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सिक्किम के भारत में एकीकरण के 50 वर्ष पूरे

Lokesh Pal May 27, 2025 05:30 105 0

संदर्भ:

16 मई, 1975 को सिक्किम राज्य आधिकारिक तौर पर भारत का 22वां राज्य बन गया। चूंकि देश इस ऐतिहासिक एकीकरण के 50 वर्ष   पूरे कर रहा है, इसलिए राजशाही, राजनीति और भू-राजनीति के जटिल अंतर्संबंध को समझना महत्वपूर्ण है, जिसके कारण सिक्किम का विलय हुआ।

1947 से पहले सिक्किम: अद्वितीय भू-राजनीतिक महत्व वाला एक साम्राज्य:

  • स्थापना: सिक्किम की स्थापना 1642 में एक राज्य के रूप में हुई थी, जब तीन तिब्बती लामाओं ने फुंटसोग नामग्याल को इसके प्रथम चोग्याल (राजा) के रूप में ताज पहनाया था।
  • ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने सिक्किम पर एक संरक्षित राज्य की औपचारिक स्थापना की1861 में तुमलोंग की संधि के माध्यम से सिक्किम पर एक औपचारिक संरक्षित राज्य की स्थापना की गई, जिसका अर्थ था कि अंग्रेजों का इस पर नियंत्रण था, लेकिन यह आधिकारिक तौर पर उनके शासन के अधीन नहीं था, और चोग्याल सत्ता पर काबिज रह सकते थे।
    • तितालिया की संधि (1817): इसने ब्रिटिश अधिकारियों को सिक्किम में कई वाणिज्यिक और राजनीतिक लाभ  प्रदान किए । 
    • 1890 का कलकत्ता सम्मेलन: इसने सिक्किम और तिब्बत के बीच सीमा का सीमांकन किया, और इस पर वायसराय लॉर्ड लैंसडाउन और तिब्बत में किंग चीन के इंपीरियल एसोसिएट रेजीडेंट ने हस्ताक्षर किए।  1904 के ल्हासा सम्मेलन ने कलकत्ता सम्मेलन की पुष्टि की।
  • यद्यपि सिक्किम पर कभी भी अंग्रेजों का प्रत्यक्ष शासन नहीं रहा, फिर भी यह चीन और नेपाल के विरुद्ध एक बफर राज्य के रूप में उनके प्रभाव में रहा 

स्वतंत्रता के बाद: सिक्किम के साथ भारत के अस्पष्ट संबंध:

  • अनिश्चित स्थिति: सिक्किम की स्थिति 1947 के बाद भी अनिश्चित रही, क्योंकि ब्रिटिशों के साथ इसका विशेष संबंध पहले से ही मौजूद था।
  • विविध राय: सरदार पटेल और संवैधानिक सलाहकार बी.एन. राव ने शुरू में प्रस्ताव दिया था  कि सिक्किम को विलय पत्र पर हस्ताक्षर करना चाहिए, लेकिन नेहरू सतर्क थे और उन्होंने गैर-हस्तक्षेपवादी दृष्टिकोण को प्राथमिकता दी।
  • स्थिरता समझौता: इस समझौते पर यथास्थिति बनाए रखने के लिए हस्ताक्षर किए गए थे, जिसमें भारत सिक्किम के रक्षा, विदेशी मामलों और संचार का प्रबंधन करेगा।
  • सिक्किम में जातीय विविधता: इसमें भूटिया, लेप्चा और नेपाली (बहुसंख्यक) शामिल हैं, जिसके कारण सिक्किम राज्य कांग्रेस (SSC), प्रजा मंडल और प्रजा सुधारक समाज जैसे राजनीतिक समूहों द्वारा लोकतंत्र और भारत के साथ एकीकरण की शुरुआती मांग की गई।
  • 1950 भारत-सिक्किम संधि: निर्णायक मोड़ 1950 में भारत-सिक्किम संधि द्वारा सिक्किम को औपचारिक रूप से भारतीय संरक्षित राज्य बना दिया गया।
    • भारत ने सिक्किम की रक्षा विदेशी मामलों और संचार पर नियंत्रण  कर लिया, जबकि सिक्किम ने आंतरिक स्वायत्तता बनाए   रखी।
    • भारतीय प्रभाव और भी गहरा हो गया, क्योंकि भारत को वहां बुनियादी ढांचे के निर्माण का विशेष अधिकार प्राप्त हो गया और उसने सिक्किम के नागरिकों को भारतीय पासपोर्ट जारी कर दिया।

सिक्किम भारत में कैसे शामिल हुआ?

