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लोकतंत्र में सोशल मीडिया की भूमिका : समग्र अवलोकन

Lokesh Pal November 22, 2024 05:15 4 0

संदर्भ :

लोकतंत्र में सोशल मीडिया की भूमिका पर निरंतर चर्चा होती रहती है, नागरिकों को सशक्त बनाने की इसकी क्षमता के साथ-साथ गलत सूचना, अभद्र भाषा और हेरफेर की चिंताओं का भी सामना करना पड़ता है। हाल ही में द गार्जियन ने एलन मस्क के स्वामित्व वाले ट्विटर (एक्स) को “विषाक्त मीडिया प्लेटफॉर्म” करार दिया, जिसके बाद लोकतंत्र में सोशल मीडिया की भूमिका को लेकर पुनः चर्चाएँ प्रारंभ हो गई |

प्रमुख मुद्दे

  • राजनीतिक पूर्वाग्रह और विचारों में परिवर्तन : उदाहरण के लिए, एलन मस्क ने एल्गोरिदमिक समायोजन के माध्यम से उनके पोस्ट और विशिष्ट आख्यानों को प्राथमिकता देने की अनुमति दी है, जिससे सार्वजनिक विचारों को आकार मिला है और संभावित रूप से लोकतांत्रिक विचारों को निर्धारित किया जा रहा है।
  • केंद्रीकृत नियंत्रण और सरकारी सेंसरशिप : कुछ तकनीकी दिग्गजों की एकाधिकार शक्ति सरकारी सेंसरशिप को आसान बनाती है।
    • एक्स जैसे प्लेटफॉर्म अक्सर सरकारी माँगों के साथ जुड़ते हैं, विविध विचारों के मुक्त प्रवाह को प्रतिबंधित करते हैं और असहमति को दबाते हैं।
  • अपर्याप्त अवसंरचना
    • सुरक्षा टीमों को हटाना : हानिकारक सामग्री को संबोधित करने के लिए आवश्यक टीमों को हटाने के एक्स के निर्णय से अनियंत्रित घृणास्पद भाषण, गलत सूचना और खतरनाक बयानबाजी को बढ़ावा मिला है।
    • स्थानीयकरण में कम निवेश : फेसबुक और व्हाट्सएप जैसे प्लेटफॉर्म पर पर्याप्त स्थानीय भाषा मध्यस्थों (moderators) की कमी है, खासकर भारत जैसे भाषाई रूप से विविध क्षेत्रों में।
      • उदाहरण के लिए, श्रीलंका में दंगों के दौरान मध्यस्थता का कार्य भारत स्थित एक कार्यालय को आउटसोर्स कर दिया गया था, जिसके कारण देरी हुई और संदर्भगत गलत व्याख्याएँ सामने आई।
    • क्षेत्र-विशिष्ट मॉडरेशन का अभाव “डॉग व्हिसलिंग” जैसे मुद्दों को बढ़ाता है, जहाँ कोडित भाषा हिंसा या घृणा को उकसाती है।
  • फर्जी खबरों का प्रसार : व्हाट्सएप जैसे ऐप गलत सूचनाओं के तेजी से प्रसार को बढ़ावा देते हैं तथा बड़े समूह में मैसेजिंग जैसी सुविधाओं का लाभ उठाते हैं।
  • एल्गोरिदमिक हेरफेर : एक्स जैसे प्लेटफॉर्म पर एल्गोरिदम उस सामग्री को प्राथमिकता देते हैं जो मालिक के हितों या विशिष्ट कथाओं के साथ संरेखित होती है।
    • यह न केवल उपयोगकर्ता की धारणा को प्रभावित करता है बल्कि सूचना तक निष्पक्ष पहुँच के लोकतांत्रिक सिद्धांत को भी कमजोर करता है।

