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भारतीय अर्थव्यवस्था में विनियामकों की भूमिका और परामर्शी विनियमन निर्माण

Lokesh Pal June 10, 2025 05:15 63 0

संदर्भ:

हाल ही में, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने विनियमनों, दिशा-निर्देशों और अधिसूचनाओं के प्रकाशन की प्रक्रिया का विवरण देते हुए एक नीतिगत ढाँचा प्रस्तुत किया है।

भारतीय अर्थव्यवस्था में विनियामकों की भूमिका

  • आर्थिक अंपायर अथवा प्रमुख: विनियामक आर्थिक क्षेत्रों में अंपायरया प्रमुख के रूप में कार्य करते हैं, तथा निष्पक्ष कार्य और नियमों के पालन को सुनिश्चित करते हैं।
    • आरबीआई (भारतीय रिज़र्व बैंक) बैंकिंग क्षेत्र की देखरेख करने वाले बैंक रेफ़रीके रूप में कार्य करता है। सेबी (भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड) बाज़ारों को नियंत्रित करता है, मुख्य रूप से प्रतिभूति बाज़ार को।
  • वैधानिक आधार: RBI और SEBI दोनों ही संसद के अधिनियमों के तहत बनाए गए हैं, जिससे ये वैधानिक निकाय बन गए हैं। ये अपनी नियम बनाने की शक्ति सीधे संसद से प्राप्त करते हैं
  • प्रत्यायोजित विधान: संसद द्वारा इन निकायों को नियम बनाने का अधिकार प्रदान करना प्रत्यायोजित विधानके रूप में जाना जाता है

अर्द्ध-विधायी शक्तियाँ और विधि का शासन

  • अर्द्ध-विधायी: अर्द्ध का अर्थ है-लगभगऔर विधायीका अर्थ हैकानून बनाना।यह शब्द उन निकायों का वर्णन करता है, जो संसद न होते हुए भी नियम बनाकर इसी प्रकार कार्य करते हैं
  • विनियामक ढाँचा: विनियामक संसद द्वारा स्थापित व्यापक विधिक ढाँचे के भीतर दिन-प्रतिदिन के नियम बनाकर इस शक्ति का प्रयोग करते हैं।
  • दुरुपयोग की संभावना: यदि उचित जाँच न की जाए, तो ऐसी महत्त्वपूर्ण शक्ति का दुरुपयोग किया जा सकता है।
  • विधि के शासन को बनाए रखना: विधि के शासनका सिद्धांत यह सुनिश्चित करता है, कि नियम-निर्माण सहित सत्ता का समस्त प्रयोग, स्थापित प्रक्रियाओं और विधिक रूपरेखाओं का पालन करता है, जिससे मनमाने कार्यों को रोका जा सके और जवाबदेही को बढ़ावा मिले।
  • स्वागत योग्य शुरुआत: RBI और SEBI द्वारा कानून बनाने की प्रक्रियाओं को रेखांकित करने वाली हाल ही में प्रकाशित रूपरेखा को एक स्वागत योग्य शुरुआत के रूप में देखा जा रहा है

नई विनियामक प्रक्रियाओं की मुख्य विशेषताएँ

  • प्रभाव विश्लेषण (RBI): नए विनियमनों या संशोधनों का प्रस्ताव करते समय, आरबीआई अब प्रभाव विश्लेषणकरेगा।
  • उद्देश्य (SEBI): भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI), अपने प्रस्तावों के विनियामक लक्ष्य और उद्देश्यबताएगा।
  • सार्वजनिक टिप्पणियाँ: दोनों विनियामक अब 21 दिनों के लिए सार्वजनिक टिप्पणियाँ आमंत्रित करेंगे
  • आवधिक समीक्षा: एक महत्त्वपूर्ण सुधार यह है, कि वे अपने विनियमों की भी आवधिक समीक्षा करेंगे

