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भारत में सड़क दुर्घटनाओं से होने वाली मौतें तथा अवसंरचनात्मक विकास

Lokesh Pal May 15, 2025 05:00 11 0

संदर्भ:

भारत में तेज़ी से हो रहे शहरीकरण और आर्थिक विकास ने गतिशीलता से जुड़ी चुनौतियों को बढ़ावा दिया है। सुधारों के बावजूद सड़क दुर्घटनाओं में मृत्यु दर अभी भी अधिक बनी हुई है, जिससे सुरक्षा, समानता और सतत परिवहन समाधानों पर त्वरित सुधार प्रयासों की आवश्यकता है।

भारत में सड़क सुरक्षा संकट: एक राष्ट्रीय प्राथमिकता

  • 2022 के आँकड़ें: भारत ने सड़क दुर्घटना से होने वाली कुल 1.68 लाख मौतों की रिपोर्ट की है, जो प्रति 1 लाख जनसंख्या पर 12.2 मौतों के बराबर है।
  • अंतर्राष्ट्रीय तुलना:यह जापान (2.57) और यूनाइटेड किंगडम (2.61) जैसे देशों की तुलना में कहीं अधिक है।
  • आर्थिक लागत: सड़क दुर्घटनाएँ भारत की सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का 3% प्रति वर्ष व्यय कर देती हैं, जो राष्ट्रीय विकास के लिए एक बड़ी बाधा है।

सड़क सुरक्षा: एक मौलिक अधिकार

  • संविधान का अनुच्छेद 21: यह प्राण और दैहिक जीवन के अधिकार की गारंटी देता है, जिसमें सुरक्षित सड़क यात्रा का अधिकार भी शामिल है।
  • मानवाधिकार: राज्य और समाज सड़क सुरक्षा को एक मानवाधिकार के रूप में मानने तथा सुनिश्चित करने हेतु नैतिक और कानूनी रूप से उत्तरदायी हैं।

शहरीकरण और गतिशीलता: एक बढ़ती हुई चुनौती

  • भविष्य की जनसांख्यिकी: शहरी निवासियों की संख्या 2047 तक, जनसंख्या का लगभग 50% होंगे।
    •  शहरी विकास के कारण वाहन स्वामित्व में वृद्धि होगी तथा सड़क उपयोगकर्ताओं, पैदल यात्रियों, साइकिल चालकों और यात्रियों की सुरक्षा के लिए समावेशी बुनियादी ढाँचे की आवश्यकता होगी।

सुरक्षित प्रणाली दृष्टिकोण

  • मानव सुभेद्यता हेतु पुनः निर्माण: यह स्वीकार करता है, कि मानव त्रुटियाँ अपरिहार्य हैं, लेकिन मृत्यु दर नहीं
  • आवश्यक निर्माण: चौड़े फुटपाथ, साइकिल ट्रैक, स्पष्ट रूप से चिह्नित पैदल यात्री क्रॉसिंग, कम गति सीमा और उभरे हुए चौराहे आदि आवश्यक हैं।
  • लक्ष्य परिवर्तन: व्यक्तियों को नियमों की जानकारी देने से लेकर सुरक्षित सड़कें और वातावरण निर्माण।

सरकारी प्रयास: सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय (MoRTH) की सक्रिय भूमिका

  • राजमार्गों पर 5,000 से अधिक ब्लैक स्पॉट्स में सुधार
  • बेहतर जवाबदेही के लिए अनिवार्य सड़क सुरक्षा ऑडिट
  • कठोर वाहन मानक (एयरबैग, एबीएस(ABS), आदि)।
  • तकनीक आधारित प्रवर्तन: स्पीड कैमरे, सीसीटीवी निगरानी
  • जिला स्तर पर ड्राइविंग और वाहन फिटनेस केंद्र: चालक प्रशिक्षण और वाहन सुरक्षा जाँच को मजबूत करना।

