प्रारंभिक परीक्षा के लिए प्रासंगिकता: केंद्रीय बैंक की आय और व्यय संबंधी योजनाएँ ।
मुख्य परीक्षा के लिए प्रासंगिकता: आरबीआई अधिशेष के स्रोत और उपयोग, आरबीआई के अधिशेष हस्तांतरण का महत्त्व आदि के बारे में ।
संदर्भ:
हाल ही में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए 2.11 लाख करोड़ रुपये के रिकॉर्ड लाभांश की घोषणा की।
यह 2018-19 में स्थापित 1.76 लाख करोड़ रुपये के पिछले रिकॉर्ड स्तर को पार कर गया, जो भारत के आर्थिक परिदृश्य में एक महत्त्वपूर्ण विकास परिदृश्य को दर्शाता है।
मुख्य तथ्य :
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा सरकार को दिए जाने वाले अपेक्षा से अधिक लाभांश ने बाजार को सकारात्मक रूप से प्रभावित किया है। जिसे बॉन्ड प्रतिफल में नरमी के रूप में देखा जा सकता है।
इस लाभांश के उद्भव का विस्तृत विवरण तब उपलब्ध होगा जब खातों का काम पूरा हो जाएगा और केंद्रीय बैंक वार्षिक रिपोर्ट जारी करेंगे।
तब तक, 2.11 लाख करोड़ रुपये की राशि में योगदान देने वाले घटकों पर भिन्न-भिन्न प्रतिक्रियाएँ व्यक्त की जायेंगी ।
लाभांश से आशय :
परिभाषा: लाभांश किसी व्यवसाय द्वारा अपने मालिक को दिया जाने वाले लाभ का हिस्सा होता है।
उदाहरण: यदि किसी दुकानदार को अपने व्यापार में कुल 1 लाख रुपये के लाभ की प्राप्ति होती है और वह अपने मालिक को 30,000 रुपये प्रदान करता है, तो यह धनराशि लाभांश कहलाएगी।
आरबीआई और सरकार
आरबीआई: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) भारत का केंद्रीय बैंक है।
सरकार: आरबीआई भारत सरकार के पूर्ण स्वामित्व में है।
लाभांश बंटवारा : प्रत्येक वर्ष आरबीआई और सरकार यह तय करते हैं कि आरबीआई की कमाई का कितना हिस्सा आरबीआई अपने पास आरक्षित रखेगी और कितना हिस्सा सरकार को लाभांश के रूप में प्रदान करेगी।
आरबीआई के मुद्रा के स्त्रोत :
विदेशी मुद्रा निवेश: आरबीआई भारत के विदेशी मुद्रा भंडार को डॉलर, यूरो, पाउंड आदि में निवेश करता है। वह इन निवेशों पर ब्याज अर्जित करता है।
करेंसी ट्रेडिंग: रुपये के मूल्य को स्थिर रखने के लिए RBI डॉलर खरीदता और बेचता है। इन लेन-देन से होने वाला लाभ RBI की आय है।
घरेलू संपत्तियों पर ब्याज: RBI सरकारी बॉन्ड रखता है और रेपो दर पर बैंकों को उधार देता है। इन गतिविधियों से उसे ब्याज की प्राप्ति होती है।
2023-24 में RBI की रेपो दर 6.5% थी, इसलिए उसका लाभ भी संतोषजनक रहा।
आरबीआई सरकार को अधिशेष क्यों देती है:
आरबीआई का मुख्य उद्देश्य : आरबीआई का मुख्य उद्देश्य मुनाफा कमाना नहीं है, बल्कि अर्थव्यवस्था के निम्न बिंदुओं पर ध्यान केंद्रित करना है:
रुपए का मूल्य स्थिर रखना।
मुद्रास्फीति को नियंत्रित करना।
आर्थिक स्थिरता और विकास को बनाए रखना।
