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संयुक्त प्रभाव: डिजिटल गिरफ्तारी घोटालों

Lokesh Pal November 05, 2025 05:15 19 0

संदर्भ:

सर्वोच्च न्यायालय ने बढ़ते डिजिटल धोखाधड़ी पर स्वतः संज्ञान लेते हुए व्यापक जांच का आदेश दिया है, तथा फर्जी कानून प्रवर्तन धमकियों के माध्यम से नागरिकों का शोषण करने वाले “डिजिटल गिरफ्तारी” घोटालों पर विशेष चिंता व्यक्त की है।

घोटाले का तंत्र और पैमाना

  • प्रतिरूपण: अपराधी CBI या दिल्ली पुलिस साइबर सेल जैसी एजेंसियों के अधिकारियों का प्रतिरूपण करते हैं और व्यक्तियों से उनके व्यक्तिगत विवरण का उपयोग करके संपर्क करते हैं, तथा उन पर मादक पदार्थों की तस्करी या संदिग्ध धन हस्तांतरण जैसी अवैध गतिविधियों में शामिल होने का आरोप लगाते हैं
  • जबरन अलगाव: पीड़ित को एक नकली पुलिस स्टेशन की स्थापना के साथ लगातार स्काइप/व्हाट्सएप वीडियो कॉल पर रखा जाता है, जिससे उन्हें मदद मांगने से रोकने के लिए “डिजिटल गिरफ्तारी” की जाती है
  • जबरन वसूली: मामले को निपटाने और गिरफ्तारी से बचने के लिए पीड़ित को धन हस्तांतरित करने के लिए मजबूर किया जाता है।
  • अत्यधिक परिष्कृत: ये घोटाले पेशेवर स्क्रिप्ट और समन्वित टीमों का उपयोग करके सीमा पार, औद्योगिक पैमाने पर संचालित होते हैं।

अपराध सिंडिकेट का भूगोल

  • उत्पत्ति: इन गतिविधियों का पता मुख्य रूप से दक्षिण पूर्व एशिया के म्यांमार और कंबोडिया में स्थित बड़े अपराधिक क्षेत्रों से लगाया जा रहा है।
  • म्यांमार की अस्थिरता: म्यांमार में 2021 के बाद की सैन्य तख्तापलट की अस्थिरता ने शासन में शून्यता पैदा कर दी है, क्योंकि केंद्रीय सैन्य शासन का जातीय मिलिशिया और सीमा रक्षक बलों (BGF) के प्रभुत्व वाले सीमावर्ती क्षेत्रों पर बहुत कम नियंत्रण है।
  • घातक गठजोड़: BGF इन घोटाले परिसरों की मेजबानी करता है क्योंकि उन्हें उनसे वित्तीय भुगतान प्राप्त होता है।

आधुनिक दासता और मानव तस्करी

  • कार्यबल: घोटाले करने वाले लोग अक्सर स्थानीय नहीं होते बल्कि हजारों गैर-स्थानीय लोग होते हैं, जिनमें भारतीय, पाकिस्तानी, थाई और वियतनामी शामिल होते हैं।
  • रोजगार का लालच: उन्हें फर्जी रोजगार विज्ञापनों (जैसे, बैंकॉक में उच्च वेतन वाली डेटा प्रविष्टि नौकरियां) के माध्यम से धोखा दिया जाता है और फिर उन्हें जबरन म्यांमार या कंबोडिया ले जाया जाता है।
  • जबरन श्रम: यह गुलामी के एक आधुनिक रूप का प्रतिनिधित्व करता है, जहाँ घोटाले के परिसर डिजिटल स्वेटशॉप के रूप में कार्य करते हैं, तस्करी किए गए व्यक्तियों को हिंसा, यातना और यौन दुर्व्यवहार के माध्यम से ऑनलाइन धोखाधड़ी योजनाएं चलाने के लिए मजबूर करते हैं।
    • संयुक्त राष्ट्र मादक पदार्थ एवं अपराध कार्यालय (UNODC) ने ऐसे साइबर शोषण नेटवर्क के तीव्र एवं खतरनाक विस्तार का दस्तावेजीकरण किया है।