प्रस्तावित परिवर्धन

  • स्पष्ट आर्थिक औचित्य: विनियामकों को अपने हस्तक्षेप के लिए आर्थिक औचित्य को स्पष्ट रूप से पहचानना चाहिए।
  • जवाबदेही तंत्र: उन्हें समय-समय पर समीक्षा और सार्वजनिक टिप्पणियों पर प्रतिक्रिया के लिए जवाबदेही सुनिश्चित करने हेतु तंत्र स्थापित करना चाहिए।

बाज़ार की विफलता (Market Failure)

  • मुख्य अवधारणा: बाजार विफलता तब होती है जब बाजार कुशलतापूर्वक स्वयं को विनियमित नहीं कर सकते।उदाहरण: सामान्य उदाहरणों में शामिल हैं:
    • सूचना विषमता: जहाँ लेनदेन में एक पक्ष के पास दूसरे की तुलना में अधिक या बेहतर जानकारी होती है (उदाहरण के लिए, वित्तीय बाजारों में)।
    • एकाधिकार: एक एकल इकाई बाजार को नियंत्रित करती है, जिसके परिणामस्वरूप प्रतिस्पर्धा में कमी होती है एवं संभावित रूप से कीमतें अधिक हो जाती हैं या गुणवत्ता कम हो जाती है।
    • प्रदूषण: नकारात्मक बाह्य प्रभाव, जहाँ उत्पादन या उपभोग, लेन-देन में शामिल न होने वाले तीसरे पक्ष पर वित्तीय जुर्माना लगाता है।

बाज़ार की विफलता का समाधान

  • लक्षित हस्तक्षेप: विनियमन बाजार की विफलताओं से उत्पन्न होने वाले विशिष्ट, निदान संबंधी मुद्दों को ठीक करने के लिए तैयार किए गए हैं।
    • उदाहरण: सेबी का इनसाइडर ट्रेडिंग नियम- इनसाइडर ट्रेडिंग के विरुद्ध सेबी का नियम सीधे तौर पर शेयर बाजार में सूचना विषमता को संबोधित करता है, तथा निष्पक्षता सुनिश्चित करता है।
  • FSLRC (2013): वित्तीय क्षेत्र विधायी सुधार आयोग (FSLRC) ने बल दिया, कि कानूनों को उनके आर्थिक उद्देश्य के संदर्भ में परिभाषित किया जाना चाहिए।

अंतर्राष्ट्रीय सर्वोत्तम प्रथाएँ

  • संयुक्त राज्य अमेरिका: कार्यकारी ज्ञापन में विनियामकों को लागत-लाभ विश्लेषण करने, समाज पर न्यूनतम बोझसुनिश्चित करने, लाभ को अधिकतम और प्रत्यक्ष विनियमन के विकल्पों का आकलन करने का आदेश दिया गया है।
  • यूरोपीय संघ: बेहतर विनियमन ढाँचे के लिए समस्या, संभावित समाधान और उनके प्रभाव, तथा निगरानी एवं मूल्यांकन के लिए तंत्र की पहचान करने हेतु प्रभाव आकलन की आवश्यकता होती है।

विनियामक सुधार संबंधी चुनौतियाँ

  • सीमित राज्य क्षमता: प्रभावी विनियामक सुधार में एक महत्त्वपूर्ण बाधा सीमित राज्य क्षमताहै, जो मुख्य रूप से विशेषज्ञ कर्मचारियों की कमी से उत्पन्न होती है।
  • विशेषज्ञता का अभाव: लागत-लाभ विश्लेषण जैसे महत्त्वपूर्ण विनियामक प्रथाओं को लागू करने के लिए विशेष रूप से अर्थशास्त्रियों और डेटा वैज्ञानिकों जैसे पेशेवरों की आवश्यकता होती है।
    • वर्तमान में अधिकांश विनियामकों के पास इन जटिल विश्लेषणों को प्रभावी ढंग से संचालित करने की आंतरिक क्षमता का अभाव है।
  • 2025 से पूर्व का खराब ट्रैक रिकॉर्ड: 2025 से पूर्व विनियामकों द्वारा सार्वजनिक परामर्श का इतिहास खराब था।
  • सीमित RBI परामर्श: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने अपने केवल 2.4% परिपत्रों पर सार्वजनिक टिप्पणियों की माँग की।
  • सेबी की अपर्याप्त भागीदारी: भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) ने अपने आधे से भी कम विनियमनों के लिए सार्वजनिक परामर्श लिया

