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Lokesh Pal December 02, 2024 05:30 96 0
सर्वोच्च न्यायालय के हालिया निर्णयों, विशेषकर ज्ञानवापी जैसे धार्मिक स्थलों के सर्वेक्षण की अनुमति दी गई थी। इन निर्णयों के पश्चात उपासना स्थल अधिनियम (1991) की प्रासंगिकता और भारत में धर्मनिरपेक्षता की रक्षा में इसकी भूमिका पर सवाल उठे हैं।
नोट: हालाँकि उपासना स्थल अधिनियम (1991) में, अयोध्या विवाद को विशेष रूप से बाहर रखा गया, अर्थात यह बाबरी मस्जिद स्थल पर लागू नहीं किया गया था ।
सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले से देश का संवेदनशील धर्मनिरपेक्ष आचरण बाधित हो सकता है। लेकिन धार्मिक विवादों को सुलझाने के लिए एक सूक्ष्म, शांतिपूर्ण और संवैधानिक रूप से मजबूत दृष्टिकोण अपनाना महत्वपूर्ण है । इसमें भारत की धर्मनिरपेक्ष प्रकृति की रक्षा करने और आगे सांप्रदायिक कलह को रोकने के लिए कानूनी, राजनीतिक और नागरिक समाज के प्रयासों का संतुलित मिश्रण शामिल होना चाहिए।
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