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आईटी अधिनियम, 2000 की धारा 79(3)(b) तथा कंटेंट ब्लॉकिंग या विनियमन

Lokesh Pal March 24, 2025 05:30 29 0

संदर्भ:

हाल ही में, एलन मस्क के स्वामित्व वाली कंपनी ‘एक्स’ ने सरकार द्वारा कंटेंट को मॉडरेट करने और हटाने के लिए आईटी अधिनियम की धारा 79(3)(b) के उपयोग का विरोध किया है।

मुख्य बिंदु 

  • एक्स के एआई चैटबॉट ग्रोक 3 ने हिंदी स्लैंग का उपयोग करने और सरकार के बारे में आलोचनात्मक टिप्पणी करने के कारण विवाद को जन्म दिया है।
  • कंपनी का तर्क है, कि इस प्रावधान का दुरुपयोग किया जा रहा है, जो धारा 69A के तहत उपलब्ध सुरक्षा उपायों को दरकिनार कर रहा है, जिसे विशेष रूप से कंटेंट मॉडरेशन (सामग्री विनियमन) के लिए डिज़ाइन किया गया है।

पृष्ठभूमि

  • श्रेया सिंघल बनाम भारत संघ वाद, 2015: सर्वोच्च न्यायालय ने आईटी अधिनियम की धारा 66A को रद्द कर दिया, जो “परेशानी या असुविधा” उत्पन्न करने वाली झूठी सूचना भेजने को अपराध मानता था।
    • इस प्रावधान को असंवैधानिक रूप से अस्पष्ट घोषित किया गया, जिससे सरकार को मुक्त भाषण को प्रतिबंधित करने के लिए अत्यधिक शक्तियाँ मिल गईं।
  • धारा 69A: उपर्युक्त निर्णय के बाद, धारा 69A ऑनलाइन सामग्री को अवरुद्ध करने के लिए प्राथमिक कानून बन गई।
  • केंद्र की शक्ति: संविधान के अनुच्छेद 19(2) के तहत “आवश्यक” समझे जाने पर केंद्र सामग्री को अवरुद्ध करने का आदेश दे सकता है, जो निम्नलिखित कारणों से मुक्त भाषण पर उचित प्रतिबंधों की अनुमति देता है:
    • भारत की संप्रभुता और अखंडता
    • राज्य की सुरक्षा और सार्वजनिक व्यवस्था
    • विदेशी संबंध, नैतिकता, मानहानि और किसी अपराध के लिए उकसाना
  • कारण: सरकार को न्यायिक समीक्षा की अनुमति देते हुए सामग्री को अवरुद्ध करने के कारणों को दर्ज करना चाहिए।

आईटी अधिनियम की धारा 79(3)(b) और सर्वोच्च न्यायालय

  • आईटी अधिनियम की धारा 79: सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म (एक्स जैसे मध्यस्थ) के लिए एक “सुरक्षित आश्रय” प्रदान करती है, जो उन्हें तीसरे पक्ष की सामग्री के लिए उत्तरदायित्व से मुक्त करती है।
  • श्रेया सिंघल मामले में स्पष्टीकरण: सर्वोच्च न्यायालय ने स्पष्ट किया, कि मध्यस्थ केवल तभी उत्तरदायी हैं जब वे कानूनी सामग्री हटाने के अनुरोधों का पालन करने में विफल रहते हैं।
    • एक्स का तर्क है, कि सरकार द्वारा धारा 79(3)(b) का उपयोग एक अतिक्रमण है, जो धारा 69A के तहत स्थापित उचित प्रक्रिया और सुरक्षा उपायों को दरकिनार करता है।
  • विस्तार क्षेत्र: धारा 79(3)(b) में कहा गया है, कि मध्यस्थों (एक्स जैसे) को सरकार या उसकी एजेंसी से वास्तविक जानकारी या अधिसूचना प्राप्त होने पर तुरंत गैर-कानूनी सामग्री को हटाना चाहिए।
    • श्रेया सिंघल मामले में सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय ने इस प्रावधान के दायरे को सीमित कर दिया, परिणामस्वरूप धारा 79(3)(b) के तहत कार्रवाई केवल तभी वैध है, जब:
      • न्यायालय का आदेश सामग्री (कंटेन्ट) हटाने को अनिवार्य बनाता है, या
      • सरकार एक अधिसूचना जारी करती है, जिसमें कहा जाता है कि सामग्री अनुच्छेद 19(2) प्रतिबंधों का उल्लंघन करती है।
  • अक्तूबर 2023: इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) ने सभी मंत्रालयों, राज्य सरकारों और पुलिस को धारा 79(3)(b) के तहत सामग्री अवरोधन आदेश जारी करने का निर्देश दिया।
  • अक्तूबर 2024: MeitY ने “सहयोग” नामक एक पोर्टल लॉन्च किया, जो अधिकारियों को अवरोधन आदेश जारी करने तथा अपलोड करने की अनुमति देता है।