समाधान और आगे की राह

  • सड़क सुरक्षा के लिए वित्तपोषण: एक साहसिक प्रस्ताव
    • सड़क सुरक्षा हेतु सीएसआर (CSR) का उपयोग: ऑटोमोबाइल निर्माताओं को अपनी 100% सीएसआर (CSR) निधि अगले 20-25 वर्षों तक सड़क सुरक्षा के लिए अनिवार्य रूप से आवंटित करने का नियम बनाया जाए।
    • लक्ष्य: दुर्घटनाग्रस्त क्षेत्र, जन जागरूकता, आघात देखभाल (ट्रॉमा केयर), सुरक्षा पर अनुसंधान और चालक कौशल विकास।
    • सार्वजनिक-निजी साझेदारी (PPP): दीर्घकालिक सुरक्षा लक्ष्यों के लिए एक सहयोगी सार्वजनिक-निजी दृष्टिकोण।
  • एकीकृत रणनीति: सड़क सुरक्षा के 4E
    • इंजीनियरिंग: सुरक्षित बुनियादी ढाँचा।
    • प्रवर्तन: कठोर और प्रौद्योगिकी-आधारित नियमों का पालन।
    • शिक्षा: जन जागरूकता और व्यवहार में परिवर्तन।
    • आपातकालीन देखभाल: त्वरित, सुलभ आघात (ट्रॉमा) प्रतिक्रिया।
      • वर्तमान में प्रवर्तन और आपातकालीन सेवाओं पर अधिक बल है, इंजीनियरिंग और शिक्षा को अधिक सुदृढ़ किए जाने की आवश्यकता है।
  • वैश्विक अंतर्दृष्टि और निवेश की आवश्यकता
    • विश्व बैंक का रोडमैप (2020): आगामी 10 वर्षों में अतिरिक्त $109 अरब के निवेश का प्रस्ताव।
      •  लक्ष्य: सड़क दुर्घटना में होने वाली मृत्यु दर में 50% की कमी
      •  दीर्घकालिक लाभ: जीवन रक्षा, आर्थिक दक्षता, गतिशीलता में सुधार।
    •  iRAP और वैश्विक साक्ष्य: प्रमुख क्षेत्रों में निवेश किया गया प्रत्येक ₹1 के निवेश से ₹4 तक की हानि टाली जा सकती है और उत्पादकता में लाभ हो सकता है।
  • कमज़ोर उपयोगकर्ताओं को प्राथमिकता देना
    •  समावेशी शहरी डिज़ाइन: सड़कों को केवल वाहनों के लिए नहीं, बल्कि सभी उपयोगकर्ताओं के लिए सुविधाजनक होना चाहिए।
    •  लक्षित वर्ग: पैदल यात्रियों, साइकिल चालक, बच्चें, महिलाएँ आदि।
    •  मूल्यों की अभिव्यक्ति: सड़कों को केवल ट्रैफिक मार्ग नहीं, बल्कि सामाजिक मूल्यों को दर्शाने वाले साझा नागरिक स्थान के रूप में देखा जाना चाहिए।

निष्कर्ष

भारत को 2047 तक विकसित राष्ट्र बनाने के लिए सड़क सुरक्षा को राष्ट्रीय प्राथमिकता बनाना आवश्यक है। डेटा-समर्थित नीतियों, समावेशी निर्माण और जवाबदेही के माध्यम से, भारत सभी के लिए सुरक्षित, समान और सतत गतिशीलता सुनिश्चित कर सकता है।

 मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यास प्रश्न

विभिन्न सरकारी हस्तक्षेपों के बावजूद, भारत में सड़क दुर्घटनाओं से होने वाली मौतों की संख्या विश्व में सर्वाधिक है। सड़क सुरक्षा शासन में संरचनात्मक चुनौतियों का विश्लेषण कीजिए तथा प्रणालीगत सुधार के लिए एक रोडमैप सुझाइए।

(15 अंक, 250 शब्द)

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