  • दोनों पक्षों में राजनीतिक नेतृत्व में परिवर्तन: 1964 में नेहरू की मृत्यु और 1966 में उनके उत्तराधिकारी लाल बहादुर शास्त्री की मृत्यु । नई भारतीय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की स्थिति 1967 के आम चुनावों के बाद कमजोर हो गई, जिसमें उन्हें लोकसभा में कम बहुमत के साथ सत्ता में वापसी  मिली थी। ।
    • चोग्याल की महत्वाकांक्षाएं: 1963 में चोग्याल ताशी नामग्याल की मृत्यु हो गई, और महाराज कुमार थोंडुप उनके उत्तराधिकारी बने, उन्होंने परिवर्तन के इस दौर का लाभ उठाकर सिक्किम के लिए एक स्वतंत्र दर्जा प्राप्त करने की योजना बनाई।
  • सामरिक दबाव: यह 1962 के भारत-चीन युद्ध के बाद भी था, जिसमें भारत की हार हुई थी। इसने सिक्किम सीमा पर भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच झड़पों को रोकना और भी महत्वपूर्ण बना दिया।
  • 1973 में राजशाही विरोधी प्रदर्शन बढ़ते गए: इसके कारण शाही महल को हज़ारों प्रदर्शनकारियों ने घेर लिया। चोग्याल को व्यवस्था बहाल करने के लिए भारतीय सैन्य सहायता का अनुरोध करने के लिए मजबूर होना पड़ा।
  • त्रिपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर चोग्याल, भारत सरकार और प्रमुख सिक्किमी राजनीतिक दलों के बीच हुए।
    • इस समझौते ने राजनीतिक सुधारों की नींव  रखी, जिसमें चुनाव और राजा की शक्तियों को कम करना  शामिल था ।
  • 1974–75: जनमत संग्रहराजशाही का उन्मूलन और एकीकरण:
    • 1974 में चुनाव हुए और काजी दोरजी की सिक्किम कांग्रेस को स्पष्ट बहुमत मिला। राजशाही को नाममात्र की भूमिका तक सीमित करते हुए एक नया सिक्किमी संविधान अपनाया गया
    • 1975: एक जनमत संग्रह कराया गया जिसमें 97% से अधिक लोगों ने राजशाही को समाप्त करने और भारत में विलय के पक्ष में मतदान किया।
    • भारतीय संसद ने शीघ्रता से 36वां संविधान संशोधन पारित कर दिया , जिसके तहत सिक्किम को औपचारिक रूप से भारत के 22वें राज्य के रूप में मान्यता दे दी गई।
      • राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद ने स्वीकृति दे दी और 16 मई, 1975 को विलय प्रभावी हो गया।

निष्कर्ष:

सिक्किम का भारत में विलय एक साधारण विलयन कार्य नहीं था, बल्कि जटिल वार्ता, बदलती भू-राजनीतिआंतरिक लोकतांत्रिक आकांक्षाओं और रणनीतिक आवश्यकता का परिणाम था। सिक्किम का मामला शासन कला, क्षेत्रीय कूटनीति और स्वायत्तता और राष्ट्रीय एकता के बीच संतुलन के बारे में महत्वपूर्ण सबक प्रदान करता है।

मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यास प्रश्न:

प्रश्न: भारत और अमेरिका के बीच बार-बार होने वाले टैरिफ विवादों के द्विपक्षीय व्यापार संबंधों के भविष्य पर पड़ने वाले प्रभावों का मूल्यांकन कीजिए । दोनों देश किस तरह से मुक्त और निष्पक्ष व्यापार की भावना को कमज़ोर किए बिना अपने मतभेदों को सुलझा सकते हैं?

(15 अंक, 250 शब्द)

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