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Lokesh Pal October 14, 2024 05:30 107 0
वर्ष 2005 में अधिनियमित सूचना का अधिकार (आरटीआई) अधिनियम हाल ही में अपने 20वें वर्ष में प्रवेश कर चुका है, लेकिन इसकी प्रभावशीलता और हाल के संशोधनों के बारे में चिंताओं के कारण इसे अत्यधिक आलोचना का सामना करना पड़ रहा है । आलोचकों का तर्क है कि ये संशोधन पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ावा देने के इसके मूल उद्देश्य को कमजोर करते हैं।
यद्यपि सूचना का अधिकार अधिनियम शासन में पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ाने में एक ऐतिहासिक कानून रहा है परंतु इसके समक्ष आने वाली चुनौतियों ने इसकी प्रभावशीलता को कमज़ोर कर दिया है, जिससे यह प्रभावी रूप से एक मृत पत्र के समान बन गया है। अधिनियम की प्रभावशीलता में आई यह गिरावट सरकार में पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ावा देने की इसकी क्षमता को कम करती है, जो लोकतंत्र और नागरिक सशक्तिकरण के लिए एक गंभीर खतरा है।
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