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भारत की खेल नीति

Lokesh Pal August 12, 2024 05:00 83 0

संदर्भ :

हाल ही में पेरिस ओलंपिक खेल, 2024 समाप्त हुए हैं, जिसके पश्चात् भारत की खेल नीति पर विचार करना अत्यंत आवश्यक हो जाता है| 

 

प्रारंभिक परीक्षा संबंधी विषय : ओलंपिक खेल, भारत की राष्ट्रीय खेल विकास संहिता आदि।

मुख्य परीक्षा संबंधी विषय : ओलंपिक खेलों में भारत का प्रदर्शन, ओलंपिक खेलों में भारत के प्रदर्शन को बेहतर करने के उपाय आदि।

प्रमुख मुद्दे

  • भारत के लिए पेरिस ओलंपिक में कुल 6 पदकों की प्राप्ति (एक भी स्वर्ण पदक नहीं) एक निराशाजनक प्रदर्शन है।
  • कुल पदकों के संबंध में भारत प्रारंभ से चौथे या छठे स्थान पर भी हो सकता था, किंतु 1.4 बिलियन की जनसंख्या वाले देश के लिए यह भी पर्याप्त नहीं है।
  • हालाँकि इसमें कोई संदेह नहीं है, कि भारत ने बीजिंग ओलंपिक, 2008 के बाद से खेलों में काफी सुधार किया है, लेकिन ओलंपिक के पिछले पाँच संस्करणों में हम 2-7 पदकों में ही सिमट कर रह गए हैं।
  • एक अन्य विषय यह है, कि पेरिस ओलंपिक में कुल पदकों की संख्या में चीन ने दूसरा स्थान प्राप्त किया, जबकि स्वर्ण पदकों की संख्या में वह अमेरिका के बराबर था।
  • भारत के लिए खेलों में बेहतर प्रदर्शन हेतु व्यापक रणनीति और उसके क्रियान्वयन पर पुनर्विचार की आवश्यकता है| 

भारतीय दल में खिलाड़ियों की कमी 

  • भारत के पास खिलाड़ियों की कमी के कारण, हम ओलंपिक में पर्याप्त संख्या में एथलीट या खिलाड़ी नहीं भेज पा रहे हैं।
  • पेरिस में भेजे गए कुल 117 एथलीट्स ने प्रति मिलियन जनसंख्या का मात्र 0.08 प्रतिनिधित्व किया था, तो वहीं न्यूज़ीलैंड में यह संख्या 37.8 थी।
  • जापान, जिसकी जनसंख्या भारत की जनसंख्या के 10वें भाग से भी कम है, 400 से अधिक एथलीट्स भेजता है।
  • पदक तालिका में बेहतर स्थिति के लिए पहला और आवश्यक कदम है, अधिक-से-अधिक संख्या में खिलाड़ियों का होना। जिन खेलों में भारतीय खिलाड़ी भाग लेते हैं, उनकी संख्या बढ़ाना भी एक तरीका है।
  •  पेरिस ओलंपिक में हम 32 खेलों में से केवल 16 में ही प्रतिस्पर्द्धा कर पाए। हमारे पड़ोसी देश चीन ने 30 खेलों में भाग लिया।
  •  एक अन्य समस्या यह भी है, कि हमारे बहुत कम एथलीट ओलंपिक चयन के लिए क्वालीफाई कर पाते हैं |

   प्रतिभा आधार का विस्तार  

  • यदि भारत के अधिक-से-अधिक खिलाड़ियों को खेलों के लिए अर्हता प्राप्त करनी है, तो प्रतिभा आधार का विस्तार आवश्यक है।
  • हाल के वर्षों में भारत के शीर्ष-स्तरीय बुनियादी ढाँचे में सुधार हुआ है। लेकिन हरियाणा और पंजाब जैसे खेल राज्यों को छोड़कर, यह मुख्य रूप से शहरी प्रतिभाएँ हैं जो इस तरह के बुनियादी ढाँचे से लाभान्वित हो रही हैं।
  • जमीनी स्तर पर दृष्टिकोण में बदलाव के बिना इसमें परिवर्तन कठिन है। हमें अपने स्कूलों तथा विश्वविद्यालयों में खेल संस्कृति बनाने और बुनियादी ढाँचे का निर्माण करने की आवश्यकता है।
  •  इस तरह के बेहतरीन बुनियादी ढाँचे अमेरिका जैसे राष्ट्रों की सफलता का मुख्य कारक हैं। उदाहरणस्वरूप अमेरिकी विश्वविद्यालयों ने अमेरिकी जिमनास्टिक चैंपियन तैयार किए हैं।

