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सामाजिक अभिशाप: भारत में बाल विवाह

Lokesh Pal December 27, 2025 05:00 23 0

संदर्भ:

केंद्र सरकार ने हाल ही में देश को बाल विवाह मुक्त बनाने के लिए 100 दिवसीय जागरूकता अभियान के साथ अपने ‘बाल विवाह मुक्त भारत अभियान’ की पहली वर्षगांठ मनाई।

भारत में बाल विवाह को समाप्त करने का ढाँचा:

  • शारदा अधिनियम, 1929: भारत में बाल विवाह पर रोक लगाने वाला प्रथम कानून ‘शारदा अधिनियम, 1929‘ था, जिसे ‘बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम, 1929’ के नाम से भी जाना जाता है।
  • वैश्विक प्रतिबद्धताएँ: भारत ने संयुक्त राष्ट्र के ‘सतत विकास लक्ष्यों’ (SDG) 2030, विशेष रूप से लक्ष्य 5 और लक्ष्य 5.3 के तहत बाल, जबरन और कम उम्र में विवाह को समाप्त करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबद्धताएँ व्यक्त की हैं।

डेटा जाँच- NFHS प्रवृत्तियाँ:

  • बाल विवाह दरों में गिरावट: राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS) के आंकड़ों के अनुसार, बाल विवाह की दर 2005-06 में 47.4% से गिरकर 2019-21 में 23.3% हो गई।
  • विशाल जनसंख्या में असमान प्रगति: 146 करोड़ की जनसंख्या वाले विविध देश में, जमीनी हकीकत यह है कि विभिन्न राज्यों और सामाजिक-आर्थिक जनसांख्यिकी में प्रगति अलग-अलग और असमान है।
  • उच्च भार वाले राज्य: 18 से 29 वर्ष की आयु की महिलाओं में बाल विवाह की उच्चतम दर पश्चिम बंगाल, बिहार और त्रिपुरा में प्रचलित है, जबकि झारखंड, आंध्र प्रदेश, असम, तेलंगाना, मध्य प्रदेश और राजस्थान भी अधिक पीछे नहीं हैं।

गरीबी और शिक्षा के साथ संबंध:

  • संपत्ति और बाल विवाह: संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (UNFPA) द्वारा NFHS आंकड़ों के विश्लेषण के अनुसार, बाल विवाह और गरीबी के बीच सीधा संबंध है।
    • घरेलू संपत्ति सूचकांक (Household Wealth Index) के सबसे निचले स्तर की 40% लड़कियों की शादी वयस्क होने से पहले हो गई, जबकि उच्चतम स्तर की केवल 8% लड़कियों के साथ ऐसा हुआ।
  • शिक्षा और बाल विवाह: बिना शिक्षा वाली 48% लड़कियों का विवाह 18 वर्ष से कम उम्र में हुआ, जबकि उच्च शिक्षा प्राप्त करने वाली लड़कियों में यह दर केवल 4% थी।

पश्चिम बंगाल का विरोधाभास:

  • प्रोत्साहन-आधारित योजनाओं की सीमाएँ: पश्चिम बंगाल में, लड़कियों को स्कूल में बनाए रखने के लिए नकद प्रोत्साहन देने वाली ‘कन्याश्री प्रकल्प’ (Kanyashree Prakalpa) योजना के बावजूद, विवाह दर उच्च बनी हुई है क्योंकि माता-पिता कभी-कभी इस नकद राशि का उपयोग दहेज के लिए करते हैं।

कानूनी और संस्थागत ढाँचा:

  • प्रमुख कानून: ‘बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम (PCMA), 2006’ बाल विवाह की प्रथा को समाप्त करने संबंधी एक प्रमुख कानून है।
  • कार्यान्वयन में विद्यमान चुनौतियाँ: राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के आंकड़े कानून के कम उपयोग और कम सजा दर को दर्शाते हैं, क्योंकि परिवार सामाजिक कलंक के डर से निजी तौर पर मामलों को सुलझा लेते हैं।
  • POCSO अधिनियम का उपयोग: ‘बाल यौन अपराध संरक्षण अधिनियम (POCSO Act)’ जैसे कड़े कानूनों का उपयोग, जिनमें सहमति से संबंध रखने वाले किशोरों के लिए कोई छूट नहीं है, ने अन्य चिंताओं को जन्म दिया है।
    • कई कम उम्र की लड़कियां डर के कारण अपंजीकृत और अप्रशिक्षित सहायता ले रही हैं, जिससे उनके स्वास्थ्य को और खतरा होता है, क्योंकि उन्हें आपराधिक न्याय प्रणाली से कठोर दंड मिलने का डर रहता है।

कार्रवाई न करने की लागत (Cost of Inaction):

  • सतत विकास लक्ष्यों के साथ संबंध: ‘गर्ल्स नॉट ब्राइड्स’ (Girls Not Brides) के अनुसार, बाल विवाह को समाप्त किए बिना 17 सतत विकास लक्ष्यों में से कम से कम नौ को प्राप्त नहीं किया जा सकेगा।
  • स्वास्थ्य प्रभाव: खराब मातृ स्वास्थ्य (उच्च मातृ मृत्यु अनुपात – MMR), खराब बाल स्वास्थ्य (ठिगनापन, कुपोषण), और गरीबी का चक्र अगली पीढ़ी तक जारी रहता है।

आगे की राह:

  • केंद्रीय अभियानों को सुदृढ़ करना: केंद्र के ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ अभियान को सबसे कमजोर समुदायों तक पहुँचने और लड़कियों को स्कूल में रखने के लिए बुनियादी ढाँचे (जैसे स्वच्छ शौचालय और सुरक्षित सार्वजनिक परिवहन) सुनिश्चित करने के लिए और अधिक प्रयास करने चाहिए।
  • बहुआयामी कारकों का समाधान: भारत में जब तक बाल विवाह को बढ़ावा देने वाले कई कारकों—गरीबी, शिक्षा, स्वास्थ्य और लैंगिक असमानता—का समाधान नहीं किया जाता, तब तक नीति और व्यवहार के बीच के अंतर को पाटना असंभव होगा।
  • सशक्तीकरण: परवरिश को ‘विवाह-केंद्रित’ के बजाय ‘करियर-केंद्रित’ बनाने की आवश्यकता है।
  • नीतिगत समीक्षा: यह समीक्षा की जानी चाहिए कि पश्चिम बंगाल जैसे राज्य, जो नकद योजना के माध्यम से लड़कियों को पढ़ने के लिए प्रोत्साहित करते हैं, वहाँ अभी भी बाल विवाह की उच्च घटनाएँ क्यों हैं।

निष्कर्ष:

भारत में बाल विवाह गरीबी, निम्न शिक्षा, सामाजिक मानदंडों और कमजोर कानून प्रवर्तन के कारण बना हुआ है। इसके प्रभावी उन्मूलन के लिए जागरूकता अभियानों को मजबूत करने, स्कूल सुरक्षा में सुधार, करियर-केंद्रित सशक्तीकरण और गरीबी, खराब स्वास्थ्य एवं लैंगिक असमानता के चक्र को तोड़ने के लिए व्यवस्थित नीतिगत समीक्षा के माध्यम से समग्र कार्रवाई की आवश्यकता है।

मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यास प्रश्न:

प्रश्न: राष्ट्रीय औसत में गिरावट के बावजूद, भारत में बाल विवाह राज्यों और सामाजिक-आर्थिक समूहों में असमान रूप से बना हुआ है। इस असमानता के लिए उत्तरदायी संरचनात्मक कारकों का परीक्षण कीजिए और नीतिगत प्रतिबद्धताओं को सामाजिक परिवर्तन में बदलने के लिए आवश्यक संस्थागत हस्तक्षेपों पर चर्चा कीजिए।

(15 अंक, 250 शब्द)

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