सोशल मीडिया का प्रभाव

सकारात्मक प्रभाव

  • जनता की आवाज : उदाहरण के लिए, अन्ना हजारे आंदोलन ने भ्रष्टाचार विरोधी सुधारों के लिए प्रभावी ढंग से जनता का समर्थन जुटाया, जिससे जनता की मांगों को सरकार तक सीधे पहुँचाया जा सका।
  • त्वरित सूचना साझाकरण : सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म वास्तविक समय पर अद्यतन की सुविधा प्रदान करते हैं।
    • कोविड-19 के दौरान, सोशल मीडिया ने ऑक्सीजन आपूर्ति और अस्पताल संसाधनों पर महत्त्वपूर्ण जानकारी प्रसारित की, जिससे लोगों को आपात स्थितियों में तेजी से प्रतिक्रिया करने में मदद मिली।
  • सामुदायिक लामबंदी : सोशल मीडिया आपदाओं के दौरान जमीनी स्तर पर संगठन को बढ़ावा देता है।
    • उदाहरण के लिए, चेन्नई बाढ़ के दौरान हैशटैग #ChennaiRains ने राहत प्रयासों का समन्वय किया तथा प्रभावित समुदायों की सहायता के लिए 25,000 से अधिक स्वयंसेवकों को संगठित किया।
  • सरकारी जवाबदेही का विस्तार : सोशल मीडिया पर वायरल पोस्ट अक्सर अधिकारियों को कार्रवाई करने के लिए मजबूर करते हैं। उदाहरण के लिए, पुलिस के दुर्व्यवहार की घटनाओं को व्यापक रूप से साझा करने से त्वरित अनुशासनात्मक कार्रवाई हुई है, जिससे जवाबदेही और पारदर्शिता बढ़ी है।

नकारात्मक प्रभाव

  • गलत सूचना का प्रसार : सोशल मीडिया फर्जी खबरों के तेजी से प्रसार में सहायक है।
    • कोविड-19 के दौरान उपचार और टीकों के बारे में गलत सूचना के प्रसार ने लोगों में चिंताओं को जन्म दिया।
  • इको चैंबर और ध्रुवीकरण : एल्गोरिदम इको चैंबर बनाते हैं, उपयोगकर्ताओं को केवल समान विचारधारा वाले विचारों के संपर्क में लाते हैं, पूर्वाग्रहों को मजबूत करते हैं और राजनीतिक और वैचारिक ध्रुवीकरण को बढ़ावा देते हैं, जिससे संतुलित दृष्टिकोणों के संपर्क में कमी आती है।
  • राजनीतिक हेरफेर : कैम्ब्रिज एनालिटिका घोटाले ने लक्षित राजनीतिक विज्ञापनों के लिए व्यक्तिगत डेटा के दुरुपयोग, चुनावी प्रक्रियाओं को विकृत करने और मतदाताओं को गुमराह करने पर प्रकाश डाला।
  • घृणास्पद भाषण और हिंसा : अनियंत्रित हिंसात्मक सामग्री अक्सर लोगों में हिंसा को भड़काती है, जैसा कि सोशल मीडिया पोस्ट द्वारा शुरू किए गए दंगों और सांप्रदायिक अशांति में देखा गया है।
  • डिजिटल विभाजन : ग्रामीण और विकासशील क्षेत्रों में सीमित इंटरनेट पहुँच असमानता को बढ़ाती है, सूचना और अवसरों तक पहुँच को सीमित करती है।
  • मानसिक स्वास्थ्य संबंधी मुद्दे : सोशल मीडिया पर नकारात्मक सामग्री, साइबरबुलिंग आदि से अवसाद और तनाव बढ़ता है, जिससे मानसिक स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं का जन्म होता है।
  • समय की बर्बादी : लंबे समय तक अनुत्पादक स्क्रॉलिंग से शिक्षा या सामाजिक संपर्क जैसी सार्थक गतिविधियों के लिए उत्पादकता और समय कम हो जाता है।
  • विदेशी हस्तक्षेप : 2016 के अमेरिकी चुनावों जैसे मामले दिखाते हैं कि कैसे विदेशी संस्थाएँ प्रचार- प्रसार करने, जनमत में हेरफेर करने और लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को कमजोर करने के लिए सोशल मीडिया का उपयोग करती हैं।

उपाय तथा अन्य समाधान

व्यक्तिगत स्तर :

