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स्पलैश बैक: निजी रॉकेटों के परीक्षण उड़ानों की संभावनाएँ

Lokesh Pal June 01, 2024 05:15 123 0

संदर्भ:

हाल ही में, अग्निकुल कॉसमॉस नामक एक स्टार्ट-अप ने ‘सबऑर्बिटल टेक डेमोंस्ट्रेटर’ (SOrTeD) नामक मिशन में अपने रॉकेट ‘अग्निबाण’ की पहली परीक्षण उड़ान सफलतापूर्वक संचालित की।

प्रारंभिक परीक्षा के लिए प्रासंगिकता: अग्निबाण, सबऑर्बिटल टेक डेमोस्ट्रेटर (SOrTeD) और लो अर्थ ऑर्बिट। 

मुख्य परीक्षा के लिए प्रासंगिकता: भारत में निजी रॉकेटों की परीक्षण उड़ानें- आवश्यकता और महत्त्व।

अग्निबाण (Agnibaan) के बारे में:

  • प्रक्षेपण यान: ‘अग्निबाण’ एक दो-चरणीय, 14-टन वजनी प्रक्षेपण यान है।
    • यह उड़ान अग्निकुल का पाँचवाँ प्रयास था।
  • घटक: दोनों चरण विशेष अर्ध-क्रायोजेनिक इंजन द्वारा संचालित होते हैं।
    • परीक्षण उड़ान में एक इंजन (या चरण) के साथ रॉकेट के ‘न्यूनतम’ संस्करण का परिक्षण किया गया।
    • इंजन सहित वाहन के कई घटक 3डी-प्रिंटेड हैं।
  • उद्देश्य : इसे छोटे उपग्रहों को पृथ्वी की निचली कक्षाओं तक ले जाने के लिए डिज़ाइन किया गया था।
    • निम्न पृथ्वी कक्षा (LEO): इसमें 1,200 मील (2,000 किमी) या उससे कम ऊँचाई वाली पृथ्वी-केंद्रित कक्षाएँ शामिल हैं। 
      • इस कक्षा को सुविधाजनक परिवहन, संचार, अवलोकन और पुनः आपूर्ति के लिए पृथ्वी के काफी निकट माना जाता है।
  • विशेषताएँ : 
    • भारत की वाणिज्यिक प्रक्षेपण सेवाओं का विस्तार: परीक्षण उड़ान के साथ, अग्निकुल ने ‘अग्निबाण’ को पूर्ण विकसित प्रक्षेपण यान बनने की दिशा में पहला कदम बढ़ाया।
      • यह छोटे उपग्रहों के बढ़ते बाजार और उनके द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाओं को ध्यान में रखते हुए भारत की वाणिज्यिक प्रक्षेपण सेवाओं का विस्तार करेगा।
    • वाणिज्यिक संभावनाएँ: 2022 में ‘अग्निबाण’ और स्काईरूट के ‘विक्रम’ की उड़ानें वाणिज्यिक भाग्य से कहीं अधिक मूल्यवान दो संभावनाओं का संकेत देती हैं।
    • नवप्रवर्तन को गति देना: ये स्टार्टअप इसरो और अन्य के लिए मार्ग प्रशस्त कर रहे हैं, तथा संभावित रूप से इस क्षेत्र में नवप्रवर्तन को गति दे रहे हैं।
      • उदाहरण के लिए, इसरो अपने स्वयं के अर्ध-क्रायोजेनिक इंजन का परीक्षण कर रहा है।
    • शक्ति में वृद्धि: अग्निकुल ने इस बात का जिक्र किया कि वह एक माह के अन्दर ही एक रॉकेट को निर्मित कर सकने में सक्षम होगा।
  • आवश्यक प्रगति: अग्निकुल को परीक्षण उड़ान के मापदंडों के घटिया संचार को प्रबंधित करने की आवश्यकता है। 
    • यह एक ऐसा क्षेत्र है जिसमें इसरो ने खुद को प्रतिष्ठित नहीं किया है और नए अंतरिक्ष स्टार्टअप के लिए उसी ढाँचे से दूर रहना आवश्यक है।

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की भूमिका:

  • प्रभुत्व: वर्तमान में इस सूची में ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (PSLV) का प्रभुत्व है और शीघ्र ही इसमें लघु उपग्रह प्रक्षेपण यान भी शामिल हो जाएगा, दोनों ही भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के हैं। 
  • सहायता प्रदाता: इसरो और/या वहाँ प्रशिक्षित वैज्ञानिकों ने कई निजी मिशनों के लिए तकनीकी जानकारी साझा की है और भौतिक प्रणालियाँ प्रदान की हैं, जिनका परीक्षण अब ये स्टार्टअप कर रहे हैं, जिससे आवश्यक समय और व्यय में कमी आ रही है।

आगे की राह :

  • ज्ञान के मुक्त प्रवाह को प्रोत्साहन: सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि संबंधित नौकरशाही और कानूनी ढाँचे ज्ञान के मुक्त प्रवाह को प्रोत्साहित करें।
    • उदाहरण: हाल ही में, इसरो ने इस बात का जिक्र किया कि उसने पीएसएलवी के चौथे चरण पर कोलंबियम मिश्र धातु नोजल (Columbium alloy nozzles) को बदलने के लिए कार्बन से कार्बन के मिश्रण से बने इंजन नोजल विकसित किए हैं।
    • इस बदलाव से पीएसएलवी की पेलोड क्षमता में 15 किलोग्राम की वृद्धि हुई, जो पहले से ही तकनीकी रूप से परिपक्व प्रक्षेपण यान के लिए एक महत्त्वपूर्ण राशि थी, और यह शिक्षा तथा अनुसंधान के अवसरों के कारण संभव हुआ, जिससे कुछ क्षेत्रों में अर्जित ज्ञान को अन्य क्षेत्रों में भी प्रसारित करने की अनुमति मिली। 
  • अधिक नवाचार की आवश्यकता: जैसे-जैसे अधिक नवाचार सामने आ रहे हैं, यह आशा की जा रही है कि परिणामी समाधान और अंतर्दृष्टि से एयरोस्पेस से लेकर प्राणि विज्ञान तक हर चीज को लाभ मिलेगा।

News Source: The Hindu

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