//php print_r(get_the_ID()); ?>
Lokesh Pal
February 23, 2024 05:15
213
0
हाल ही में कार्मिक, लोक शिकायत, कानून और न्याय पर संसदीय स्थायी समिति ने इस बात का जिक्र किया है कि कानून मंत्रालय ने पूरे भारत में सर्वोच्च न्यायालय की क्षेत्रीय पीठों (Regional Benches) को स्थापित करने की उसकी सिफारिश स्वीकार कर लिया है। हालाँकि, शीर्ष अदालत संसदीय स्थाई समिति के इस विचार को “लगातार” खारिज करती रही है।
प्रारंभिक परीक्षा के लिए प्रासंगिकता: भारत के संविधान का अनुच्छेद 32, 131 और 143।
मुख्य परीक्षा के लिए प्रासंगिकता: सर्वोच्च न्यायालय की क्षेत्रीय पीठों की स्थापना की आवश्यकता, चुनौतियाँ और आगे की राह। |
सर्वोच्च न्यायालय की क्षेत्रीय पीठों की स्थापना |
|
लाभ | हानि |
न्याय पाना अधिक सुलभ हो जायेगा। | अलग-अलग विचार उभर सकते हैं और न्यायालय के विचारों के मध्य विरोधाभास की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। |
इससे स्थानीय स्तर पर उठने वाले मुद्दों को अधिक बेहतर और अधिक प्रभावी तरीके से हल किया जा सकता है। | क्षेत्रीय पीठों कि स्थापना से सर्वोच्च न्यायालय की स्थिति कमजोर हो सकती है। |
इससे सर्वोच्च न्यायालय पर पड़ने वाले बोझ में कमी आएगी । | संसाधन के स्तर पर लागत में बढ़ोत्तरी हो सकती है। |
न्यायालयों की अपीलीय प्रक्रिया के जटिल होने की संभावना है । | |
न्यायाधीशों पर क्षेत्रीय स्तर की राजनीतिक का प्रभाव पड़ सकता है। |
कैसेशन अदालतें (Cassation Court):
|
सर्वोच्च न्यायालय की क्षेत्रीय पीठों की स्थापना का विचार महत्वपूर्ण प्रतीत होता है, ध्यातव्य है कि भारत के संविधान में सर्वोच्च न्यायालय की कुछ विशेष शक्तियाँ भी हैं ये शक्तियाँ क्रमशः अनुच्छेद 131 के तहत इसका मूल क्षेत्राधिकार, अनुच्छेद 143 के तहत इसका सलाहकार क्षेत्राधिकार और संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत इसका रिट क्षेत्राधिकार।
मुख्य परीक्षा पर आधारित प्रश्न : सर्वोच्च न्यायालय के क्षेत्रीय पीठों की स्थापना के विचार को लगातार ख़ारिज किया जाना,क्या न्यायपालिका की स्वतंत्रता को बाधित करता है ? न्यायालय के समक्ष लंबित मुद्दों तथा भौगोलिक बाधाओं को ध्यान में रखते हुए सर्वोच्च न्यायालय के क्षेत्रीय पीठों की स्थापना का विचार कहाँ तक तर्कसंगत है। टिप्पणी कीजिए। |
News Source: The Hindu
<div class="new-fform">
</div>
Latest Comments