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आज के युवाओं के समक्ष विद्यमान चिंताएँ

Lokesh Pal September 24, 2025 05:00 19 0

संदर्भ:

आज के युवाओं को कई प्रकार की चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, जिनमें आर्थिक अस्थिरता, बेरोजगारी और शासन में सार्थक भागीदारी के सीमित अवसर शामिल हैं

सूचना से ज्ञान तक: बदलते विश्व में समाज का विकास:

  • समाज का बदलता स्वरूप: वर्तमान विश्व पिछली पीढ़ियों से मौलिक रूप से भिन्न है, जिसमें परिवर्तन ही एकमात्र स्थिर तत्व है
    • जो लोग अनुकूलन करने और लगातार सीखने में असफल रहते हैं, उनके अप्रासंगिक हो जाने का खतरा रहता है।
  • समाज के विकास के चरण: समाज तीन चरणों से होकर गुजरा है:
    • सूचना: यह अपरिष्कृत/अधूरी जानकारी या आकड़े
      • उदाहरण: एक मरीज बुखार, खांसी और सांस लेने में कठिनाई जैसे लक्षण बता रहा है।
    • ज्ञान: इसमें निष्कर्ष निकालने या उत्पाद बनाने के लिए अधूरी जानकारी को जोड़ना शामिल है। 
      • उदाहरण: एक डॉक्टर निमोनिया का निदान करने के लिए लक्षणों और रिपोर्टों का उपयोग करता है।
    • ज्ञान: यह सर्वोच्च स्तर है, जिसमें सहानुभूति, मानवता और सही और गलत की समझ का उपयोग करके ज्ञान का कार्यान्वयन शामिल है।
      • उदाहरण: एक डॉक्टर मरीज की वित्तीय स्थिति को ध्यान में रखते हुए सस्ती जेनेरिक दवाइयां लिखता है।
    • आज का युग सूचना समाज से आगे बढ़कर ज्ञान समाज की ओर बढ़ रहा है।

वर्तमान समय में युवाओं के लिए अवसर:

  • आजीवन शिक्षा: सरकारी नीतियां एकल डिग्री से परे निरंतर सीखने को प्रोत्साहित करती हैं
    • राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 ने एक बहु-प्रवेश-निकास प्रणाली(मल्टीपल एंट्री-एग्जिट सिस्टम) शुरू की, जिससे छात्रों को प्रमाण पत्र, डिप्लोमा या डिग्री के साथ पाठ्यक्रम को कुछ समय तक रोकने और फिर से शामिल होने की अनुमति मिलती है।
    • SWAYAM जैसे प्लेटफॉर्म भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) और भारतीय प्रबंधन संस्थान (IIM) जैसे प्रमुख संस्थानों से ऑनलाइन पाठ्यक्रम उपलब्ध कराते हैं।
  • नवाचार पर ध्यान: सरकार अब केवल रोजगार खोजने से हटकर नवाचार, अनुसंधान और समस्या समाधान पर जोर दे रही है
    • स्कूलों में अटल इनोवेशन मिशन (AIM) प्रयोगशालाओं जैसी पहलों के माध्यम से नए विचारों को समर्थन दिया जाता है, जो व्यावहारिक शिक्षा को प्रोत्साहित करते हैं।
  • रोजगार सृजन: स्टैंड अप इंडिया और मुद्रा योजना जैसी पहलें युवाओं को रोजगार सृजनकर्ता बनने के लिए प्रोत्साहित करती हैं।
  • संसाधन तक पहुंच: आज न केवल सरकार से, बल्कि निजी क्षेत्र से भी संसाधन प्राप्त करना काफी सरल हो गया है।

वर्तमान परिस्थिति में युवाओं के लिए विद्यमान चुनौतियाँ:

  • वैश्विक जटिलता: अर्थव्यवस्था, राजनीति, पर्यावरण – सब कुछ वैश्विक स्तर पर एक-दूसरे से जुड़ा है, उदाहरण के लिए, रूस-यूक्रेन युद्ध ने वैश्विक स्तर पर वस्तुओं की कीमतों को प्रभावित किया है।
    • कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) और डीपफेक जैसी प्रौद्योगिकियों का उपयोग अक्सर अपराधियों द्वारा किया जाता है, भले ही वह प्रौद्योगिकी कहीं और से निर्मित की गई हुई हो।
  • असभ्य/क्रूर प्रतिस्पर्धा: हर क्षेत्र में तीव्र प्रतिस्पर्धा है, तथा सीमित अवसरों के कारण बड़ी संख्या में लोग इसका लाभ उठा रहे हैं। 
    • इससे सफलता के लिए तीव्र दबाव उत्पन्न होता है।
  • सामाजिक असंवेदनशीलता: समाज असंवेदनशील हो गया है, इसका एक कारण ऑनलाइन फर्जी सामग्री (जानकारी फैलाने वाले अभियान, फर्जी मदद की गुहार) के माध्यम से भावनाओं को नियंत्रित करना है, जिससे लोगों में सहानुभूति की भावना में कमी दर्ज की गई है।
  • ऑनलाइन आक्रामकता और अकेलापन: ट्रोलिंग इसलिए आम बात है क्योंकि लोग ऑनलाइन खुद को गुमनाम महसूस करते हैं।
    • सोशल मीडिया के माध्यम से डिजिटल रूप से जुड़े होने के बावजूद, शहरी अकेलापन एक महत्वपूर्ण मुद्दा है।
  • आक्रामक सोच: भारत और विदेशों में युवा अब पहले से कहीं अधिक आक्रामक रवैया अपना रहे हैं और हिंसा या सशस्त्र संघर्ष का समर्थन कर रहे हैं।
  • अनिश्चित भविष्य: आज के युवाओं को ऐसे नेताओं का सामना करना पड़ता है जो सत्ता, धन संचय और सामाजिक विभाजन में व्यस्त हैं
    • प्रणालीगत भ्रष्टाचार, पेपर लीक और भूमि घोटाले के लिए रोजगार देने से विश्वास खत्म होता है, जिससे भविष्य अनिश्चित होता है और अशांति/हिंसा में बढ़ोतरी होती है।

ऐतिहासिक छात्र आंदोलन:

  • नवनिर्माण आंदोलन (1974): यह आंदोलन गुजरात में कॉलेज मेस शुल्क वृद्धि के विरोध में शुरू हुआ, लेकिन जल्द ही भ्रष्टाचार और बेरोजगारी के विरुद्ध एक व्यापक विरोध बन गया।
    • इस आंदोलन के कारण मुख्यमंत्री को इस्तीफा देना पड़ा और राज्य विधानसभा को भंग करना पड़ा।
  • जेपी आंदोलन: नवनिर्माण आंदोलन से प्रेरित होकर, जयप्रकाश नारायण (एक गांधीवादी नेता) ने “संपूर्ण क्रांति” के नारे के तहत बिहार में आंदोलन का नेतृत्व किया।

वैश्विक युवा विरोध प्रदर्शन:

  • जीवन-यापन की लागत और रोजगार: विकसित देशों में युवा जीवन-यापन की बढ़ती लागत और उपलब्ध रोजगार की कमी के कारण विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।
  • आप्रवासन: आप्रवासन संस्कृतियों और अर्थव्यवस्थाओं को आकार दे रहा है। 
    • आप्रवासन के प्रति युवाओं का विरोध अक्सर रोजगार, आवास, सामाजिक सेवाओं और सांस्कृतिक पहचान से जुड़ी चिंताओं से उत्पन्न होता है। 
    • आप्रवासन के विरोध में कई युवा रैलियां आयोजित की जा रही हैं।
  • पर्यावरण संबंधी चिंताएं: ग्रेटा थुनबर्ग जैसे युवा नेता वैश्विक जलवायु विरोध प्रदर्शनों में सबसे आगे हैं और तत्काल कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।

आगे की राह:

  • व्यवस्थित परिवर्तन का आह्वान: यद्यपि भारतीय युवाओं में भ्रष्टाचार और भाई-भतीजावाद को चुनौती देने की क्षमता है, फिर भी वे भारत में नेपाल या भूटान जैसी अराजकता या स्थिति नहीं चाहता है
    • भारतीय युवाओं को व्यवस्था में व्यवधान उत्पन्न करने के बजाय उसमें सुधार की मांग पर ध्यान केन्द्रित करना चाहिए।
  • सरकार की सक्रिय कार्रवाई: अस्थिरता से बचने के लिए, सरकार को ऐसे मंच बनाने चाहिए जहां युवा अपनी चिंताएं व्यक्त कर सकें और महसूस कर सकें कि उनकी बात सुनी जा रही है।
    • लगातार भ्रष्टाचार, भाई-भतीजावाद और कमीशन आधारित शासन को संबोधित करने के लिए प्रणालीगत सुधारों की आवश्यकता है।

मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यास प्रश्न:

प्रश्न: 21वीं सदी के भारत के युवाओं के सामने मौजूद सामाजिक-राजनीतिक माहौल, जिसमें संस्थाओं पर अविश्वास और कड़ी प्रतिस्पर्धा है, वह स्वतंत्रता के बाद के आशावादी दौर से मौलिक रूप से अलग है। इस कथन का आलोचनात्मक विश्लेषण करें। साथ ही, आज के युवाओं की क्षमता को राष्ट्र निर्माण की सकारात्मक दिशा में इस्तेमाल करने के लिए उपाय सुझाएं।

(15 अंक, 250 शब्द)

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