MeitY के आदेश और प्रक्रियात्मक सुरक्षा उपाय

  • सुरक्षा उपायों की अनदेखी: MeitY के आदेश आईटी अधिनियम की धारा 69A के तहत प्रदान की गई प्रक्रियात्मक सुरक्षा उपायों को दरकिनार करते हैं।
  • श्रेया सिंघल मामला (2015): श्रेया सिंघल मामले में सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय में स्पष्ट किया गया है, कि सामग्री को केवल धारा 69A या न्यायालय के आदेश के माध्यम से ही अवरुद्ध किया जा सकता है।
  • उद्देश्य: धारा 79 का उद्देश्य मध्यस्थों की रक्षा करना है, न कि उन पर अतिरिक्त दायित्व थोपना।
  • चिंताएँ: सरकार की व्याख्या ने आवश्यक विधिक सुरक्षा उपायों को दरकिनार करते हुए एक “अवैध अवरोधन व्यवस्था” को जन्म दिया है।
  • अंतरिम आदेश: 17 मार्च, 2025 को एक्स ने बलपूर्वक कार्रवाई पर अंतरिम रोक लगाने की माँग करते हुए याचिका दायर की।
    • न्यायमूर्ति एम. नागप्रसन्ना की एकल पीठ ने रोक लगाने से इनकार कर दिया, लेकिन सरकार द्वारा प्रतिकूल कार्रवाई किए जाने पर एक्स को न्यायालय जाने की अनुमति दी। मामले की सुनवाई 27 मार्च, 2025 को होगी।

निष्कर्ष

डिजिटल प्लेटफार्मों पर मौजूद सामग्री का विनियमन (कंटेन्ट मॉडरेशन) वर्तमान समय में एक आवश्यक मुद्दा है, जो न केवल संबंधित डिजिटल प्लेटफॉर्म्स बल्कि सरकार तथा आम लोगों के लिए भी आवश्यक है| यह ने केवल लोगों के वाक् एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार को बाधित करता है, साथ ही कंपनियों पर एक बाध्यकारी प्रावधान भी आरोपित करता है | आवश्यक है कि उपयुक्त उपायों के साथ इसका विनियमन सुनिश्चित किया जाए।

मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यास प्रश्न 

डिजिटल प्लेटफॉर्म के खिलाफ हाल ही में सरकार की कार्रवाइयों के मद्देनजर, जिसमें कंटेंट टेकडाउन और ओटीटी प्लेटफॉर्म प्रतिबंध शामिल हैं, भारत में मध्यस्थ दायित्व और कंटेंट विनियमन पर सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 79 के निहितार्थों का आलोचनात्मक विश्लेषण कीजिए। ये घटनाक्रम वाक् एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और प्लेटफॉर्म जवाबदेही को किस प्रकार प्रभावित करते हैं?

(15 अंक, 250 शब्द) 

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