आरबीआई अधिनियम: आरबीआई अधिनियम के अनुसार, आरबीआई को प्रत्येक वर्ष अपना अधिशेष सरकार को देना होगा।
आरक्षित निधि : सर्वप्रथम, आरबीआई को अपने खर्चों और आपातकालीन निधियों के लिए धन आरक्षित रखना होता है।
सकारात्मक बिंदु
राजकोषीय लाभ : RBI के पैसे से सरकार की आय में GDP का 0.3% इज़ाफा होगा। इससे सरकार को स्वास्थ्य, शिक्षा और बुनियादी ढाँचे जैसे क्षेत्रों पर खर्च करने के लिए ज़्यादा वित्तीय संसाधन मिल सकेंगे।
सस्ते ऋण: यदि सरकार अपने राजकोषीय घाटे के लक्ष्य पर कायम रहती है, तो उसका सकल उधार 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक घट सकता है।
इससे बाजार में ब्याज दरें कम होंगी। बैंकों के पास निजी कंपनियों को ऋण देने के लिए अधिक धन होगा।
निवेशकों के विश्वास में बढ़ोतरी : RBI द्वारा इतनी बड़ी राशि दिए जाने से लोगों और निवेशकों के विश्वास में बढ़ोतरी होंगी, जो भारतीय अर्थव्यवस्था की मजबूती का संकेत है।
नकारात्मक बिंदु
आरबीआई की स्वतंत्रता: कुछ अर्थशास्त्रियों को डर है कि प्रत्येक वर्ष इतनी बड़ी रकम देने का दबाव धीरे-धीरे आरबीआई की स्वतंत्रता को कम कर सकता है।
भविष्य में, आरबीआई ऐसे फ़ैसले लेने से हिचकिचा सकता है जिससे उसकी आय कम हो।
मुद्रास्फीति जोखिम: RBI का पैसा बाज़ार में अतिरिक्त नकदी से तरलता में इजाफा करता है। अगर इसका इस्तेमाल लोकलुभावन योजनाओं या मुफ़्त चीज़ों के लिए किया जाता है, तो इससे मुद्रास्फीति बढ़ सकती है। यह जोखिम तब और बढ़ जाता है जब मुद्रास्फीति पहले से ही RBI के लक्ष्य से ऊपर हो।
वित्तीय स्थिरता पर प्रभाव: आर्थिक संकट के दौरान, RBI को बैंकों की मदद के लिए रिज़र्व की आवश्यकता होती है, जो कि कोविड काल के दौरान स्पष्ट तौर पर देखा गया था।
RBI का पैसा 2023-24 के मुनाफ़े से आया था, पुराने रिज़र्व से नहीं, लेकिन फिर भी यह RBI की मदद करने की क्षमता को कम कर सकता है।
जालान समिति और ईसीएफ:
विवाद: 2018 में आरबीआई और सरकार के मध्य आरबीआई की आरक्षित निधि को साझा करने को लेकर विवाद हुआ था।
जालान समिति: आरबीआई द्वारा सरकार की सहमति से आर्थिक पूँजी ढाँचे की समीक्षा हेतु बिमल जालान समिति का गठन किया गया था।
इस समिति द्वारा 2019 में एक नए आर्थिक पूँजी ढाँचे (ECF) का सुझाव दिया गया।
ईसीएफ: ईसीएफ यह निर्धारित करता है कि आरबीआई कितना रिजर्व अपने पास सुरक्षित रख सकता है और कितना सरकार को दे सकता है ।
आरबीआई का कुल रिजर्व: ईसीएफ के अनुसार, आरबीआई का कुल रिजर्व उसकी बैलेंस शीट का 20-24.5% होना चाहिए।
घटक: इसमें पुनर्मूल्यांकन रिजर्व और आकस्मिक जोखिम बफर (CRB) शामिल हैं।
अधिशेष वितरण: यदि आरबीआई की आय एक वर्ष में उल्लेखनीय रूप से बढ़ जाती है, तो वह अपने मूल रिजर्व को छुए बिना सरकार को अधिक धन दे सकता है।
