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सद्भावना: शहर में जीवन प्रेम और आकर्षण से रहित होता जा रहा है

Lokesh Pal September 04, 2025 05:30 96 0

संदर्भ:

अच्छे स्कूल, कॉलेज, अस्पताल और सांस्कृतिक केंद्र उपलब्ध होने के बावजूद, महानगरीय शहर मानसिक तनाव, अकेलेपन और भय के स्थान बनते जा रहे हैं।

  • गगनचुंबी इमारतें, गेट वाले समुदाय और चौड़े राजमार्ग एकाकीपन की भावना को बढ़ाते हैं, जिससे शहरी जीवन अस्वस्थ हो जाता है, जबकि “विकास” के मुख्यधारा के विचार इन समस्याओं को नजरअंदाज करते हैं।

शहरी अलगाव के कारण:

  • गेटेड समुदाय और अलगाव: रियल एस्टेट विकास ने गेटेड समुदायों को सामान्य बना दिया है जो अमीर और महत्वाकांक्षी मध्यम वर्ग को अलग-थलग कर देते हैं।
    • ये समुदाय निगरानी, “दूसरे” के प्रति भय पैदा करते हैं, तथा बाहरी लोगों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाते हैं, तथा अक्सर सेवाकर्मियों के साथ भेदभाव करते हैं।
    • ऐसी परिस्थितियों में अनौपचारिक संबंध, आपसी विश्वास और सामाजिक अंतरंगता अनुपस्थित होती है।
  • कार-केन्द्रित शहरीकरण: राजमार्गों के विस्तार और ऑटोमोबाइल पर निर्भरता ने पैदल यात्रियों की आवश्यकताओं को दरकिनार कर दिया है।
    • फुटपाथों पर वाहनों, फेरीवालों, बिजली के खंभों और धार्मिक संरचनाओं का अतिक्रमण है।
    • सड़क विस्तार के साथ-साथ पेड़ों की कटाई और पारिस्थितिकी तंत्र का विनाश भी हो रहा है, जिससे पारिस्थितिक संतुलन पर कारों को प्राथमिकता दी जा रही है।
  • प्रौद्योगिकी और आभासी निर्भरता: स्मार्टफोन, AI उपकरण और डिजिटल प्लेटफॉर्म ने प्रत्यक्ष मानवीय संपर्क का स्थान ले लिया है।
    • महानगरों में लोग एक-दूसरे का अभिवादन बहुत कम करते हैं, जो जॉर्ज सिमेल के “हृदयहीन उदासीनता” के विचार को दर्शाता है।
    • AI और नए गैजेट्स के विकास के साथ, मानवीय अंतःक्रियाओं के और अधिक कम होने का खतरा है, क्योंकि उपभोक्तावादी “छिपे हुए प्रेरक” बाध्यकारी उपभोग को बढ़ावा देते हैं।

सामाजिक पूंजी पर शहरीकरण का प्रभाव:

  • सामाजिक अलगाव: गेटेड समुदाय में अंदरूनी संपर्क भी कम हो जाता है, क्योंकि पहचान रिश्तों के बजाय अपार्टमेंट नंबर से जुड़ी होती है।
    • मुस्कुराहट या अभिवादन दुर्लभ हैं, 2021 के एक अध्ययन से पता चलता है कि 40% शहरी भारतीय अकेलापन महसूस करते हैं।
  • पारिस्थितिक तनाव और सुरक्षा जोखिम: भारत में होने वाली कुल दुर्घटनाओं में पैदल यात्रियों से संबंधित मृत्यु लगभग 20% है।
    • पैदल चलने के लिए स्थानों की कमी तथा फुटपाथों पर अवरोध के कारण गैर-मोटर चालकों के लिए असुरक्षित स्थिति उत्पन्न हो जाती है।
  • यातायात भीड़ और शहरी संघर्ष: दिल्ली सांख्यिकी पुस्तिका 2023 के अनुसार, दिल्ली में 2.07 मिलियन से अधिक निजी कारें पंजीकृत हैं, जबकि बेंगलुरु में 2.31 मिलियन कारें हैं, जो यातायात भीड़ में योगदान देती हैं।
    • पार्किंग विवाद झगड़े, हमले और यहां तक कि गोलीबारी तक बढ़ जाते हैं, जिससे पता चलता है कि गतिशीलता संबंधी तनाव किस प्रकार संघर्ष को बढ़ावा देता है।
  • मानवीय सम्पर्क का टूटना: महानगरों जैसे सार्वजनिक स्थानों पर लोग चुप रहते हैं और स्मार्टफोन में मग्न रहते हैं, तथा बातचीत से बचते हैं।
    • लाइक्स और फॉलोअर्स के माध्यम से आभासी जुड़ाव, प्रामाणिक बातचीत का स्थान ले लेता है, जिससे अलगाव बढ़ता है।

निष्कर्ष:

  • समकालीन शहरी जीवन ने लोगों को अधिक उत्पादक और कुशल बना दिया है, साथ ही उन्हें अकेला, चिंतित और भावनात्मक रूप से खोखला भी बना दिया है।
  • आधुनिकता और प्रगति का वादा करने वाली संरचनाएं ही मानव जीवन के सार को खोखला कर रही हैं।

मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यास प्रश्न:

प्रश्न: शहरीकरण ने सेवाओं तक पहुँच में सुधार किया है, लेकिन सामाजिक बंधनों को खंडित किया है, अकेलेपन को बढ़ावा दिया है और सामुदायिक विश्वास को कम किया है। भारत में सामाजिक पूँजी पर तीव्र शहरीकरण के प्रभाव का विश्लेषण कीजिए।

(10 अंक, 150 शब्द)

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