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काबुल तक पुल के पुनर्निर्माण हेतु सात कदम योजना

Lokesh Pal July 16, 2025 05:00 16 0

संदर्भ:

भारत को अफगानिस्तान के साथ अपने स्थायी संबंधों को पुनर्जीवित करने के लिए एक सक्रिय और बहुआयामी रणनीति दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता है।

  • उभरते भू-राजनीतिक परिदृश्य और शांति एवं पुनर्निर्माण के लिए अफगानिस्तान की अपनी आकांक्षाओं को देखते हुए यह दृष्टिकोण महत्वपूर्ण है।

पृष्ठभूमि:

  • ऐतिहासिक सद्भावना: भारत को हमेशा से ही अफगानिस्तान, जो एक सभ्यतागत पड़ोसी है, के साथ अपार सद्भावना मिली है।
  • अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद की चिंताएँ: 2021 में तालिबान के कब्जे ने शुरुआत में उनके जिहादी आतंकवादी या पाकिस्तानी कठपुतली होने की चिंताएँ उत्पन्न की थीं, लेकिन पिछले चार वर्षों में धीरे-धीरे ये आशंकाएँ गलत साबित हो गई हैं।
  • तालिबान की धारणा में परिवर्तन: वर्तमान समय में तालिबान सरकार एक स्वतंत्र दृष्टिकोण की आकांक्षा रखती है और इस सिद्धांत के प्रति दृढ़ता से प्रतिबद्ध है कि उसके भू-भाग का उपयोग किसी भी रूप में भारत के हितों के विरूद्ध नहीं किया जाएगा
  • वास्तव में, काबुल और इस्लामाबाद के बीच संबंध दीर्घकाल से ही लगभग तनावपूर्ण रहे हैं।
  • वैश्विक शक्तियों का रुख: रूस, चीन, संयुक्त अरब अमीरात और उज्बेकिस्तान जैसी वैश्विक शक्तियां पहले से ही अफगानिस्तान के साथ वार्तायें कर रही हैं; सर्वप्रथम रूस ने औपचारिक रूप से तालिबान सरकार को मान्यता प्रदान की है, वहीं चीन अफगानिस्तान तक चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) का विस्तार कर रहा है।
  • राजनयिक पहुंच: भारत ने राजनयिक भागीदारी के माध्यम से महत्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं, जिसमें विदेश मंत्री एस. जयशंकर और उनके अफगान समकक्ष के बीच उच्च स्तरीय वार्ता भी शामिल है।
  • अफ़ग़ानिस्तान का शांति और पुनर्निर्माण पर ध्यान: दशकों के संघर्ष को झेलने के बाद, अफ़ग़ानिस्तान अब शांति और राष्ट्रीय पुनर्निर्माण को प्राथमिकता दे रहा है और अपने प्रतिभाशाली प्रवासियों को वापस बुलाना चाहता है। भारत को इस रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण दक्षिण एशियाई राष्ट्र के साथ अपने बहुआयामी संबंधों को और अधिक तेज़ करने की आवश्यकता हैं।

काबुल और दिल्ली के संबंधों को मजबूत करने के लिए महत्वपूर्ण कदम:

  • अफगानिस्तान की खनिज संपदा का दोहन: भारत को सरकारी और निजी दोनों क्षेत्रों की कंपनियों को अफगानिस्तान के बुनियादी ढांचे के विकास और तीव्र औद्योगिकीकरण में सक्रिय रूप से भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए।
    • इसकी तीव्र बिजली की कमी को दूर करने को प्राथमिकता देना आवश्यक है।
    • अफगानिस्तान में लिथियम, तांबा और दुर्लभ मृदा सहित प्रचुर मात्रा में अप्रयुक्त खनिज संसाधन मौजूद हैं, जिनका मूल्य कई ट्रिलियन डॉलर है, जिसके कारण इसे लिथियम का सऊदी अरब कहा जाता है।
    • भारत को इन संसाधनों का दोहन करने के लिए अफगान उद्यमियों के साथ गैर-शोषणकारी, परन्तु अनुकूल दृष्टिकोण की साझेदारी करने की आवश्यकता है, जिससे दोनों देशों को लाभ होगा और तकनीकी प्रगति के लिए भारत की कच्चे माल की जरूरतों को पूरा किया जा सकेगा।
  • आजीविका सृजन को समर्थन: भारत को अफगानिस्तान में कृषि, बागवानी और लघु उद्योगों को पुनर्जीवित करने के लिए अपनी विशेषज्ञता अफगान सरकार से साझा करनी चाहिए।
    • ये क्षेत्र स्थानीय आजीविका सृजन की सर्वोच्च संभावना प्रदान करते हैं।
    • तालिबान सरकार ने अफीम की खेती को रोकने के लिए कड़े कदम उठाए हैं, जिससे वैश्विक स्तर पर अफीम और हेरोइन के व्यापार पर काफी प्रभाव पड़ा है।
    • परिणामस्वरूप, कई अफगान किसानों ने अपनी पारंपरिक आय के स्रोत खो दिए हैं।
    • इन किसानों को वैकल्पिक और टिकाऊ आजीविका के अवसर प्रदान करने में भारत की महत्वपूर्ण भूमिका है।
  • स्वास्थ्य और शिक्षा में सहयोग का विस्तार: भारत को भारत में चिकित्सा उपचार, शिक्षा, व्यापार और व्यवसाय के अवसरों की तलाश करने वाले अफगान नागरिकों के लिए वीजा प्रतिबंधों की समीक्षा करनी चाहिए और उन्हें आसान बनाना चाहिए।
    • उदाहरण के लिए, एक दशक पहले तक भारत में लगभग 11,000 अफ़ग़ान छात्र अध्ययन कर रहे थे (जिनमें से 35 प्रतिशत महिलाएँ थीं)। परन्तु आज स्थिति यह है कि आज, यही संख्या अब नगण्य बन गई है।
    • भारत विकसित देशों की तुलना में किफायती चिकित्सा उपचार प्रदान करता है, और अफगानिस्तान विदेश में उपचार पर प्रतिवर्ष 1 बिलियन डॉलर से अधिक खर्च करता है।
    • भारतीय कंपनियों को अफगानिस्तान में अस्पताल और दवा कारखाने स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।
    • इसके अलावा, भारत अफगान विश्वविद्यालयों में शिक्षक प्रशिक्षण के लिए महत्वपूर्ण सहायता प्रदान कर सकता है।
  • दिव्यांग सेवाप्रदान करना: दशकों के युद्ध के परिणामस्वरूप अफगानिस्तान में 1.5 मिलियन से अधिक लोग विकलांग हो गए हैं
    • भारत को अपनी दिव्यांग सेवापहल का विस्तार करना चाहिए, तथा जयपुर फुट जैसे संगठनों को सहयोग देना चाहिए, जो हजारों लोगों को कृत्रिम अंग प्रदान करते हैं।
    • भारतीय कॉर्पोरेट-वित्त पोषित परोपकारी निकायों को भारत की सॉफ्ट पावर और करुणा का लाभ उठाते हुए इन मानवीय प्रयासों में सक्रिय रूप से योगदान देना चाहिए।
  • खेल कूटनीति को बढ़ावा देना: खेलों में सहयोग, विशेष रूप से क्रिकेट पर ध्यान देना आवश्यक है, जो सांस्कृतिक कूटनीति के माध्यम से लोगों के बीच संबंधों को मजबूत करने की अपार संभावनाएं प्रदान करता है।
