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भूकंपीय हलचल: दृष्टिकोण में लचीलेपन हेतु परिवर्तन आवश्यक

Lokesh Pal July 17, 2025 05:15 9 0

संदर्भ:

भारत भूकंपीय गतिविधियों के एक तात्कालिक और तीव्र खतरे का सामना कर रहा है। भूकंपों के प्रति लचीलापन विकसित करने के लिए दृष्टिकोण में मूलभूत परिवर्तन आवश्यक है।

पृष्ठभूमि:

  • 10 जुलाई 2025 को सुबह 9 बजकर 04 मिनट पर दिल्ली में, भूकंप के झटके महसूस किए गए, जिनकी रिक्टर पैमाने पर तीव्रता 4.4 थी। राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र (NCS) द्वारा स्वीकार किया गया है कि यह भारत की भूकंपीय संवेदनशीलता के लिए एक चेतावनी है।
  • हालांकि इस भूकंप का केन्द्र शहर से लगभग 20 किलोमीटर दक्षिण-पश्चिम में पांच किलोमीटर की उथली गहराई पर स्थित था, जिससे कोई खास नुकसान नहीं हुआ, लेकिन राजधानी के बुनियादी ढांचे की कमजोरी उजागर हो गई, जहां 80% से अधिक इमारतें, विशेषकर वर्ष 2000 से पहले की इमारतें, भूकंपीय कोड का पालन करने में विफल रही हैं।
  • जुलाई की घटना मार्च 2025 से एशिया भर में भूकंपों की एक श्रृंखला सी आई है, जिसमें म्यांमार और थाईलैंड में विनाशकारी भूकंप (7.7 तीव्रता), तिब्बत और ग्रीस में झटके और भारत-म्यांमार सीमा पर बार-बार होने वाली भूकंपीय गतिविधि शामिल हैं
  • चूंकि भारत विश्व की सर्वाधिक सक्रिय टेक्टोनिक प्लेटों में से एक पर स्थित है, इसलिए भूकंपीय लचीलापन निर्मित करने की आवश्यकता पहले कभी इतनी अधिक नहीं थी।

भूकंपों के प्रति भारत की संवेदनशीलता:

  • भारत का भूकंपीय जोखिम भारतीय प्लेट के उत्तर की ओर खिसकने से उत्पन्न होता है, जो प्रति वर्ष 4 से 5 सेंटीमीटर की दर से यूरेशियन प्लेट से लगातार टकरा रहा है।
  • अपने प्रारम्भिक दौर में ही इस टक्कर ने हिमालय को आकार दिया है, जो एक ऐसा क्षेत्र है जहां 8 या उससे अधिक तीव्रता कामहाहिम हिमालयी भूकंपआने के अनुमान लगाए जा चुके हैं।
  • यदि यह भूकंप आता है तो इस घटना से उत्तरी भारत, नेपाल और भूटान के लगभग 300 मिलियन से अधिक लोग प्रभावित हो सकते हैं।
  • दिल्ली, एक प्रमुख महानगरीय क्षेत्र, भूकंपीय क्षेत्र IV में स्थित है, जो एक उच्च जोखिम वाली श्रेणी है, तथा इस सक्रिय टेक्टोनिक सीमा के बेहद करीब है।
  • इसका अधिकतम भू-त्वरण (PGA) कारक 0.24g है, जो भूकंप के दौरान महत्वपूर्ण भू-कंपन को दर्शाता है।
  • शहर की अनुमानित आबादी व जोखिम: 3.5 करोड़ (33.5 मिलियन) निवासियों और 5,000 से अधिक ऊंची इमारतों का घर है।
  • एक गंभीर चिंता यह है कि दिल्ली की 80% से अधिक अवसंरचना, विशेष रूप से वर्ष 2000 से पहले निर्मित इमारतें, भारतीय मानक ब्यूरो के IS 1893:2016 कोड जैसे अनिवार्य भूकंपीय कोडों का अनुपालन नहीं करती हैं, जिसमें डक्टाइल डिटेलिंग और शियर वॉल्स की आवश्यकता होती है।

दिल्ली के अलावा भारत के अन्य क्षेत्रों को भी गंभीर खतरों का सामना करना पड़ रहा है:

  • भारत के भूकंपीय क्षेत्र जोन II से लेकर जोन V तक विस्तृत हैं।
  • मणिपुर, नागालैंड और मिजोरम सहित पूर्वोत्तर क्षेत्र जोन V (अत्यंत उच्च जोखिम, PGA 0.36g+) में आता है, तथा म्यांमार से होने वाली भूकंपीय गतिविधि के प्रभाव का अनुभव कर चुका है।
  • अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, जोन V में अवस्थित है, सबडक्शन जोन गतिविधि के बाद सुनामी के प्रति अत्यधिक संवेदनशील है, जैसा कि वर्ष 2004 में दुखद रूप से प्रदर्शित हुआ था।
  • दिल्ली और गुवाहाटी सहित भारत के कई प्रमुख शहर नदी के किनारे बसे हैं।
    • इन क्षेत्रों की मिट्टी प्रायः असंगठित होती है तथा द्रवीकरण की ओर प्रवृत्त होती है, जहां मजबूत कंपन के कारण मिट्टी तरल पदार्थ की तरह व्यवहार करने लगती है, जिससे संरचनात्मक पतन हो जाता है।
  • वर्ष 2001 में भुज में आए भूकंप (7.7 तीव्रता, 20,000 से अधिक मौतें) और वर्ष 2015 में नेपाल में आए भूकंप (7.8 तीव्रता) जैसी ऐतिहासिक घटनाएं, बिना तैयारी के विनाशकारी संभावनाओं की स्पष्ट याद दिलाती हैं।

