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स्टारलिंक की वैश्विक भूमिका : तकनीकी एवं विकास

Lokesh Pal November 19, 2024 05:30 59 0

संदर्भ :

एलन मस्क के उद्यम स्टारलिंक को भारत में आसान विनियामक प्रवेश मिल सकता है, क्योंकि नव निर्वाचित अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के साथ उनका सहयोग, भारत में अनुकूल नीतियों के लिए उनकी वार्ता की स्थिति को मजबूत करता है।

एलन मस्क तथा ट्रम्प

  • अभियान में समर्थन : ट्रम्प के लिए मस्क का खुला समर्थन कोई आश्चर्य की बात नहीं है, क्योंकि अभियान के दौरान उन्हें सार्वजनिक रूप से समर्थन मिला था, जिसमें $100 मिलियन से अधिक का योगदान शामिल है।
  • DOGE : एलन मस्क और उद्यमी विवेक रामास्वामी ट्रम्प प्रशासन के तहत नव प्रस्तावित सरकारी दक्षता विभाग (DOGE) का नेतृत्व करेंगे।
    • इसका उद्देश्य नौकरशाही को सुव्यवस्थित करना, विनियमनों को कम करना, अनुपयोगी व्यय पर अंकुश लगाना और संघीय एजेंसियों का पुनर्गठन करना है।

स्टारलिंक परियोजना

  • स्टारलिंक स्पेसएक्स के स्वामित्व वाली एक इंटरनेट सैटेलाइट सेवा है, जो उपयोगकर्ताओं को दुनिया के सबसे दूरस्थ और दुर्गम क्षेत्रों में भी हाई स्पीड इंटरनेट की सुविधा प्रदान करती है।
  • स्टारलिंक पारंपरिक केबल सिस्टम के विपरीत, पृथ्वी पर उपयोगकर्ताओं के घरों तक सीधे इंटरनेट सिग्नल भेजने के लिए निम्न भू-कक्षा (LEO) में उपग्रहों के एक समूह का उपयोग करता है।
    • यह निचली कक्षा विलंबता को कम करती है, जिससे तीव्र इंटरनेट स्पीड मिलती है।
  • स्टारलिंक परियोजना की वर्तमान स्थिति
    • लॉन्च किए गए उपग्रह : पाँच वर्षों के भीतर 7,000 से अधिक उपग्रह लॉन्च किए गए, जो वैश्विक स्तर पर सभी सक्रिय उपग्रहों का दो-तिहाई हिस्सा है।
    • 2019 में स्पेसएक्स ने विशेष फाल्कन 9 रॉकेट का उपयोग करके 60 स्टारलिंक उपग्रह लॉन्च किए थे ।
  • भविष्य की परियोजनाएँ :
    • विस्तार में तेज़ी लाने के लिए अगले तीन वर्षों में 10,000 उपग्रहों को भेजने की योजना बनाई गई है।
    • दशक के अंत तक 42,000 उपग्रहों का महत्त्वाकांक्षी लक्ष्य सुनिश्चित है ।
  • स्टारलिंक उपग्रहों का प्रभाव : स्टारलिंक उपग्रहों का प्रभाव विश्व मंच पर तेजी से दिखाई दे रहा है :
    • यूक्रेन युद्ध : इसने रूसी हमलों से बाधित सैन्य संचार और नागरिक इंटरनेट पहुँच को बहाल करने के लिए 12,000 टर्मिनल प्रदान किए।
    • गाजा संघर्ष : इसने इंटरनेट ब्लैकआउट के दौरान आपातकालीन कनेक्टिविटी प्रदान की, मानवीय प्रयासों में सहायता की और चिकित्सा सहायता का समन्वय किया।

