100% तक छात्रवृत्ति जीतें

रजिस्टर करें

एस वाई कुरैशी लिखते हैं: भारत को कम कल्याण की नहीं, उचित कल्याण की ज़रूरत है

Lokesh Pal October 30, 2025 05:00 39 0

संदर्भ:

बिहार में राजनीतिक दलों ने प्रतिवर्ष 8 लाख करोड़ रुपये के कल्याणकारी वादे किए हैं, जो राज्य के बजट का तीन गुना है, जो अत्यधिक प्रतिस्पर्धी लोकलुभावनवाद का संकेत देता है।

कल्याण और मुफ्त उपहारों के बारे में

  • कल्याण: राज्य नीति के निर्देशक सिद्धांतों (अनुच्छेद 38, 39, आदि) के तहत एक संवैधानिक दायित्व, जो राज्य को सामाजिक और आर्थिक न्याय सुनिश्चित करने का निर्देश देता है
    • इसमें खाद्य सुरक्षा, स्वास्थ्य देखभाल, शिक्षा, पेंशन, रोजगार और कौशल विकास शामिल हैं, जो दीर्घकालिक मानव क्षमता और समावेशन को बढ़ावा देता है
    • उदाहरण: मध्याह्न भोजन योजना से पोषण और विद्यालयों में उपस्थिति बढ़ी ही; बिहार में लड़कियों के लिए मुफ्त साइकिल योजना से नामांकन और सशक्तिकरण को बढ़ावा मिला।
  • मुफ्त उपहार: चुनाव के समय मतदाताओं को प्रभावित करने के लिए मतदान से कुछ समय पहले घोषित किए जाने वाले प्रलोभन, जो अक्सर सशक्तिकरण के बजाय निर्भरता को बढ़ावा देते हैं
    • वे मानवीय क्षमताओं को मजबूत किये बिना अल्पकालिक लाभ प्रदान करते हैं।
    • उदाहरण: मिक्सर-ग्राइंडर, सोना या चुनाव-पूर्व नकद हस्तांतरण का वितरण आदि।

आर्थिक नीति में पाखंड:

  • कॉर्पोरेट लाभ: अक्सर इसे सुधार के रूप में लेबल किया जाता है, जैसे कि 2019 में 1.45 लाख करोड़ रुपये की कॉर्पोरेट टैक्स कटौती, जिसे साहसिक और दूरदर्शी बताया गया।
  • गरीबों को लाभ: इसके विपरीत, जब किसानों या गरीब परिवारों को वित्तीय सहायता मिलती है, तो इसकी आलोचना “मुफ्तखोरी संस्कृति” के रूप में की जाती है, जो आर्थिक विमर्श में पूर्वाग्रह को उजागर करती है।

कानूनी विरोधाभास:

  • अवैध रिश्वत: जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 123 के तहत चुनाव के दौरान मतदाता को एक कप चाय जैसी छोटी सी चीज देना भी रिश्वत माना जाता है और यह कानून द्वारा दंडनीय है
  • घोषणापत्र में मुफ्त उपहार: लेकिन जब राजनीतिक दल अपने चुनाव घोषणापत्र में मासिक नकद भुगतान या मुफ्त सामान जैसे बड़े लाभ का वादा करते हैं, तो इसे रिश्वत नहीं बल्कि नीतिगत वादा माना जाता है।
  • न्यायिक बचाव का मार्ग: वर्ष 2013 के बालाजी बनाम तमिलनाडु मामले में, सर्वोच्च न्यायालय ने माना कि इस तरह के वादे निष्पक्ष चुनावों में बाधा डालते हैं, लेकिन उन पर प्रतिबंध नहीं लगाया, उन्हें नीतिगत निर्णयों का हिस्सा बताया – एक ऐसा बचाव मार्ग जिसका उपयोग अब बड़े पैमाने पर किया जा रहा हैं

मुफ्तखोरी संस्कृति के परिणाम:

  • ऋण हस्तांतरण: मुफ्त उपहारों के कारण अक्सर सरकार असंतुलित उधार लेती है, जिससे राज्य ऋण जाल में फंस जाते हैं।
  • बढ़ता राज्य ऋण: मुफ्त बिजली योजनाओं के कारण पंजाब का ऋण-से-जीएसडीपी अनुपात (debt-to-GSDP ratio) 47.2% तक पहुंच गया, जबकि राजस्थान ने 2023-24 में चुनाव पूर्व सब्सिडी पर ₹56,000 करोड़ खर्च किए
  • भारतीय रिजर्व बैंक ने चेतावनी दी है कि अनियंत्रित लोकलुभावन खर्च और अत्यधिक सब्सिडी से कुछ राज्यों में आर्थिक अस्थिरता या यहाँ तक ​​कि राजकोषीय पतन भी हो सकता है।
  • स्थिर मानव विकास: मुफ्त सुविधाओं पर भारी खर्च के बावजूद, भारत मानव विकास सूचकांक में 130वें स्थान पर है, तथा 81 करोड़ लोग मुफ्त राशन पर निर्भर हैं, जो यह दर्शाता है कि वास्तविक क्षमता निर्माण कमजोर बना हुआ है