  • तथ्य-जाँच : तथ्य-जाँच में सक्रिय रूप से शामिल हों और साझा करने से पहले जानकारी को सत्यापित करें।
  • बढ़ी हुई जागरूकता : सूचित रहें और सामग्री का आलोचनात्मक मूल्यांकन करें।
  • प्लेटफॉर्म विकल्प : ब्लूस्काई जैसे प्लेटफॉर्म चुनें, जो नैतिक प्रबंधन और नागरिक संवाद को प्राथमिकता देते हैं।
    • मास्टोडॉन जैसी विकेंद्रीकृत प्रणालियों का पता लगाएँ, हालाँकि उन्हें अपनाने के लिए और अधिक उपयोगकर्ता-अनुकूल सुधारों की आवश्यकता है।

प्लेटफॉर्म स्तर :

  • पारदर्शी एल्गोरिदम : प्लेटफॉर्म को पूर्वाग्रह और हेरफेर से बचने के लिए एल्गोरिदम पारदर्शिता सुनिश्चित करनी चाहिए। 
  • उल्लंघनों पर त्वरित कार्रवाई : विश्वास बनाए रखने के लिए सामग्री उल्लंघनों के विरुद्ध त्वरित प्रवर्तन। 
  • स्थानीय भाषा समर्थन : क्षेत्रीय भाषाओं में मॉडरेशन और सामग्री विकल्प प्रदान करें। 
  • घृणास्पद भाषण पर नीतियाँ : घृणास्पद भाषण और हानिकारक सामग्री से निपटने के लिए समान, प्रभावी नीतियों को लागू करें।

सरकारी स्तर :

  • सुदृढ़ कानून : ऑनलाइन सामग्री और व्यवहार को नियंत्रित करने के लिए मजबूत नियम लागू करें।
  • स्पष्ट दिशा-निर्देश : प्लेटफॉर्म जवाबदेही के लिए स्पष्ट दिशा-निर्देश निर्धारित करें।
  • डिजिटल साक्षरता : उपयोगकर्ताओं को ऑनलाइन सामग्री का सही ढंग से प्रयोग करने में मदद करने के लिए डिजिटल साक्षरता कार्यक्रमों को मजबूत करें।
  • निष्पक्ष पहुँच नीतियाँ : सूचना तक समान पहुँच सुनिश्चित करें और डिजिटल स्थानों पर एकाधिकार नियंत्रण को रोकें।

सामुदायिक स्तर :

  • सकारात्मक सामग्री को बढ़ावा दें : रचनात्मक और सूचनात्मक सामग्री को साझा करने के लिए प्रोत्साहित करें।
  • हानिकारक सामग्री को रोकें : सुरक्षित ऑनलाइन वातावरण सुनिश्चित करने के लिए उपयोगकर्ताओं को हानिकारक या झूठी सामग्री की रिपोर्ट करने के लिए सशक्त बनाएँ।
  • बेहतर तथ्य जाँच इकाइयाँ : बेहतर तथ्य जाँच इकाइयाँ स्थापित करना, जो राजनीतिक रूप से तटस्थ, पारदर्शी और स्वतंत्र हों।

निष्कर्ष 

सोशल मीडिया लोकतंत्र का चौथा स्तंभ है, जो नागरिकों को सशक्त बनाता है और संचार को बढ़ावा देता है, साथ ही गलत सूचनाओं का विस्तार और विचारों में परिवर्तन जैसी समस्याएँ भी पैदा करता है। इसलिए आवश्यक है कि लोकतांत्रिक मूल्यों की सुरक्षा तथा इसकी उपयोगिता का उचित प्रयोग करने हेतु पारदर्शी एल्गोरिदम, प्रभावी मॉडरेशन और मजबूत विनियमन लागू किए जाए, जो न केवल सरकार के हित वरन आम नागरिक के हित के लिए भी आवश्यक है ।

मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यास प्रश्न

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म आधुनिक संचार और लोकतंत्र के लिए आवश्यक होते हुए भी एकाधिकार नियंत्रण, सामग्री मॉडरेशन और राजनीतिक हेरफेर की चुनौतियों का सामना करते हैं। डिजिटल युग में लोकतांत्रिक मूल्यों को संरक्षित करने के लिए मुक्त भाषण और विनियमित सामग्री के बीच आवश्यक संतुलन का आलोचनात्मक विश्लेषण कीजिए ।

(15 अंक, 250 शब्द)

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