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शेख हसीना का बांग्लादेश से पलायन

Lokesh Pal August 06, 2024 05:00 101 0

संदर्भ

बांग्लादेश की सत्ता में, सबसे लंबे समय तक प्रधानमंत्री के पद पर रही, प्रधानमंत्री शेख हसीना द्वारा लंबे समय से देश में व्यापक सरकार विरोधी प्रदर्शनों व प्रधानमंत्री आवास पर हमले के बाद 5 अगस्त को प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देकर भारत में शरण ली गयी है, इसके बाद से ही सभी की निगाहें दोनों देशों के सम्बन्धों, बांग्लादेश की सुरक्षा व्यवस्था व भावी सत्ता पर हैं।

प्रारंभिक परीक्षा के लिए प्रासंगिकता: बांग्लादेश का मानचित्र, सैन्य शासन, भुगतान संतुलन, आदि।

मुख्य परीक्षा के लिए प्रासंगिकता: भारत-बांग्लादेश सम्बन्ध, भारत-बांग्लादेश सम्बन्धों में चुनौतियां, आदि।

पृष्ठभूमि और संदर्भ:

  • शेख हसीना का कार्यकाल:
    • बांग्लादेश की सबसे लंबे समय तक प्रधानमंत्री पद पर रहने वाली (2009-2024)।
    • 2009 में स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनावों के माध्यम से सत्ता में आयी।
    • इसके बाद 2014, 2018 और 2024 में विवादास्पद चुनावों की अध्यक्षता की।
  • आर्थिक उपलब्धियां:
    • बांग्लादेश विश्व के सबसे गरीब देशों में से एक था परंतु समय के साथ तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था में तब्दील हो गया है।
    • एक दशक में प्रति व्यक्ति आय तीन गुनी हो गयी है।
    • 20 वर्षों में 25 मिलियन से अधिक लोग गरीबी से बाहर निकले।
    • 2.9 बिलियन डॉलर की पद्मा ब्रिज जैसी महत्वाकांक्षी बुनियादी ढांचा परियोजनाएं चलायी गयी हैं।
  • लोकतंत्र का ह्रास:
    • नियंत्रण बनाए रखने के लिए कठोर शक्ति पर निर्भरता बढ़ रही है।
    • डिजिटल सुरक्षा अधिनियम (2018) का उपयोग आलोचकों को शांत कराने के लिए किया गया।
    • प्रेस की स्वतंत्रता और नागरिक अधिकारों का दमन।
    • विपक्षी पार्टियाँ लगातार 2014, 2018 और 2024 से विवादास्पद चुनावों का बहिष्कार कर रहे थे।

संकट के तात्कालिक कारण:

  • वर्तमान आरक्षण कोटा प्रणाली विवाद:
    • स्वतंत्रता सेनानियों के वंशजों, धार्मिक अल्पसंख्यकों और कम प्रतिनिधित्व वाले जिलों के लिए सरकारी नौकरियों में 30% कोटा (आरक्षण) पुनः लागू करना।
    • सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण को घटाकर 7% करने का आदेश दिया
    • कोटा प्रणाली के खिलाफ छात्रों द्वारा व्यापक विरोध प्रदर्शन किया गया।
  • सरकार की प्रतिक्रिया :
    • सत्तारूढ़ अवामी लीग द्वारा विरोध प्रदर्शनों का कठोर दमन किया गया
    • छात्रों के विरुद्ध पुलिस और अर्धसैनिक बलों का प्रयोग किया गया।
    • “देखते ही गोली मारने” के आदेश के साथ सख्त कर्फ्यू लागू किया गया।
  • विरोध प्रदर्शनों में वृद्धि :
    • सरकार की दमन प्रक्रिया के कारण आंदोलन का दायरा और भागीदारी व्यापक होती गई
    • विपक्ष और इस्लामवादी तत्व भी उग्र विरोध प्रदर्शन में शामिल हो गये।
    • अब तक, विरोध प्रदर्शन के दौरान हताहतों की संख्या 300 से 500 के बीच होने का अनुमान है।

आर्थिक कारक:

  • विदेशी मुद्रा की कमी:
    • भारत सहित अन्य देशों से माल आयात करने में कठिनाई।
    • भारतीय निर्यातकों के लिए भुगतान में देरी।
  • महँगाई में बढ़त :
    • घरेलू मांग में कमी।
    • स्थानीय एवं आयातित उत्पादों की खपत में कमी।
  • कोविड-19 महामारी का प्रभाव:
    • बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था को गंभीर झटका।
    • मौजूदा आर्थिक चुनौतियाँ और अधिक बढ़ गईं
  • रूस-यूक्रेन संघर्ष के प्रभाव:
    • आवश्यक वस्तुओं (ईंधन, खाद्य, उर्वरक) की कीमतों में वृद्धि।
    • भुगतान संतुलन की कठिन स्थिति।

राजनीतिक निहितार्थ:

  • शेख हसीना का इस्तीफा:
    • 5 अगस्त को प्रधानमंत्री का अपने पद से इस्तीफा देना 15 साल के शासनकाल का अचानक अंत हो गया।
    • नवनियुक्त प्रधानमंत्री का देश से अचानक पलायन, सत्तावादी नेताओं की नीतियों की याद दिलाता है।
  • सैन्य हस्तक्षेप:
    • अंतरिम सरकार की आड़ में सेना द्वारा सत्ता पर काबिज होना (नोबल विजेता मुहम्मद यूनुस)।
    • तीन दशक के बाद सैन्य शासन की वापसी।
  • विपक्ष की भागीदारी:
    • बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) और जमात-ए-इस्लामी भी विरोध प्रदर्शन में शामिल हो रहे हैं।
    • विपक्ष की भागीदारी से देश में, इस्लामवादी प्रभाव बढ़ने की संभावना।

क्षेत्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय निहितार्थ:

  • भारत पर प्रभाव:
    • भारत की क्षेत्रीय रणनीति इस घटना से काफी प्रभावित हुई है।
    • शेख हसीना चीन और इस्लामी कट्टरपंथ के खिलाफ सहयोगी थी
    • द्विपक्षीय व्यापार में संभावित व्यवधान का भी अनुमान है।
  • व्यापारिक चिंताएं:
    • बांग्लादेश को भारत के साथ निर्यात में चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
    • सीमा चौकियों पर व्यवधान।
    • आर्थिक सम्बन्धों के लिए संभावित दीर्घकालिक निहितार्थ।
  • भू-राजनीतिक विचार:
    • विरोध प्रदर्शनों में विदेशी हस्तक्षेप की संभावना।
    • बांग्लादेश के हितों और भारत के सुरक्षा हितों के प्रतिकूल हितों के बारे में चिंताएं।

सबक और भावी दृष्टिकोण:

  • आर्थिक प्रगति और लोकतांत्रिक मूल्यों के बीच संतुलन:
    • अकेले आर्थिक उपलब्धियां किसी नेता की लोकप्रियता को कायम नहीं रख सकतीं।
    • नागरिक स्वतंत्रता और लोकतांत्रिक संस्थाओं को बनाए रखने का महत्व।
  • समावेशी विकास की आवश्यकता:
    • बढ़ती आर्थिक असमानता को संबोधित करना।
    • भ्रष्टाचार और भाई-भतीजावाद से निपटना। 
  • राजनीतिक सुधार:
    • लोकतांत्रिक संस्थाओं में विश्वास बहाल करना।
    • शांतिपूर्ण असहमति और विरोध के लिए स्थान आरक्षित करना।
  • क्षेत्रीय स्थिरता:
    • दक्षिण एशियाई क्षेत्र के लिए बांग्लादेश की स्थिरता का महत्व।
    • सक्रिय उपायों और क्षेत्रीय सहयोग की आवश्यकता।

निष्कर्ष:

शेख हसीना का कार्यकाल आर्थिक विकास को लोकतांत्रिक मूल्यों के साथ संतुलित करने की आवश्यकता को उजागर करता है। अतः नागरिक स्वतंत्रता और राजनीतिक सुधार सुनिश्चित करना बांग्लादेश की स्थिरता और दोनों देशों की भावी प्रगति के लिए महत्वपूर्ण है।

मुख्य परीक्षा पर आधारित प्रश्न:

प्रश्न: बांग्लादेश में हाल ही में हुए राजनीतिक घटनाक्रमों के मद्देनजर, ढाका के साथ अपने कूटनीतिक सम्बन्धों में भारत के सामने आने वाली चुनौतियों का आलोचनात्मक परीक्षण करें। बदलते राजनीतिक परिदृश्य के साथ तालमेल बिठाते हुए क्षेत्र में अपने रणनीतिक हितों को बनाए रखने के लिए भारत द्वारा अपनाई जा सकने वाली संभावित रणनीतियों पर चर्चा करें।     

(15 अंक, 250 शब्द)

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