    • अफगान क्रिकेटर, जिनमें से अधिकांश ने बीसीसीआई और आईपीएल के माध्यम से प्रसिद्धि प्राप्त की, भारत भर में घरेलू नाम हैं।
    • भारत को फुटबॉल और कुश्ती जैसे अन्य खेलों को समर्थन देकर दोनों देशों के मध्य सद्भावना को और बढ़ाना चाहिए।
    • एक महत्वपूर्ण कदम यह होगा कि भारत सरकार बीसीसीआई को काबुल में एक विश्व स्तरीय क्रिकेट स्टेडियम बनाने के लिए प्रोत्साहित करे।
  • निर्बाध व्यापार मार्गों को सुगम बनाना: क्षेत्रीय संघर्षों के बाद अटारी-वाघा भूमि मार्ग के बंद होने से भारत अफगानिस्तान व्यापार पर गंभीर रूप से नकारात्मक प्रभाव पड़ा है।
    • इस महत्वपूर्ण मार्ग को पुनः खोलने के लिए प्रयास किए जाने चाहिए।
    • इसके साथ ही, भारत को निर्बाध व्यापार प्रवाह सुनिश्चित करने के लिए चाबहार बंदरगाह के माध्यम से वैकल्पिक भारत-ईरान-अफगानिस्तान व्यापार गलियारे के विकास और उपयोग में तेजी लानी चाहिए।
  • लोगों से लोगों के संबंध कूटनीति को बढ़ावा: आपसी विश्वास को बढ़ावा देने के लिए लोगों से लोगों के बीच बातचीत में उल्लेखनीय वृद्धि आवश्यक है
    • भारत को भारतीय और अफगान राजनीतिक नेताओं के बीच अधिक लगातार उच्च स्तरीय बैठकें सुनिश्चित करनी चाहिए।
    • विद्वानों, पत्रकारों, रणनीतिक विशेषज्ञों, सामाजिक-सांस्कृतिक नेताओं और व्यापार एवं उद्योग जगत के दिग्गजों के बीच नियमित आदान-प्रदान संबंधों को गहरा करने और प्रगति को सुगम बनाने के लिए महत्वपूर्ण उपकरण हो सकते है।
  • क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ावा देना: सार्क जैसे अन्य क्षेत्रीय समूहों का भी पुनरोद्धार किया जाना चाहिए जिनका अफगानिस्तान सदस्य है क्योंकि अफगानिस्तान के राष्ट्रीय पुनर्निर्माण के लिए यह सर्वोपरि है।
    • भारत को अन्य क्षेत्रीय शक्तियों के साथ मिलकर अफगानिस्तान के विकास में सक्रिय रूप से सहायता करनी चाहिए।
    • अफगानिस्तान ने सभी देशों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध बनाने की स्पष्ट मंशा प्रदर्शित की है, यह एक ऐसा निर्णय हैं जिसका भारत को सम्मान और समर्थन करना चाहिए, जैसा कि वियतनाम की युद्धोत्तर रणनीति में किया गया था।

निष्कर्ष:

भारत के लिए अफगानिस्तान के साथ अपने सदियों पुराने संबंधों में नई ऊर्जा भरने का यह उपयुक्त समय है।

  • एक स्थिर और समृद्ध अफगानिस्तान क्षेत्रीय शांति, कनेक्टिविटी और भारत के रणनीतिक हितों के लिए महत्वपूर्ण साबित होगा।
  • इन रणनीतिक कदमों को लागू करके, भारत अफगानिस्तान के राष्ट्र के रूप में पुनर्जन्म की यात्रा में अपनी प्रमुख भूमिका को पुनः प्राप्त कर सकता है और पारस्परिक रूप से लाभकारी भविष्य को भी सुरक्षित कर सकता है।

मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यास प्रश्न:

प्रश्न: अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान शासन के तहत विकसित हो रही गतिशीलता के आलोक में, भारत-अफ़ग़ानिस्तान संबंधों की बदलती रूपरेखा का परीक्षण कीजिए। अपने सामरिक हितों की रक्षा और अफ़ग़ानिस्तान के साथ दीर्घकालिक संबंधों को बढ़ावा देने के लिए भारत को कौन से व्यावहारिक कदम उठाने चाहिए?

(10 अंक, 150 शब्द)

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