आगे की राह

  • स्पष्टता: विनियामक मसौदों में स्पष्ट रूप से बाजार की विफलता को परिभाषित किया जाना चाहिए, जिसके लिए हस्तक्षेप आवश्यक है।
  • समाधान की व्याख्या: मसौदे में स्पष्ट रूप से यह बताया जाना चाहिए, कि प्रस्तावित नियम इस पहचानी गई बाजार विफलता को कैसे संबोधित करता है। इससे समस्या और समाधान के बीच सीधा संबंध स्थापित होता है।
  • विश्लेषण: विनियामकों को प्रस्तावित विनियमन के लागत-लाभ संबंधी आँकड़े और सामाजिक प्रभाव दिखाना चाहिए।
  • रूपरेखा तैयार करना: सभी नियमों के लिए निगरानी योजना बनाना महत्त्वपूर्ण है। इससे यह सुनिश्चित होता है, कि समय के साथ विनियमन की प्रभावशीलता का आकलन तथा यदि आवश्यक हो तो समायोजन किया जा सकता है।
  • बेहतर व्यवहार के लिए उदाहरण: अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र प्राधिकरण (IFSCA) पहले से ही इस तरह के मॉडल का उपयोग कर रहा है, जो अन्य विनियामकों के लिए अनुकरणीय सफल उदाहरण है।
  • वार्षिक रिपोर्टिंग: जवाबदेही और पारदर्शिता बढ़ाने के लिए, नियम-निर्माण गतिविधियों पर वार्षिक रिपोर्टिंग का सुझाव दिया जाता है। इससे सार्वजनिक फीडबैक के साथ विनियामक जुड़ाव का एक सुसंगत अवलोकन मिलेगा।
  • संसाधन आवंटन: मौजूदा विनियामक ढाँचे को मजबूत करने और सर्वोत्तम प्रथाओं के कार्यान्वयन को सक्षम बनाने हेतु पर्याप्त संसाधनों की तत्काल आवश्यकता है।
  • क्षमता निर्माण के लिए अनिवार्य: क्षमता निर्माण विनियामकों के लिए अत्यावश्यक है, जिससे वे अपनी बढ़ी हुई जिम्मेदारियों को प्रभावी ढंग से पूरा कर सकें और मजबूत, डेटा-संचालित विनियमन सुनिश्चित कर सकें।

निष्कर्ष

व्यक्तिगत विनियामकों द्वारा किए जाने वाले छोटे-छोटे सुधार बेहतर विनियामकीय ढाँचे के निरंतर अनुपालन को सुनिश्चित करने हेतु पर्याप्त नहीं हो सकते हैं। संसद संयुक्त राज्य अमेरिका में प्रशासनिक प्रक्रिया अधिनियम के समान एक कानून बनाने पर विचार कर सकती है, जिसमें मानकीकृत प्रक्रियाएँ हों।

मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यास प्रश्न

भारत में वित्तीय विनियामकों द्वारा परामर्शी विनियमन-निर्माण के महत्त्व का विश्लेषण कीजिए। RBI और SEBI द्वारा अपनाए गए वर्तमान ढाँचों में कमियों की जाँच कीजिए तथा अंतर्राष्ट्रीय सर्वोत्तम प्रथाओं से आवश्यक सुधार बताइए।

(15 अंक, 250 शब्द)

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