    खेल निकायों में सुधार 

  • भारत के खेल संघ या खेल निकायों की कार्यप्रणाली में सुधार और उनके सख्त विनियमन की आवश्यकता है।
  • भारतीय कुश्ती संघ’ (Wrestling Federation of India- WFI) विवाद में यह मुद्दा सामने आया है, कि संघ के पदों पर आसीन व्यक्ति या राजनेता तथा उनके सगे-संबंधी अपने हित के लिए खिलाड़ियों को नकारात्मक रूप से प्रभावित करते हैं| 
  • विनेश फोगाट जैसे कई अन्य खिलाड़ियों ने खेल संघ या निकायों के सहयोग से नहीं, बल्कि इनके सहयोग के बिना सफलता हासिल की।
  • भारत की ‘राष्ट्रीय खेल विकास संहिता’ जिसका उद्देश्य खेल संघ या निकायों के कार्यों में सुधार करना है, का अभी भी कई संघों द्वारा पालन किया जाना शेष है।
  • जब तक उपर्युक्त में परिवर्तन नहीं होता, तब तक हमें खेल के सबसे बड़े आयोजन यथा ओलंपिक में, भारत का निराशाजनक प्रदर्शन देखना पड़ सकता है।

भारत को खेलों में सार्वजनिक धन का व्यय करने के पीछे प्रमुख कारण

  • सर्वप्रथम यह ध्यान देने योग्य है, कि किसी भी राष्ट्र के लिए ओलंपिक पदकों की अधिकतम संख्या विश्व के समक्ष उसकी उपलब्धि और शक्ति को प्रदर्शित करती है |
  • प्रति व्यक्ति आय निम्न होने के बावजूद पदक प्राप्ति राष्ट्रीय संप्रभुता और श्रेष्ठता हेतु निर्णायक भूमिका निभाती है, ठीक उसी प्रकार जैसे जवाहरलाल नेहरू ने 1950 के दशक में भारत में अत्यंत  गरीबी होने के बावजूद परमाणु तथा अंतरिक्ष अनुसंधान का समर्थन किया था।
  • सार्वजनिक स्वास्थ्य तथा राष्ट्रीय गौरव के अलावा, खेल आर्थिक गतिविधि, विकास और समृद्धि का एक स्रोत हो सकते हैं।
  • विश्व के कई राष्ट्रों ने उनके प्रमुख शहरों में पर्यटकों को आकर्षित करने हेतु बड़े स्तर पर खेल सुविधाओं तथा फॉर्मूला वन सर्किट में निवेश किया है।
  • क्रिकेट इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल), फुटबॉल और कबड्डी जैसे खेलों की सफलता इनकी वृहद् आर्थिक क्षमताओं की ओर संकेत करती है।
  • विभिन्न विशेषज्ञों का तर्क है, कि सरकार को भारत की खेल अर्थव्यवस्था को बेहतर करने हेतु बुनियादी ढाँचे का विस्तार तथा खेल सुविधाओं और प्रशिक्षण में निवेश करना चाहिए।
  • यदि अन्य कारणों की बात करें, तो खेल सार्वजनिक स्वास्थ्य (शारीरिक तथा मानसिक) को बढ़ाने में महत्त्वपूर्ण योगदान देते हैं, साथ ही इनके द्वारा विद्यार्थियों की शिक्षा प्रणाली को भी बेहतर बनाया जा सकता है| इसके लिए स्कूली पाठ्यक्रम में खेलों को शामिल करने की आवश्यकता है, जिससे बच्चों को खेल गतिविधियों में शामिल होने के लिए पर्याप्त समय और अवसर मिल सके।

निष्कर्ष 

भारत का पेरिस ओलंपिक, 2024 में असंतोषजनक प्रदर्शन खिलाड़ियों की तैयारी, खेल के बुनियादी ढाँचे और शासन में रणनीतिक सुधारों की आवश्यकता को दर्शाता है। अतः आवश्यक है कि खेलों में सरकारी व्यय या निवेश को बढ़ाया जाए, जिससे राष्ट्रीय विकास, आर्थिक तथा सामाजिक समृद्धि आदि को बढ़ावा मिल सके |

मुख्य परीक्षा पर आधारित प्रश्न

विश्व का सर्वाधिक जनसंख्या वाला राष्ट्र होने के बावजूद, ओलंपिक खेलों में भारत का प्रदर्शन लगातार असंतोषजनक रहा है। ओलंपिक खेलों में भारत के खराब प्रदर्शन के कारणों का विश्लेषण कीजिए तथा भविष्य में ओलंपिक पदक तालिका में सुधार के उपाय बताइए।

(10 अंक, 150 शब्द)

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