केस स्टडी- उचित कल्याण बनाम मुफ्तखोरी की राजनीति:

  • कल्याण को सशक्त बनाना: सभी सब्सिडी व्यर्थ नहीं होतीं। 1980 के दशक में एन.टी. रामाराव की 2 रुपये प्रति किलोग्राम चावल योजना ने आंध्र प्रदेश में भुखमरी से होने वाली मौतों को समाप्त किया।
    • बिहार की साइकिल योजना ने लड़कियों के स्कूल नामांकन में 30% से अधिक की वृद्धि की, जबकि मनरेगा ने ग्रामीण परिवारों को आय और रोजगार की सुरक्षा प्रदान की।
  • वास्तविक विभाजन: ये उदाहरण वास्तविक कल्याण, जो मानव क्षमता और सामाजिक समानता का निर्माण करता है, और लोकलुभावन मुफ्त उपहारों, जो निर्भरता को बढ़ावा देते हैं और सार्वजनिक वित्त पर दबाव डालते हैं, के बीच अंतर को दर्शाते हैं।

आगे की राह:

  • वित्तपोषण प्रकटीकरण: राजनीतिक दलों को अपने वादों की लागत का खुलासा करना चाहिए और धन के स्रोत को स्पष्ट रूप से बताना चाहिए – चाहे वह कर वृद्धि, उधार या बचत के माध्यम से हो
  • कानूनी समावेशन: चुनाव घोषणापत्रों में बड़े पैमाने पर मुफ्त उपहारों के वादों को जनप्रतिनिधित्व अधिनियम के अंतर्गत लाया जाना चाहिए तथा वर्तमान खामियों को दूर करने के लिए इन्हें संभावित रिश्वत के रूप में माना जाना चाहिए।
  • चुनाव-पूर्व रोक: चुनावी लाभ के लिए सार्वजनिक धन के दुरुपयोग को रोकने के लिए किसी भी सरकार को चुनाव के छह महीने के भीतर नई कल्याणकारी योजनाओं की घोषणा नहीं करनी चाहिए।
  • क्षमता निर्माण: सार्वजनिक व्यय को अल्पकालिक उपभोग सब्सिडी के बजाय रोजगार सृजन, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और कौशल विकास पर केंद्रित किया जाना चाहिए

निष्कर्ष:

भारत को वास्तविक कल्याण की आवश्यकता है जो शिक्षा, रोज़गार और कौशल के माध्यम से लोगों को सशक्त बनाए —न कि अल्पकालिक मुफ़्त उपहारों की जो धन के माध्यम से वोट ख़रीदते हैं। उचित/सही कल्याण क्षमता, जवाबदेही और दीर्घकालिक विकास को मज़बूत करता है, न कि निर्भरता या वित्तीय संकट को

मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यास प्रश्न:

प्रश्न: क्षमता निर्माण हेतु संवैधानिक दायित्व के रूप में ‘कल्याण’ और निर्भरता को बढ़ावा देने वाले चुनावी तुष्टिकरण के रूप में ‘मुफ्त उपहारों’ के बीच अंतर स्पष्ट कीजिए। हाल के चुनावी वादों के आलोक में, प्रतिस्पर्धी लोकलुभावनवाद द्वारा भारत की राजकोषीय स्थिरता और स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनावों की पवित्रता के लिए उत्पन्न प्रणालीगत खतरों का आलोचनात्मक विश्लेषण कीजिए। ‘उचित/ईमानदार कल्याण’ के लिए व्यावहारिक कानूनी और नीतिगत उपाय सुझाइए।

(15 अंक, 250 शब्द)

Final Result – CIVIL SERVICES EXAMINATION, 2023. PWOnlyIAS is NOW at three new locations Mukherjee Nagar ,Lucknow and Patna , Explore all centers Download UPSC Mains 2023 Question Papers PDF Free Initiative links -1) Download Prahaar 3.0 for Mains Current Affairs PDF both in English and Hindi 2) Daily Main Answer Writing , 3) Daily Current Affairs , Editorial Analysis and quiz , 4) PDF Downloads UPSC Prelims 2023 Trend Analysis cut-off and answer key

THE MOST
LEARNING PLATFORM

Learn From India's Best Faculty

      

Final Result – CIVIL SERVICES EXAMINATION, 2023. PWOnlyIAS is NOW at three new locations Mukherjee Nagar ,Lucknow and Patna , Explore all centers Download UPSC Mains 2023 Question Papers PDF Free Initiative links -1) Download Prahaar 3.0 for Mains Current Affairs PDF both in English and Hindi 2) Daily Main Answer Writing , 3) Daily Current Affairs , Editorial Analysis and quiz , 4) PDF Downloads UPSC Prelims 2023 Trend Analysis cut-off and answer key

<div class="new-fform">







    </div>

    Subscribe our Newsletter
    Sign up now for our exclusive newsletter and be the first to know about our latest Initiatives, Quality Content, and much more.
    *Promise! We won't spam you.
    Yes! I want to Subscribe.