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भारत की नई सरकार के लिए प्रौद्योगिकी चुनौतियाँ

Lokesh Pal May 02, 2024 05:30 217 0

मुख्य परीक्षा के लिए प्रासंगिकता: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, यूएस-चीन टेक युद्ध, क्वाड फोरम चिप -4 गठबंधन, क्वांटम कंप्यूटिंग

संदर्भ:

विश्व की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में, चीन से लेकर अमेरिका तक, तकनीकी क्रांति में महारत हासिल करना सर्वोपरि है। वर्तमान तकनीकी क्रांति के युग को देखते हुए तकनीकी प्रगति की दिशा में भारत को भी कुछ बेहतर करने की आवश्यकता है ताकि इस प्रवृत्ति के मध्य भारत प्रतिस्पर्धी बना रह सके।

चुनाव 2024 :

  • भारत की तकनीकी नीति: भारत के वर्तमान चुनावी विमर्श में प्रौद्योगिकी नीति एक प्रमुख विषय नहीं हो सकती है।  
    • हालाँकि, दिल्ली में आने वाली सरकार को तकनीकी प्रगति से उत्पन्न होने वाली चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा।
  • वैश्विक तकनीकी चुनौतियाँ: इन चुनौतियों में प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं, भू-राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता तथा कृत्रिम बुद्धिमत्ता, अंतरिक्ष औद्योगीकरण एवं जैव-अर्थव्यवस्था जैसे प्रमुख क्षेत्रों के वैश्विक शासन पर तकनीकी परिवर्तनों के प्रभाव को नियंत्रित करना शामिल है।

चीन का डीप टेक:

  • नई उत्पादक शक्तियों पर महारत हासिल करने के लिए अभियान: चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (CPC) “नई उत्पादक ताकतों” पर सफलता हासिल करने के लिए एक अभियान चला रही है।
    • यह अभियान उन्नत विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी उत्पादन में वाशिंगटन को पीछे छोड़ने तथा वैश्विक शक्ति पदानुक्रम के शीर्ष पर आगे बढ़ने की बीजिंग की महत्वाकांक्षा के लिए यह आवश्यक है।
  • सरकारी समर्थन: ली क़ियांग ने प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में इलेक्ट्रिक वाहनों, वाणिज्यिक अंतरिक्ष उड़ान, क्वांटम प्रौद्योगिकी और जीव विज्ञान के साथ उन्नत प्रौद्योगिकी क्षेत्रों का समर्थन करने के लिए नई विकास की गतिविधियों को आगे बढाने के लिए प्रयास कर रहा है ।
  • प्रौद्योगिकी-गहन अर्थव्यवस्था में बदलाव: श्रम-गहन से प्रौद्योगिकी-गहन उत्पादन में संक्रमण की अवधारणा का कुछ समय से समर्थन किया जा रहा है।
    •  हू जिंताओ जैसे पिछले नेताओं ने “वैज्ञानिक विकास” और सामाजिक उन्नति के लिए प्रौद्योगिकी और नवाचार के महत्त्व पर जोर दिया है।
  • रणनीतिक उद्देश्य: चीन का उद्देश्य है कि विदेशी प्रौद्योगिकियों पर निर्भरता कम करने के लिए नई उत्पादक शक्तियों पर पूर्ण नियंत्रण रखना। 
    • चीन ने सौर पैनल तथा बैटरी स्टोरेज जैसे क्षेत्रों में प्रभुत्व हासिल कर लिया है, लेकिन सेमीकंडक्टर उत्पादन और जेनरेटिव एआई इनोवेशन में यह अमेरिका से अभी भी पीछे है।

पश्चिम का तकनीकी निवेश:

  • बिडेन प्रशासन: प्रशासन ने कानून के तीन महत्त्वपूर्ण भागों के लिए द्विदलीय समर्थन हासिल किया:
    • बुनियादी ढाँचा निवेश अधिनियम।
    • चिप अधिनियम।
    • मुद्रास्फीति न्यूनीकरण अधिनियम।
  • चीनी तकनीकी विकास के लिए समर्थन: बिडेन प्रशासन का उद्देश्य चीनी तकनीकी विकास के लिए अमेरिकी पूँजी समर्थन को प्रतिबंधित करना है। 
    • उपायों में अमेरिका तथा उसके सहयोगियों से बीजिंग को उन्नत प्रौद्योगिकी निर्यात को सीमित करना शामिल है।
  • वैश्विक प्रौद्योगिकी गठबंधन: अमेरिका सहयोगियों के साथ नई प्रौद्योगिकी गठबंधन बना रहा है, जैसे- ऑस्ट्रेलिया, भारत और जापान के साथ क्वाड मंच।
    • इसके अतिरिक्त, “चिप-4” गठबंधन में अमेरिका और प्रमुख सेमीकंडक्टर उत्पादक शामिल हैं: जापान, दक्षिण कोरिया और ताइवान।
    • महत्त्वपूर्ण और उभरती प्रौद्योगिकियों में द्विपक्षीय साझेदारी स्थापित की जा रही है, जिसमें भारत के साथ iCET साझेदारी भी शामिल है।
  • यूरोपीय तकनीकी संप्रभुता के लिए फ्रांस का आह्वान: फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन ने वैश्विक तकनीकी शक्ति वितरण में महत्त्वपूर्ण भूमिका को पुनः प्राप्त करने के लिए यूरोप की आवश्यकता पर जोर दिया।
    • उन्होंने अमेरिका और चीन के साथ अंतर को कम करने के लिए यूरोप की “औद्योगिक और तकनीकी संप्रभुता” को मजबूत करने का आह्वान किया।
    • मैक्रॉन ने एआई, क्वांटम कंप्यूटिंग, अंतरिक्ष, जैव प्रौद्योगिकी तथा हरित हाइड्रोजन एवं परमाणु संलयन जैसी नई ऊर्जा प्रौद्योगिकियों में पर्याप्त निवेश की वकालत की।

भारत का कार्य – घोषणापत्रों से आगे :

  • विकास के लिए प्रौद्योगिकी का लाभ उठाना: प्रधानमंत्री ने सेवा वितरण के लिए डिजिटल प्रौद्योगिकियों का उपयोग किया है तथा पिछले दशक में नवीकरणीय ऊर्जा में निवेश पर जोर दिया है।
    • भारत के सेमीकंडक्टर उत्पादन को पुनर्जीवित करने के लिए एक मिशन मोड दृष्टिकोण अपनाया गया है, भारत की एआई क्षमताओं में तेजी लाने के लिए रणनीतियाँ विकसित की गई हैं।
    • प्रौद्योगिकी सरकार की विदेश नीति का केंद्र बिंदु रही है, विशेष रूप से अमेरिका और यूरोप के साथ रणनीतिक साझेदारी बनाने में।
  • व्यापक तकनीकी सुधार की आवश्यकता: अनुसंधान एवं विकास पर राष्ट्रीय व्यय में उल्लेखनीय वृद्धि करने तथा आधुनिक प्रौद्योगिकियों के अनुसंधान, विकास एवं उत्पादन में निजी क्षेत्र की अधिक भागीदारी को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है।
  • आधुनिकीकरण अनिवार्यता: भारत के प्रौद्योगिकी-संचालित अर्थव्यवस्था के निर्माण के लक्ष्य के लिए सरकारी नियंत्रण में मौजूदा प्रोद्योगिकी का एकाधिकार काफी पुराना हो चुका है।
    •  भारत की तकनीकी नींव का आधुनिकीकरण आर्थिक और राष्ट्रीय सुरक्षा उद्देश्यों के लिए आवश्यक है।

निष्कर्ष:

नई सरकार को “उत्पादन की नई और उच्च गुणवत्ता वाली प्रोद्योगिकी” के वैश्विक परिदृश्य में भारत की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए इस एजेंडे को प्राथमिकता देनी चाहिए।

Source: The Indian Express

प्रारंभिक परीक्षा पर आधारित प्रश्न :                                                       (UPSC:2022)

प्रश्न. निम्नलिखित में से किस  संदर्भ में “क्विबिट (Qubit)” शब्द का उल्लेख किया गया है? 

(a) क्लाउड सेवाएँ

(b) क्वांटम कम्प्यूटिंग

(c) दृश्य प्रकाश संचार तकनीक

(d) बेतार (वायरलेस) संचार तकनीक 

उत्तर: (b)

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