आगे की राह:
RBI का रिकॉर्ड लाभांश: RBI का रिकॉर्ड लाभांश सरकार के लिए एक बड़ा तोहफा है।
सावधानी: लेकिन ध्यान रखना होगा कि यह परंपरा का रुप न लेने पाये क्योंकि सरकार हर साल RBI के पैसे पर निर्भर नहीं रह सकती।
आरबीआई की स्वायत्तता बनाए रखना : बेहतर मौद्रिक नीति के लिए आरबीआई की स्वायत्तता बहुत ज़रूरी है। इसमें कमी करने से दीर्घकालिक प्रभाव हो सकते हैं।
सरकार को आरबीआई पर प्रत्येक वर्ष के बराबर या उससे अधिक का लाभांश देने का दबाव नहीं डालना चाहिए।
बुद्धिमानी से उपयोग करना : एक दीर्घकालिक दृष्टिकोण रखना चाहिए क्योंकि यह समझना होगा कि यह रोज़मर्रा का पैसा नहीं है।
सरकार को इसका इस्तेमाल अर्थव्यवस्था को मज़बूत करने के लिए करना चाहिए, न कि लोकलुभावन कार्यक्रमों के लिए।
अर्थव्यवस्था को मज़बूत बनाने के विकल्पों में निम्नलिखित प्रमुख विकल्प शामिल हो सकते हैं:
दीर्घावधि विकास को समर्थन देने के लिए बुनियादी ढाँचे पर निवेश को बढ़ाना।
रोजगार बढ़ाने पर निवेश करना।
स्वास्थ्य और शिक्षा में सुधार करना।
स्वच्छ ऊर्जा की ओर तेजी से बढ़ना।
ऑफ-बैलेंस शीट उधारी को कम करके राजकोषीय निति को स्पष्ट करना।
लाभ के कारक : 2023-24 में आरबीआई को प्राप्त लाभ के निम्न प्रमुख कारक थे :
देश की वृद्धि दर मजबूत रही।
वैश्विक ब्याज दरें बढ़ीं।
रुपया 2022-23 की तुलना में अधिक स्थिर रहा।
सतर्कता :
यह स्थिति बदल सकती है।
वैश्विक अर्थव्यवस्था धीमी हो रही है और ब्याज दरें जल्द ही चरम पर पहुँच सकती हैं।
सरकार को यह नहीं मानना चाहिए कि आरबीआई हमेशा इतना मुनाफा दे सकता है ।
निष्कर्ष:
अर्थात सरकार को आरबीआई द्वारा दिया गया रिकॉर्ड लाभांश समग्र राजकोषीय लाभ को बढ़ाता है, लेकिन आरबीआई की स्वायत्तता को बनाए रखने और दीर्घकालिक आर्थिक स्थिरता के लिए धन का बुद्धिमानी से उपयोग करने के लिए सावधानी बरतने की आवश्यकता है।
प्रारंभिक परीक्षा पर आधारित प्रश्न : (UPSC :2020)
प्रश्न. यदि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) प्रसारवादी मौद्रिक नीति का अनुसरण करने का निर्णय लेता है, तो वह निम्नलिखित में से क्या नहीं करेगा?
वैधानिक तरलता अनुपात को घटाकर उसे अनुकूलित करना
सीमांत स्थायी सुविधा दर को बढ़ाना
बैंक दर को घटना तथा रेपो दर को भी घटाना
नीचे दिये गए कूट का उपयोग करके सही उत्तर चुनिये:
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर: (b)
मुख्य परीक्षा पर आधारित प्रश्न : (UPSC : 2019)
प्रश्न. क्या आप इस मत से सहमत हैं कि सकल घरेलू उत्पाद (जी.डी.पी.) की स्थायी संवृद्धि तथा निम्न मुद्रास्फीति के कारण भारतीय अर्थव्यवस्था अच्छी स्थिति में है? अपने तर्कों के समर्थन में कारण दीजिये।
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