सोच में व्यापक बदलाव की अनिवार्यता: तेज़ी से बढ़ते शहरीकरण और पुरानी संरचनाओं के नियमों का पालन न करने से उत्पन्न बढ़ते ख़तरे के लिए तत्काल और दृढ़ कार्रवाई की आवश्यकता है। अतः एक सक्रिय, निवारक दृष्टिकोण पर कोई समझौता नहीं किया जा सकता।

भूकंपीय लचीलापन बनाने के लिए प्रमुख रणनीतियाँ:

  • भूकंपीय संहिताओं का कठोर प्रवर्तन: यह सबसे महत्वपूर्ण कदम है। भवन निर्माण संहिताओं का वर्तमान में व्यापक रूप से गैर-अनुपालन एक बड़ी कमजोरी है।
  • पुरानी इमारतों में रेट्रोफिटिंग: पुरानी इमारतों में स्टील जैकेटिंग और क्षतिग्रस्त संरचनाओं को मजबूत करने जैसे उपायों को लागू करना स्थिरता बढ़ाने के लिए आवश्यक है।
  • गहन पाइल नींव को अनिवार्य बनाना: इमारतों को मजबूत आधार प्रदान करने के लिए इसे संवेदनशील क्षेत्रों में लागू किया जाना चाहिए।
  • नवीन निर्माण मानकों को कठोर बनाना: नई इमारतों में उनके डिजाइन में उच्च शक्ति वाले कंक्रीट (30-40 MPA) और लचीले विवरण को शामिल किया जाना चाहिए।
  • संवेदनशील क्षेत्रों में निर्माण कार्यों पर रोक लगाना: द्रवीकरण-प्रवण मिट्टी से जुड़े जोखिमों से बचने के लिए नदी के बाढ़ के मैदानों में निर्माण कार्य को रोकना चाहिए, विशेष रूप से गुवाहाटी जैसे शहरों में।
  • सार्वजनिक शिक्षा और जागरूकता: नागरिकों को निम्नलिखित विषयों पर शिक्षित और जागरूक किया जाना चाहिए:
    • आपातकालीन किट का महत्व।
    • सुरक्षित निर्माण प्रथाएँ।
    • प्रभावी निकासी योजनाएँ।
    • राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र (NCS) इंडियाक्वेक ऐप के माध्यम से प्रारंभिक चेतावनियाँ प्रदान करता है, लेकिन इन चेतावनियों के प्रति जन जागरूकता और प्रतिक्रिया अपर्याप्त है।
  • सामुदायिक तैयारी का विकास: भूकंप के दौरान स्थानीय स्तर पर प्रभावी कार्रवाई के लिए सामुदायिक आपदा प्रतिक्रिया टीमों की तैनाती और प्रशिक्षण महत्वपूर्ण है।
  • त्वरित अनुपालन जांच: दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) जैसी संस्थाओं को भवन निर्माण संहिताओं के अनुपालन एवं जांच में उल्लेखनीय वृद्धि और तेजी लानी चाहिए।
  • रणनीतिक वित्तीय निवेश: विशेषज्ञों का अनुमान है कि कच्छ जैसे अत्यधिक संवेदनशील क्षेत्रों में अनुकूलित समाधान लागू करने के लिए 50,000 करोड़ रुपये का वार्षिक रेट्रोफिटिंग अर्थात पुनः संयोजन निवेश आवश्यक है।

वैश्विक अनुभवों से सबक:

  • थाईलैंड (बैंकॉक): फ्लैट-स्लैब के ढहने के बावजूद, बैंकॉक में 2007 से अद्यतन भूकंपीय कोड और मजबूत भवन तैयारी के कारण 2025 के भूकंप में कम क्षति हुई।
  • म्यांमार: थाईलैंड के विपरीत, लागू न किए गए भवन निर्माण नियमों के कारण 2025 में म्यांमार में भूकंप से होने वाली क्षति की संभावना काफी बढ़ गई है।
  • ये अंतर्राष्ट्रीय सबक भारत के लिए शिक्षाप्रद हैं। भारत को म्यांमार में देखी गई उपेक्षा से बचना चाहिए और थाईलैंड द्वारा प्रदर्शित तैयारी को अपनाना चाहिए।

निष्कर्ष:

भारत को अपनी भूकंपीय संवेदनशीलता को दूर करने की दिशा में त्वरित कदम उठाना चाहिए। भारत सरकार को भूकंपीय संहिताओं के कड़े क्रियान्वयन, व्यापक जन-शिक्षा और लचीले बुनियादी ढाँचे में रणनीतिक निवेश सुनिश्चित करने के लिए एक राष्ट्रीय संवाद का नेतृत्व करना चाहिए।

  • भूकंपीय लचीलापन बनाना केवल एक तकनीकी कार्य ही नहीं है बल्कि जीवन और आजीविका की रक्षा करना एक नैतिक कर्तव्य है।

मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यास प्रश्न:

प्रश्न: दिल्ली में हाल ही में आए भूकंप, बढ़ती विवर्तनिक गतिविधियों के बीच शहरी भारत की भूकंपीय संवेदनशीलता को प्रदर्शित करते हैं। शहरों में भूकंपीय लचीलेपन के कारणों और प्रमुख चुनौतियों का परीक्षण कीजिए। भूकंपीय जोखिमों को कम करने के लिए नीतिगत और अवसंरचनात्मक उपाय सुझाइए।

(15 अंक, 250 शब्द)

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