भारत में स्टारलिंक का विकास

  • प्री 2021 ऑर्डर चरण : स्टारलिंक ने भारत में ₹7,400 की वापसी योग्य जमा राशि के साथ प्री-ऑर्डर स्वीकार करना शुरू कर दिया।
    • हालाँकि, जल्द ही भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (TRAI) ने स्टारलिंक के संचालन पर आपत्ति जताई, जिसमें कहा गया कि कंपनी के पास भारत में उपग्रह-आधारित ब्रॉडबैंड सेवाएँ प्रदान करने के लिए आवश्यक लाइसेंस या नियामक अनुमोदन नहीं है।
  • सरकारी कार्रवाई : इस समय तक स्टारलिंक ने भारत में लगभग 7,000 प्री-ऑर्डर ले लिए थे, जिन्हें बाद में रद्द कर दिया गया ।
  • 2024 के नए घटनाक्रम : सरकार ने नियामक ढाँचे को संशोधित किया है और स्पेक्ट्रम आवंटन नीति में बदलाव किया है।
    • अगर स्टारलिंक सुरक्षा चिंताओं को संबोधित करने सहित सभी नियामक शर्तों को पूरा करता है, तो वह लाइसेंस देने के लिए तैयार है।

भारत में स्पेक्ट्रम नीति में हालिया परिवर्तन

  • भारत सरकार ने स्पेक्ट्रम आवंटन के लिए एक नई प्रशासनिक पद्धति शुरू की है, जिससे अंतरिक्ष उपग्रह संचालकों को पारंपरिक नीलामी के विपरीत देश में इंटरनेट सेवाएँ प्रदान करने की अनुमति मिल गई है।
  • उपग्रह सेवाओं के लिए स्पेक्ट्रम का आवंटन प्रशासनिक रूप से किया जाएगा, हालाँकि यह बिना लागत के नहीं होगा।
  • मूल्य निर्धारण और आवंटन सूत्र “भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण” (TRAI) द्वारा निर्धारित किया जाएगा।
  • इस बदलाव को स्पेसएक्स जैसी कंपनियों के लिए फायदेमंद माना जा रहा है, क्योंकि उपग्रह सेवाओं में आमतौर पर महंगी नीलामी प्रक्रियाएँ शामिल होती हैं, जिससे संचालकों की लागत बढ़ जाती है।
  • प्रशासनिक आवंटन के साथ उपग्रह सेवा प्रदाताओं के लिए प्रवेश बाधा कम होगी, जिससे अधिक प्रतिस्पर्द्धी और एकसमान नीलामी मंच तैयार होगा।
  • इस बदलाव की तकनीकी तटस्थता के लिए प्रशंसा की जा रही है। हालाँकि, इसे रिलायंस और एयरटेल जैसी प्रमुख दूरसंचार कंपनियों के विरोध का भी सामना करना पड़ा है, जिन्होंने इसे नीलामी के माध्यम से करने का सुझाव दिया था।

स्टारलिंक से जुड़ी चिंताएँ

  • डेटा उपनिवेशीकरण जोखिम : स्टारलिंक जैसी विदेशी उपग्रह सेवाओं का उपयोग विदेशी सर्वर पर डेटा भंडारण के बारे में चिंताएँ बढ़ाता है, जिससे उपयोगकर्ता की गोपनीयता, राष्ट्रीय सुरक्षा और संप्रभुता को खतरा होता है।
    • फेसबुक के 2006 के डेटा उल्लंघन, 2019 में व्हाट्सएप स्पाइवेयर और ट्विटर की 2023 की सुरक्षा खामियों जैसी पिछली घटनाएँ ऐसी कमज़ोरियों के खतरों को रेखांकित करती हैं।
  • मूल्य निर्धारण संबंधी चिंताएँ : स्टारलिंक की कीमत- ₹7,500 प्रतिमाह और उपकरणों के लिए ₹45,000 – स्थानीय प्रदाताओं की तुलना में 30 गुना अधिक है, जिससे सैटेलाइट इंटरनेट ऐप्पल डिवाइस जैसे प्रीमियम उत्पादों के समान एक विलासिता बन जाता है।
  • एकाधिकार का भय : स्टारलिंक समय के साथ कीमतों को कम कर सकता है, जिससे एयरटेल और जियो जैसे स्थानीय खिलाड़ियों के साथ प्रतिस्पर्द्धा बढ़ सकती है।
    • इससे एकाधिकार प्रथाओं का जोखिम हो सकता है, जिससे भारत भू-राजनीतिक तनाव या व्यवधानों के दौरान असुरक्षित हो सकता है।

