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Lokesh Pal
March 11, 2024 05:15
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मोहनदास करमचंद गांधी और रवीन्द्रनाथ टैगोर के बीच स्थायी मित्रता थी, जो वर्ष 1914-15 से 1941 में उनके निधन तक चली।
प्रारंभिक परीक्षा की प्रासंगिकता: भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में गांधी और टैगोर का योगदान, गांधी और टैगोर के साहित्यिक कार्य। मुख्य परीक्षा के लिए प्रासंगिकता: अठारहवीं शताब्दी के मध्य से लेकर वर्तमान-महत्वपूर्ण घटनाओं, व्यक्तित्वों और मुद्दों तक का आधुनिक भारतीय इतिहास। |
शांतिनिकेतन:
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गांधी पुण्यहा दिन’:
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दोनों के मध्य असहमति का एक उदाहरण: वर्ष 1934 में बिहार में आए भीषण भूकंप के बाद, गांधी ने इसे हरिजनों के खिलाफ ऊंची जातियों द्वारा किए गए कथित गलतियों के लिए “ईश्वरीय दंड” बताया था, लेकिन टैगोर इन विचारों से सहमत नहीं थे I |
निष्कर्ष: फिर भी, सार्वजनिक मुद्दों पर आपसी मतभेदों के बावजूद गांधी और टैगोर ने एक-दूसरे के प्रति गहरा सम्मान बनाए रखा।
News Source: Indian Express
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