्ता की गोपनीयता बनाए रखने के महत्त्व पर जोर देते हैं।

हालिया वैश्विक कानून

  • हाल ही में यूरोपीय संघ के डिजिटल सेवा अधिनियम (DSA) जैसे विधायी विकास, सख्त सामग्री विनियमन की ओर एक बदलाव को दर्शाते हैं।
  • कुछ लोगों का तर्क है कि ये उपाय बड़े डिजिटल प्लेटफॉर्म को विनियमित करने के प्रयास का प्रतिनिधित्व करते हैं तथा संभावित रूप से मुक्त अभिव्यक्ति के अधिकार को कम कर सकते हैं। अन्य लोगों का तर्क है कि गलत सूचना के प्रसार को नियंत्रित करने तथा जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए ऐसा कानून आवश्यक है।
  • इन मुद्दों को हल करने की कुंजी डिजिटल प्लेटफॉर्म्स द्वारा सरकारों के साथ पूर्ण सहयोग करने तथा पारदर्शी रूप से अपनी सीमाओं का स्पष्टीकरण करने में निहित है।
  • उदाहरण के लिए, ब्राज़ील और ट्विटर के बीच हाल ही में हुआ विवाद इन चुनौतियों को उजागर करता है। ब्राज़ील ने ट्विटर से एक अनुपालन अधिकारी नियुक्त करने का अनुरोध किया है, लेकिन ट्विटर प्लेटफॉर्म इस अनुरोध के अनुपालन में अनिच्छुक रहा है।
  • इसके अलावा, कई डिजिटल प्लेटफॉर्म मालिकों का आरोप है, कि सरकारें अपने फायदे के लिए उन पर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को दबाने या सत्तारूढ़ पार्टी की आलोचना करने वाली सामग्री को हटाने के लिए दबाव डालती हैं।

भारत में कानूनी और नियामक चुनौतियाँ

  • भारत में 2023 के आईटी नियम डिजिटल प्लेटफॉर्म पर पारदर्शिता रिपोर्ट, अनुपालन अधिकारियों की नियुक्ति और शिकायत निवारण तंत्र सहित व्यापक आवश्यकताएँ लागू करते हैं।
  • हालाँकि टेलीग्राम जैसी कंपनियाँ, जिनकी भारत में भौतिक उपस्थिति नहीं है, ने इन विनियमों का पूरी तरह से पालन नहीं किया है। 
  • अनुपालन में कमी के कारण सरकार और ऐसे प्लेटफॉर्म के बीच तनाव पैदा हो सकता है, जिसके परिणामस्वरूप अनुपालन न होने पर सेवा पर प्रतिबंध लगाने जैसे उपाय किए जा सकते हैं।

निष्कर्ष 

डिजिटल प्लेटफॉर्म्स को सरकारों के साथ रचनात्मक सहयोग को बढ़ावा देना चाहिए, विशेष रूप से आपराधिक गतिविधियों से जुड़े मामलों में पारदर्शिता और सहयोग सुनिश्चित करना चाहिए,। इसके विपरीत, सरकारों को अपने हित के लिए सामग्री को दबाने या उसमें हेरफेर करने के लिए राजनीतिक लाभ का उपयोग करने से बचना चाहिए। डिजिटल युग में प्रभावी और निष्पक्ष शासन के लिए अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता तथा नियामक आवश्यकताओं दोनों का सम्मान करते हुए एक संतुलित दृष्टिकोण आवश्यक है।

मुख्य परीक्षा पर आधारित प्रश्न 

वर्तमान समय में डिजिटल प्लेटफॉर्म्स की उपयोगिता को स्पष्ट कीजिए | इनकी जवाबदेहिता व सुरक्षित उपयोग एक बेहतर समाज के निर्माण हेतु अत्यंत आवश्यक है, आलोचनात्मक परीक्षण कीजिए | (15 अंक, 250 शब्द)

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