डिजिटल धोखाधड़ी प्रणालियों की संरचना

  • पिग बुचरिंग(Pig Butchering): पिग बुचरिंग एक ऑनलाइन घोटाला है, जिसमें धोखेबाज पीड़ितों के साथ भावनात्मक विश्वास का निर्माण करते हैं और फिर उन्हें नकली निवेश (अक्सर क्रिप्टो) में फंसाते हैं और उनके पैसे लेकर गायब हो जाते हैं।
    • इसमें रिश्तों में हेरफेर और वित्तीय धोखाधड़ी का मिश्रण होता है, जिससे पीड़ितों को बड़ी मात्रा में रकम गंवानी पड़ती है।
  • क्रिप्टो लॉन्ड्रिंग का खतरा: धोखाधड़ी की आय को मनी म्यूल और संदिग्ध वित्तीय फर्मों (जैसे, कंबोडिया की हुइओन पे) के माध्यम से लूटा जाता है और फिर क्रिप्टोकरेंसी में परिवर्तित कर दिया जाता है, जिससे ट्रेसिंग और रिकवरी बेहद मुश्किल हो जाती है और सीमा पार प्रवर्तन जटिल हो जाता है।
  • चीनी अपराध सिंडिकेट प्रमुख आयोजक हैं: वैश्विक निरीक्षकों ने चीनी संगठित अपराध सिंडिकेट को इन अंतरराष्ट्रीय नेटवर्कों के प्रमुख संचालक के रूप में चिन्हित किया है।

भारत पर प्रभाव

  • जबरन डिजिटल श्रम: हजारों युवा भारतीयों की तस्करी की गई है और उन्हें अपमानजनक परिस्थितियों में घोटाले से संबंधित संगठनों में कार्य करने के लिए मजबूर किया गया है।
  • भारतीय नागरिक भी शिकार बन रहे हैं: इन केंद्रों में होने वाले घोटालों में भारतीय नागरिक भी पैसा गँवा रहे हैं।

आगे की राह

  • जागरूकता में वृद्धि: भारतीय रिजर्व बैंक सहित अन्य संस्थाओं को भी नागरिकों को घोटालों का शिकार होने से बचाने के लिए बड़े पैमाने पर जन जागरूकता अभियान चलाना चाहिए।
    • केंद्र और राज्य सरकारों को साइबर अपराध रिपोर्टिंग, जांच क्षमता और डिजिटल वित्तीय निगरानी को मजबूत करने की आवश्यकता है।
  • क्षेत्रीय सहयोग: चूंकि समस्या सीमा पार की है, इसलिए भारत को थाईलैंड, वियतनाम, चीन और अन्य प्रभावित देशों के साथ समन्वय स्थापित करना चाहिए ताकि म्यांमार और कंबोडिया पर घोटाला केंद्रों को ध्वस्त/समाप्त करने के लिए दबाव डाला जा सके।
  • अंतर्राष्ट्रीय लामबंदी: संयुक्त राष्ट्र को इस संगठित अपराध को न केवल साइबर अपराध के रूप में, बल्कि गुलामी की एक आधुनिक अभिव्यक्ति के रूप में आधिकारिक रूप से मान्यता देने के लिए लामबंद होना चाहिए।

निष्कर्ष

डिजिटल घोटाले मानव तस्करी और क्रिप्टो-लॉन्ड्रिंग से प्रेरित एक अंतरराष्ट्रीय अपराध नेटवर्क में बदल गए हैं। भारत को नागरिकों की सुरक्षा और डिजिटल एवं मानव सुरक्षा को बनाए रखने के लिए मज़बूत साइबर प्रवर्तन, वैश्विक समन्वय और पीड़ितों के पुनर्वास के माध्यम से इसका जवाब देना चाहिए।

मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यास प्रश्न:

प्रश्न: “डिजिटल गिरफ्तारी” घोटाले, संघर्ष प्रभावित क्षेत्रों में ‘घोटाला परिसरों’ से संचालित, अंतरराष्ट्रीय संगठित अपराध, साइबर जबरन वसूली और आधुनिक दासता के खतरनाक अभिसरण को उजागर करते हैं। इस उभरते खतरे की सीमा-पार संरचना और भारत पर इसके ‘दोहरे संकट’ का विश्लेषण कीजिए। इन नेटवर्कों को ध्वस्त करने और भारतीय नागरिकों की सुरक्षा के लिए एक बहुआयामी रणनीति सुझाइए।

(15 अंक, 250 शब्द)

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