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Lokesh Pal November 06, 2024 05:30 30 0
भारत में आधार अधिनियम, 2016 के माध्यम से बायोमेट्रिक डेटा की सुरक्षा ने मृतक व्यक्तियों की पहचान के लिए इसके उपयोग पर चर्चा प्रारंभ कर दी है, मुख्य रूप से उन मामलों में जहाँ परिवार का पता नहीं चल पाता है। हालाँकि, इससे निजता के अधिकारों और गरिमा की आवश्यकता के बीच संतुलन स्थापित करने का एक महत्त्वपूर्ण मुद्दा सामने आया है।
अज्ञात मृतक व्यक्तियों की पहचान करना, मृत्यु के पश्चात् भी प्राण एवं गरिमामय जीवन के अधिकार का सम्मान करके संवैधानिक कर्तव्य को पूरा करता है। यह आर्थिक रूप से वंचित या हाशिए पर व्याप्त समुदायों के लिए विशेष रूप से महत्त्वपूर्ण है, जो आपराधिक न्याय प्रणाली में प्रणालीगत बाधाओं का सामना करते हैं। पहचान संबंधी यह दृष्टिकोण न केवल शोकग्रस्त परिवारों का समर्थन करेगा, बल्कि सामाजिक या आर्थिक पृष्ठभूमि की चिंता किए बिना मृतक के साथ सम्मानजनक व्यवहार करके संवैधानिक मूल्यों को भी सुनिश्चित करेगा ।
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