स्टारलिंक के संभावित लाभ

  • ग्रामीण कनेक्टिविटी : स्टारलिंक में भारत के 2,50,000 ग्रामीण क्षेत्रों को जोड़ने की क्षमता है, जिससे डिजिटल सेवाओं तक पहुँच में उल्लेखनीय सुधार होगा।
  • आर्थिक विकास : इंटरनेट की पहुँच का विस्तार भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था को बढ़ावा दे सकता है, नए व्यावसायिक अवसर खोल सकता है और वंचित क्षेत्रों में नौकरियाँ पैदा कर सकता है।
  • तकनीकी उन्नति : उपग्रह इंटरनेट सेवाओं की शुरूआत से अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में नवाचार को बढ़ावा मिल सकता है, अनुसंधान और विकास में वृद्धि हो सकती है तथा इस क्षेत्र में कौशल विकास को बढ़ावा मिल सकता है।

हालाँकि ये लाभ आशाजनक हैं, लेकिन यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि भारत ऐसी महत्त्वपूर्ण सेवाओं के लिए विदेशी कंपनियों पर अत्यधिक निर्भर न हो जाए। देश को सैटेलाइट इंटरनेट इंफ्रास्ट्रक्चर में अपनी क्षमताएँ भी विकसित करनी चाहिए।

स्वदेशी विकास प्रयास

  • भारत ने अपनी उपग्रह इंटरनेट क्षमताओं को विकसित करने के लिए पहले ही कई स्वदेशी प्रयास शुरू कर दिए हैं:
    • इसरो-ह्यूजेस सैटेलाइट प्रोग्राम : यह पहल ग्रामीण कनेक्टिविटी को बेहतर बनाने के लिए Ka-बैंड तकनीक के साथ 48 ट्रांसपोंडर का उपयोग करती है।
    • निजी क्षेत्र की पहल : वनवेब-भारती जैसी साझेदारियाँ और टाटा तथा एलएंडटी के अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी प्रभाग की योजनाएँ सैटेलाइट इंटरनेट सेवाओं में प्रगति कर रही हैं।
    • स्टार्टअप इकोसिस्टम : कई भारतीय स्टार्टअप अभिनव सैटेलाइट इंटरनेट समाधानों की खोज कर रहे हैं, हालाँकि वे अभी भी विकास के शुरुआती चरण में हैं।

निष्कर्ष 

स्पष्ट है कि उपर्युक्त प्रयास अभी छोटे स्तर पर चल रहे हैं। अतः सरकार को क्षमता विकास का समर्थन करने और भारत में एक आत्मनिर्भर सैटेलाइट इंटरनेट पारिस्थितिकी तंत्र बनाने के लिए इन प्रयासों को बढ़ाने में सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए, जिससे भारत न केवल अपने ‘आत्मनिर्भर भारत’ के स्वप्न को पूरा कर पाएगा बल्कि एक तकनीकी रूप से विकसित राष्ट्रों की श्रेणी में शामिल होगा | 

मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यास प्रश्न 

भारत की डेटा गोपनीयता और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए स्टारलिंक के सुरक्षा निहितार्थों का विश्लेषण कीजिए। उपग्रह-आधारित इंटरनेट सेवाओं को अपनाते हुए भारत अपने हितों की सुरक्षा कैसे कर सकता है?

(15 अंक, 250 शब्द)

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